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सांगली में गन्ना भुगतान तीन किश्तों में
सांगली : चीनी मंडी
गन्ना कटाई के बाद 15 दिनों के भीतर किसानों के बैंक खातों में एकमुश्त एफआरपी भुगतान करना पड़ता है, अगर कोई मिल इस कानून का पालन करने में विफ़ल रहती है तो, उसको ब्याज समेत बकाया भुगतान करना पड़ता है। लेकिन पश्चिमी महाराष्ट्र के सांगली में एफआरपी को तीन किश्तों में देने की बात चल रही है।
खबरों के मुताबिक, कई मिलें किसानों से तीन किश्तों में एफआरपी भुगतान करने के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर ले रहे है, और यह किसानों की सहमिति से हो रहा है। सांगली जिले की कई मिलों ने सहमती करार पर किसानों के हस्ताक्षर लिए है, जिसमे कहा गया है की, पहली किश्त 2400, दूसरी किश्त 200 और तीसरी किश्त 200 रूपये दी जाएगी। ऐसा कहा जा रहा है की मिलों के ऐसे रवैय्ये पर किसान संघठन भी आवाज नही उठा रहे है। पिछले साल भारी बारिश और सूखे के कारण इस साल गन्ना उत्पादन में काफी गिरावट आई है, जिसके कारण किसानों को आशा थी की, इस साल मिलों द्वारा गन्ना भुगतान आसानी से होगा। वही गन्ना किसान नारज है की ऊन्हे दूसरी और तीसरी किश्त नहीं मिली है।
क्रांती चीनी मिल के अध्यक्ष अरुण लाड ने कहा की वर्तमान चीनी उद्योग की स्थिति और मिलों की वित्तीय स्थिति को देखते हुए, तीन किश्तों में एफआरपी देना उचित होगा। गन्ना किसानों ने भी इसकी मंजूरी दे दी है। इसलिए, हम इस पैटर्न को सांगली जिले में लागू कर रहे हैं। किसान आश्वस्त रहें उन्हें एफआरपी 100 प्रतिशत दिया जाएगा।
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उत्तर प्रदेश: चीनी मिल में गंदगी देख भड़के मंत्री
बिलासपुर: रुद्र-बिलास चीनी मिल को सरप्राइज विजिट देने पहुंचे उत्तर प्रदेश के जलशक्ति राज्यमंत्री बल्देव सिंह औलख मिल परिसर में गंदगी देख नाराजगी व्यक्त की। निरीक्षण के दौरान मिल परिसर में जगह-जगह गंदगी देख कर उन्होंने अधिकारियों की जमकर फटकार लगाई। मंत्रीजी की सरप्राइज विजिट से मिल प्रबंधन को भागदौड़ करनी पड़ी और उन्होंने मंत्रीजी से सफाई रखने का वादा किया।
सोमवार को रुद्रपुर जाते समय राज्यमंत्री चीनी मिल पहुंचे। उनको चीनी मिल में देखकर अधिकारी चौक गयें।मिल परिसर में जगह-जगह गंदगी देखकर नाराज मंत्री बल्देव सिंह औलख ने अधिकारियों सफाई कराने के निर्देश दिए। उन्होंने चीनी रिकवरी में गिरावट पर भी चिंता प्रकट की। मिल में प्रधान प्रबंधक राजेश गुप्ता से मुलाकात न होने पर उन्होंने जीएम से फोन पर वार्ता कर समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान कराने के निर्देश दिए।
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जिजामाता चीनी मिल शुरू करने के लिए हर मुमकिन कोशिश करने के आदेश
मुंबई: चीनी मंडी
सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल ने विदर्भ की पहली चीनी मिल के रूप में जानी जाने वाली जिजामाता सहकारी चीनी मिल (तालुका: सिंदखेडराजा) को फिर से शुरू करने उचित कार्यवही करने के आदेश दिए है। बुलढाना के पालकमंत्री डॉ. राजेंद्र शिंगने ने बंद पड़ी जिजामाता मिल शुरू करने के प्रयास में जुटे है। इसके चलते सहकारिता मंत्री पाटिल ने मुंबई में बैठक की, इस वक्त डॉ. शिंगने और अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में मंत्री पाटिल द्वारा अधिकारीयों को निर्देश दिए गये है की, मिल जल्द से जल्द शुरू करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जाए। पालकमंत्री डॉ. राजेंद्र शिंगने ने कहा की, जिजामाता चीनी मिल फिर से शुरू करना उनका ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ है। डॉ. शिंगने द्वारा सहकार विभाग द्वारा चीनी मिल शुरू करने की मांग की गई।
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बकाया भुगतान में देरी के कारण गन्ना किसानों ने नाराज होकर बुलाई महापंचायत - Published on: 04.02.2020
बकाया भुगतान में देरी के कारण गन्ना किसानों ने नाराज होकर बुलाई महापंचायत
अंबाला (हरियाणा): नारायणगढ़ चीनी मिल से गन्ने के भुगतान में हर साल होने वाली देरी से नाराज किसानों ने समस्या के समाधान के लिए 12 फरवरी को महापंचायत बुलाई है, जिसमें भविष्य के आंदोलन की रूपरेखा बनाई जाएगी। पिछले साल भी किसानों को अपना भुगतान पाने के लिए कई बार विरोध प्रदर्शन करना पड़ा था।
भारतीय किसान यूनियन (चारुनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चारुनी ने बताया कि मिल के सुपरविजन और किसी अनियमितता से बचने के लिए अंबाला के डिप्टी कमिश्नर को चेयरमैन तथा हरको बैंक के एमडी को निदेशक (वित्त) बनाया गया था लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। किसान अपने भुगतान के लिए कितना इंतजार करे। हालांकि चीनी की कम कीमतों की वजह से मिलें समय पर भुगतान नहीं कर सकीं। उनके अनुसार, चीनी का दाम 3,600 रुपये प्रति क्विंटल होनी चाहिए जो कि फिलहाल कम है। वहीं, बीकेयू के प्रवक्ता ने बताया कि इस सीजन में 2 फरवरी तक किसान 28 लाख क्विंटल गन्ने की डिलीवरी कर चुके हैं जिसका करीब 58 करोड़ रुपये बकाया है। नारायणगढ़ चीनी मिल में 12 नवंबर को पेराई सीजन शुरू हुआ तथा गन्ना खरीद के 14 दिनों के भीतर भुगतान कर देना था। लेकिन मिल ने सिर्फ 13 दिसंबर तक के भुगतान को ही मंजूरी दी है।
नारायणगढ़ के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अदिति ने समस्या को शीघ्र सुलझाने का वादा करते हुए कहा कि चीनी बेचने की दिक्कतों के कारण भुगतान में देरी हुई।
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भारत अपने अंदरूनी मामलों में किसी भी तरह का बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगाः उपराष्ट्रपति - Published on: 04.02.2020
भारत अपने अंदरूनी मामलों में किसी भी तरह का बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगाः उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कल कहा कि भारत अपने अंदरूनी मामलों में किसी भी तरह का बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने जोर दिया कि भारत की सुरक्षा, रक्षा और अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता।
इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित कौटिल्य फेलोज़ प्रोग्राम (केएफपी) के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए श्री नायडू ने कहा कि जम्मू और कश्मीर राज्य के दो केन्द्रशासित प्रदेशों- जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में पुनर्गठन किए जाने का मकसद है कि क्षेत्र के विकास में तेजी लाई जाए।
उन्होंने कहा कि भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के दर्शन में विश्वास करता है और पूरे विश्व को परिवार मानता है। उन्होंने कहा कि भारत ज्ञान और मेधा को साझा करने में विश्वास करता है और इसी आदर्श के तहत वह अपने संवाद और लोकसंपर्क को दिशा देता है।
श्री नायडू ने कहा कि यही दर्शन अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों को दिशा देता है। आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसका वित्त पोषण करने में भारत के एक पड़ोसी देश के प्रयासों के प्रति खेद व्यक्त करते हुए श्री नायडू ने कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की भावना पर विश्वास करता है। उन्होंने कहा कि भारत कभी आक्रांता देश नहीं रहा और उसने कभी अन्य देशों पर हमला नहीं किया है।
आतंकवाद को पूरी मानवता के लिए खतरा बताते हुए श्री नायडू ने कहा कि आतंकवाद का कोई संबंध धर्म से नहीं है और धर्म के साथ आतंकवाद को मिलाना सबसे बड़ी समस्या है।
उपराष्ट्रपति ने विश्व समुदाय और संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुराष्ट्रीय संगठनों से आग्रह किया कि वह भारत द्वारा प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र प्रस्ताव पर चर्चा पूरी करें। यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में 1996 से लंबित है। उन्होंने कहा कि विश्व समुदाय का यह कर्तव्य है कि वह हर आकार-प्रकार के आतंकवाद को समाप्त करे।
श्री नायडू ने कहा कि धर्म निरपेक्षता हर भारतीय के डीएनए में शामिल है, क्योंकि वे युगों पुराने सभ्यतामूलक मूल्यों में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में समस्त अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं।
श्री नायडू ने कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है और यदि इसी गति से यहां सुधार होते रहे तो यह विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
श्री नायडू ने कहा कि भारत अपनी समृद्ध युवा आबादी के जरिए मानव संसाधन के क्षेत्र में विश्व का केन्द्र बन सकता है। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रम युवाओं को शक्ति संपन्न बना रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर हम अपनी विशाल युवा आबादी की शिक्षा और कौशल का बेहतर प्रबंधन करें, तो हम निश्चित रूप से विश्व व्यापार केन्द्र के रूप में उभरेंगे।’
इस अवसर पर इंडिया फाउंडेशन के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सदस्य वाइस एडमिरल शेखर सिन्हा, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य श्री राम माधव और कौटिल्य फेलोज प्रोग्राम के 100 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित थे।
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उत्तर प्रदेश के चीनी मिल में पकडे गए चोर
नजीबाबाद (उत्तर प्रदेश): यहां की किसान सहकारी चीनी मिल से लोहे का स्क्रैप चुरा रहे छह लोगों को पकड़े जाने की खबर है, जिन्हें बाद में मिल के सुरक्षाकर्मियों ने पुलिस के हवाले कर दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, नजीबाबाद स्थित किसान सहकारी चीनी मिल के ठेकेदार ने मिल परिसर से कचरा उठाने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लगाई हुई हैं, जिनमें से एक ट्रैक्टर के चालक ने कचरा उठाते समय वहां पड़े स्क्रैप को भी ट्रॉली में भर लिया। इसका पता चलते ही मिल के सुरक्षाकर्मियों ने वहां पहुंचकर चालक और उसके साथियों को पकड लिया। पकड़े गए लोगों के नाम अजय, अभिषेक, टीपू, सोमपाल और विनीत बताए गए हैं, जिन्हें स्क्रैप बरामद करने के बाद पुलिस के हवाले कर दिया गया। मिल के सुरक्षा अधिकारी ने पुलिस में घटना की तहरीर दी। पुलिस पकडे़ गए लोगों से पूछताछ कर रही है। पता चला है कि मिल परिसर से कई दिनों से लोहा चोरी होने की शिकायतें आ रही थीं, जिसके बाद से मिल के सुरक्षाकर्मी सतर्क हो गए थे।
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चीनी उद्योग को विशेष पैकेज देकर पुनर्जीवित करने की है ज़रूरत: पूर्व कृषि मंत्री अजीत सिंह - Published on: 04.02.2020
चीनी उद्योग को विशेष पैकेज देकर पुनर्जीवित करने की है ज़रूरत: पूर्व कृषि मंत्री अजीत सिंह
नई दिल्ली, 5 फ़रवरी: केन्द्र सरकार देश के किसानों को आर्थिक रूप से ससशक्त और मजबूत बनाने के लिए कृत संकल्पित है। सरकार ने अपनी सोच को बजट के जरिए सार्थक करने की भरपूर कोशिश भी की है। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट को किसान हितैषी बनाते हुए बीते साल की तुलना में 18 फीसदी की ज्यादा बढ़ोत्तरी कर 2.83 लाख करोड़ का प्रावधान किया है जो किसानों के प्रति सरकार की सोच को रेखांकित करता हैं। ये बजट निश्चित तौर पर देश के अन्नदाता को न केवल खुशहाल और सम्पन्न बनाएगा बल्कि 2022 तक किसानों की आमदनी को दो गुना करने का बड़ा माध्यम भी बनेगा। कैलाश चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जहां कृषि और कृषि आधारित उद्योगों जैसे गन्ना और चीनी उद्योग को बढ़ावा देकर किसानों की आय बढ़ाने का काम किया है वहीं गन्ना किसानों को समय पर उनका बकाया दिलाने का काम भी किया है । चौधरी ने कहा कि जब चीनी मिलें आर्थिक तंगी से जूझ रही थी तब सरकार ने चीनी मिलों का जीर्णोद्धार करने के लिए बैल आउट पैकेज देकर उनको वित्तीय रूप से मजबूत करने का काम किया था। चौधरी ने कहा कि सरकार का मानना है कि चीनी मिलें मजबूत होगी तो गन्ना किसानों को समय पर उनका बकाया चुकाने में मदद मिलेगी ।
सरकार द्वारा आम बजट में खुद की पीठ थपथपाने और किसान हितैषी बनने का दावा करने पर सरकार को कठघरे में खडा करते हुए पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री अजीत सिंह ने कहा कि बजट में गन्ना किसानों के लिए कुछ भी नहीं दिया गया है, सरकार किसानों को भ्रमित कर रही है। गन्ना किसान और चीनी उद्योग के विकास के बिना किसानों की आमदनी को दो गुना करना हकीकत से काफी परे है। सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार बजट प्रावधानों को किसानों के लिहाज से उपयुक्त बता रही है जबकि हकीकत ये है कि बजट में किसानों के लिए कुछ भी खास प्रावधान नहीं है। सिंह ने कहा कि सरकार ने कृषि मंत्रालय से अलग कर पशुपालन, डेयरी और मततस्य पालन मंत्रालय का गठन तो कर दिया लेकिन बजट में ऐसा कुछ दिखा नहीं जिससे कहा जा सके कि सरकार ने दोनों मंत्रालयों के लिए अपेक्षित बजट दिया है। अजीत सिंह ने कहा कि देश के गन्ना किसानों को सरकार से उम्मीदें थी कि गन्ना बकाया मूल्य की सालों से चली आ रही समस्या से निजात के लिए सरकार बजट में कुछ पहल करेगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इसी तरह से चीनी उद्यमियों को भी बजट से पूरी आस थी कि सरकार चीनी उद्योगों के कायाकल्प करने औऱ उन्हे आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए वर्तमान गन्ना नीति में बदलाव करेगी या चीनी मिलों के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करेगी लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। सिंह ने कहा कि अगर देश के अन्नदाता को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है और उनकी आमदनी में इजाफा करना है तो गन्ना उद्योग और उससे संबद्द चीनी मिलों के लिए नई नीति बनाकर और विशेष पैकेज देकर पुनर्जीवित करने की ज़रूरत है।
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गन्ना किसानों का आरोप मुख्यमंत्री अपने वादे को निभाने में रहे हैं विफल
पोंडा:चीनी मंडी
बकाया भुगतान को लेकर गन्ना किसानों ने गोवा की संजीवनी सहकारी चीनी मिल के बाहर आज विरोध प्रदर्शन करने का फैसला लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि, राज्य के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत गन्ने के कुल बकाया में से 70% भुगतान करने के अपने वादे को निभाने में विफल रहे हैं और कहा कि किसानों को केवल 35% का बकाया प्राप्त हुआ है। पिछले महीने मिल में अपनी यात्रा के दौरान, सावंत ने किसानों को आश्वासन दिया था कि, संजीवनी मिल उनसे गन्ना खरीदेगी और उत्पादन की कीमत का 70% उन्हें गन्ना आपूर्ति होने के 15 दिनों के भीतर भुगतान किया जाएगा।
गन्ना की कमी सहित कई कारणों के वजह से संजीवनी चीनी मिल इस पेराई सत्र में नहीं चल पाई है।और राज्य का गन्ना पडोसी राज्य कर्नाटक में भेजा गया है। आपको बता दे, बंद संजीवनी चीनी मिल अगले पेराई सत्र को फिर से शुरू करने की मांग को लेकर किसानों ने आंदोलन करने की धमकी दी थी और सरकार से इस पर और उनकी लंबित मांगों पर लिखित आश्वासन देने की मांग की है। विभिन्न कठिनाइयों के कारण गोवा के किसान अपने गन्ने को कर्नाटक भेजने का विरोध कर रहे हैं।
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चीनी मिल चालू कराने को लेकर गन्ना किसानों ने किया हंगामा
मोरना (उत्तर प्रदेश)। एक हफ्ते से बंद पड़ी मोरना की चीनी मिल को चालू कराने की मांग पर यहां के किसानों ने जमकर हंगामा किया, जिसके बाद प्रबंधन ने मिल को जल्द से जल्द शुरू करने का आश्वासन दिया।
बता दें कि कथित रूप से किसी तकनीकी खराबी के कारण यहां की मोरना चीनी मिल 27 जनवरी से बंद पड़ी है तथा गन्ने की तौल भी नहीं की जा रही। इससे किसान परेशान हैं। एक तरफ खेतों में पड़ा उनका गन्ना खराब हो रहा है, तो दूसरी ओर मिल में लाया गन्ना भी एक सप्ताह से ट्रैक्टर, ट्रालियों व भैंसा बुग्गी में ही लदा हुआ सूख रहा है। इसे लेकर परेशान किसानों ने मिल में हंगामा किया, जिसके बाद मिल प्रसाशन ने आश्वासन देकर उन्हें शांत कराया। किसानों ने मिल में आई खराबी को ठीक करके जल्द से जल्द मिल को शुरू करने या उनके गन्ने को अन्य मिलों में भेजने की व्यवस्था करने मांग की। किसानों की मांग है उनका गन्ना दूसरे चीनी मिल में भेजा जाए।
उधर, मिल प्रबंधन का कहना है कि मिल में जेनरेटर की सुविधा स्थापित की जा रही है, जिसका काम पूरा होते ही मिल को फिर से चालू कर दिया जाएगा।
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जिजामाता चीनी मिल शुरू करने के लिए हर मुमकिन कोशिश करने के आदेश
मुंबई: चीनी मंडी
सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल ने विदर्भ की पहली चीनी मिल के रूप में जानी जाने वाली जिजामाता सहकारी चीनी मिल (तालुका: सिंदखेडराजा) को फिर से शुरू करने उचित कार्यवही करने के आदेश दिए है। बुलढाना के पालकमंत्री डॉ. राजेंद्र शिंगने ने बंद पड़ी जिजामाता मिल शुरू करने के प्रयास में जुटे है। इसके चलते सहकारिता मंत्री पाटिल ने मुंबई में बैठक की, इस वक्त डॉ. शिंगने और अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में मंत्री पाटिल द्वारा अधिकारीयों को निर्देश दिए गये है की, मिल जल्द से जल्द शुरू करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जाए। पालकमंत्री डॉ. राजेंद्र शिंगने ने कहा की, जिजामाता चीनी मिल फिर से शुरू करना उनका ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ है। डॉ. शिंगने द्वारा सहकार विभाग द्वारा चीनी मिल शुरू करने की मांग की गई।
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हरियाणा की चीनी मिलों में मिलेगा 10 रुपए में भोजन; मिल कर्मचारी, गन्ना किसान होंगे लाभान्वित - Published on: 03.02.2020
हरियाणा की चीनी मिलों में मिलेगा 10 रुपए में भोजन; मिल कर्मचारी, गन्ना किसान होंगे लाभान्वित
कैथल (हरियाणा): हरियाणा की चीनी मिलों में कैंटीन खोले जाएंगे, जिनमें 10 रुपए में भोजन दिया जाएगा। इसका लाभ मिल कर्मचारियों और मजदूरों के साथ ही यहां गन्ना लेकर आनेवाले किसानों को भी मिल सकेगा।
बता दें कि मुक्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य की मंडियों में सस्ते दाम पर भोजन उपलब्ध कराने की घोषणा की थी तथा करनाल में अटल किसान कैंटीन खोलकर योजना की शुरुआत की गई थी। अब कैथल सहित राज्य की सभी 10 सहकारी चीनी मिलों में भी कैंटीन खोलने की योजना है, जिनमें टोकन सिस्टम से किसानों, मिल कर्मचारियों और मजदूरों को दोपहर का भोजन दिया जाएगा। प्रति थाली मूल्य 10 रुपए रखा गया है। मिल का प्रबंधन सब्सिडी के माध्यम से बाकी का खर्च उठाएगा। इसके लिए जल्द ही टेंडर खोले जाने की संभावना है।
कैथल चीनी मिल के प्रबंधक निदेशक ने बताया कि मिल में कैंटीन खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। खबरों के मुताबिक, चीनी मिल द्वारा जिले के किसानों का कुल 40 लाख क्विंटल गन्ने को 160 दिनों में पिराई करने का लक्ष्य निर्धारित किया। अब तक 73 दिनों में मिल ने करीब 17 लाख 40 हजार क्विंटल गन्ना की पिराई की है, जिससे 1 लाख 61 हजार 450 क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ है। पिछले साल 22 नवंबर से शुरू हुए पिराई सत्र के 30 अप्रैल तक चलाने का अनुमान है।
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बजट में चीनी उद्योग के लिए कोई ठोस प्रावधान नही: राजू शेट्टी
कोल्हापुर : चीनी मंडी
स्वाभिमानी शेतकरी संघठन के नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण द्वारा पेश किए गए बजट पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा की, इस बजट में कुछ भी नया नही था। शेट्टी ने कहा की, चीनी उद्योग के लिए कोई ठोस प्रावधान नही है। उन्होंने बजेट के विविध मुद्दों पर भी नाराजगी व्यक्त की।
बजट में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, ग्रामीण क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए कई प्रावधान किए है। उन्हें बजट को पढने में ढाई घंटे से जादा का समय लगा।इस बजट पर अब भिन्न भिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। स्वाभिमानी शेतकरी संघठन के नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने बजट पर नाराजगी जताई है। शेट्टी ने कहा की, यह कहा जा रहा की वित्त मंत्री ने बजट द्वारा किसानों को काफी कुछ दिया है, लेकिन यह सरासर गलत है। सिर्फ योजना बनाकर किसानों की हालत में सुधार नही होगा। किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है, आत्महत्या बढ़ रही है, बुनियादी सुविधाओं की कमी है। बजट में किसानों के लिए कोई भी नई बात नही है। सरकार ने केवल खयाली पुलाव पकाने का काम किया है।
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चीनी मिल के इंस्पेक्टर की रोचक रिटायरमेंट: गन्ना किसानो ने दी 15 लाख की कार, 10 लाख नगद और बुलेट - Published on:
चीनी मिल के इंस्पेक्टर की रोचक रिटायरमेंट: गन्ना किसानो ने दी 15 लाख की कार, 10 लाख नगद और बुलेट
सोनीपत : चीनी मंडी
गन्ना किसान और चीनी मिल कर्मियों के रिश्ते में कभी कभी खटास दिख जाती है लेकिन हरयाणा के सोनीपत में एक चीनी मिल में इससे कुछ हटके तस्वीर दिखाई दी, जहाँ रिटायरमेंट के समय चीनी मिल के इंस्पेक्टर पर किसानों द्वारा उपहारों की बौछार करते नजर आए। महाबीर सिंह, जिन्होंने अपनी पूरी जिन्दगी में किसानों के सेवा में झोंक दी, उनके रिटायरमेंट के वक्त नोट की माला, कार और बुलेट भेट देकर उनका सम्मान किया गया। उपहार में मिली, 15 लाख की कार, 10 लाख रूपयें नगद और बुलेट पाकर महाबीर सिंह भावुक हो गए और उन्होंने सभी गांव वालोँ का शुक्रिया अदा किया।
गन्ना किसान ओमकुंवर दहिया ने कहा की, महाबीर सिंह अपने 35 साल के सर्विस के दौरान हमेशा ही किसानों के मदद के लिए खड़े रहे। उन्होंने हमेशा ही किसानों के हितों का प्राथमिकता दी, इसलिए हम गांव वालों ने उनकी विदाई यादगार बनाने का फैसला किया था। जिस मिल कर्मचारी ने जीवनभर किसानों के लिए काम किया, और जब वह कर्मचारी अपने काम से रिटायर हुआ, तब किसानों ने उसकी रिटायरमेंट को यादगार लम्हों में बदल दिया। महाबीर सिंह के सेवानिवृत्त होने पर, क्षेत्र के किसानों ने उन्हें 15 लाख रुपये की एक कार, एक बुलेट और 10 लाख रुपये के नोटों की माला देकर विदाई दी।
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गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में अधिक से अधिक एटीएम सुविधा की जरूरत
पटना, 04 फरवरी: केन्द्र सरकार देश में स्वच्छ और पारदर्शी शासन देने के लिए डिजीटल सेवाओं को बढावा दे रही है। इसके लिए ऑन लाइन सिस्टम को ग्राउंड जीरो पर लागू किया जा रहा है ताकि नागरिक सेवाओं की सर्व सुलभ पहुंच बढ़े। केन्द्र सरकार की इस पहल को राज्य सरकारें भी अपना रही है।
बिहार और यूपी जैसे राज्यों में इन सेवाओं के जरिए आमजन को उनका हक दिलाने में जुटी राज्य सरकारों ने केन्द्र से इस दिशा में सहयोग की अपील की है। बिहार जैसे राज्यों में बैंकिग सेवाओं में डिजीटल तकनीक के विस्तार के लिए राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया है ताकि ग्रामीण इलाकों में बैंको का विस्तार हो और ऑन लाइन बैंकिंग के बढ़ावा मिल सके। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने पटना में मीडिया से बात करते हुए कहा कि बिहार विकास की ओर अग्रसर हो रहा है। राज्य सरकार का मकसद है कि प्रदेश की हर पंचायत में बैंको की शाखा खुलनी चाहिए ताकि गन्ना किसानों को चीनी मिलों द्वारा दिया जाने वाले बकाया की राशि तुरन्त उनके खाते में स्थानांतरित हो। उप मुख्यमंत्री मोदी ने कहा कि गन्ना उत्पादक ग्राम पंचायतों में अगर बैंक होंगे तो किसानों के खाते में आए गन्ना बकाया के पैसे निकालने की सहुलियत भी होगी। सुशील मोदी ने कहा कि हमारा भारत सरकार से आग्रह हो कि प्रदेश में पंचायत स्तर बैंको की शाखा खुलनी चाहिए और हर गांव में बैंक एटीएम की सुविधा होनी चाहिए। मोदी ने कहा कि उन्होने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस संदर्भ में बैंकिग सेवाओं के विस्तार के लिए पत्र भी लिखा है।
उन्होंने कहा है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) एटीएम की सुविधा उपलब्ध नहीं कराता है. बिहार के गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में अधिक से अधिक एटीएम सुविधा की जरूरत है. दूसरी ओर त्योहार के मौसम में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के एटीएम में नगदी नहीं रहने से लोगों को काफी असुविधा होती है.
गावों में बैंकिग सेवाओं के विस्तार से गन्ना किसानों के होने वाले फायदों पर बात करते हुए बिहार सरकार में गन्ना मंत्री बीमा भारती ने कहा कि गन्ना उत्पादक इलाकों में बैंकिग सेवाओं को बढावा देने और एटीएम खोलने से गन्ना किसानों को अपने घर के पास गांव में ही एटीएम सुविधा होने से वक्त बे वक्त नगदी निकालने में दिक्कत नहीं होगी। गांवो में बैंको की शाखाएं खुलने, एटीएम खुलने, उपभोक्ताओं को डिजीटल पासबुक मिलने, प्रिंटिग की सुविधा मिलने जैसी सुविधाएं देने से किसानों को न केवल फायदा होगा बल्कि बैंको में घंटो लाइन में लगने की समस्या से भी निजात मिलेगी।
मंत्री ने कहा कि आज भी बिहार की पांच हजार ग्राम पंचायतों में स्थाई शाखाएँ नहीं है। बिहार के पूर्वी चंपारण के गन्ना किसान राम रतन सिन्हा ने कहा कि हमारे यहां गन्ना की खेती काफी होती है। सरकार ने चीनी मिलों को गन्ना किसानों का बकाया उनके खाते में डालने की व्यवस्था कर रखी है। लेकिन गांवो में आज भी हर जगह बैंक नहीं है इसलिए गन्ना किसानों को उन रुपयों को निकालने के लिए दूर कस्बे में जाना पडता है। अगर गांव में ही बैंक की शाखा खुल जाए या एटीएम लग जाए तो हम किसानों को जरूरत के वक्त परेशानी नहीं होगी। त्योंहार के वक्त नगदी नहीं होने से हम लोगों को काफी परेशानियों का समना करना पड़ता है। ऐसे में अगर सरकार हमारे लिए बैंक या एटीएम सुविधा प्रदान कराती है तो यह हमारे लिए सरकार की तरफ से खुशियों की सौग़ात होगी ।
गौरतलब है कि देश के आजाद होने के बाद, 1969 में बैंको के राष्ट्रीय होने के बाद इनकी शाखाओं का विस्तार तो हुआ है लेकिन आम आदमी तक बैंको की सर्व सुलभ पहुंच नहीं हो पायी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों के नए भारत के निर्माण के लिए जरूरी है कि देश की हर पंचायत में न केवल बैंकिंग सेवाओं का विस्तार हों बल्कि ग्राम स्तर पर एटीएम की व्यवस्था भी हो ताकि किसानों के घर बैठे वित्तीय लेनदेन और निकासी की सुविधा मिल सके।
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ISO ने पड़ोसी देशों को भारत से चीनी आयात करने की दी सलाह
पुणे: पूरे विश्व में गत कुछ साल से चीनी के अधिशेष उत्पादन को देखने के बाद इंटरनेशनल शुगर ऑर्गेनाइजेशन (ISO) के कार्यकारी निदेशक जोस ऑरिव ने वैश्विक बाजार के लिए सीजन 2019-20 में चीनी की कमी का अनुमान जताया है।
भारत भी चीनी के अधिशेष के साथ कुछ वैश्विक उत्पादकों में से है और इसलिए ISO पड़ोसी देशों बांग्लादेश, म्यांमार, अफगानिस्तान और इंडोनेशिया सहित अन्य को भारत से चीनी आयात करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल विश्व बाजार में चीनी कीमतों में सुधार होगा, बल्कि मांग-आपूर्ति की स्थिति में भी स्थिरता होगी।
ऑरिव ने गत शुक्रवार को पुणे में चीनी और संबद्ध उद्योग में स्थिरता – नवाचार और विविधीकरण पर दूसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में यह बात कही।
इस सीजन उत्पादन में गिरावट के बावजूद भारत में फिलहाल चीनी अधिशेष है और सरकार ने 6 मिलियन टन निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए चीनी सब्सिडी को भी मंजूरी दी है। ISO को चीनी की कीमतों में धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद है। इस सीजन भारत, थाईलैंड में चीनी उत्पादन में गिरावट के कारन वैश्विक उत्पादन में कमी आई है।
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“आम बजट से न तो गन्ना किसानों को कुछ फायदा होगा और न ही चीनी उद्योग का कायाकल्प होगा” – रोहित पवार - Isha Waykool Published on: 02.02.2020
“आम बजट से न तो गन्ना किसानों को कुछ फायदा होगा और न ही चीनी उद्योग का कायाकल्प होगा” – रोहित पवार
नई दिल्ली, मुंबई, 2 फरवरी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के दूसरे कार्यकाल के दूसरे आम बजट 2020-21 में देश के गांव, गरीब और किसानों के कल्याण और विकास के लिए कई तरह के प्रावधान किए गए है। ग्रामीण विकास से जुडे बज इस में सरकार ने इस बार बीते साल के 2.40 करोड़ रूपये की तुलना में बढ़ोतरी करते हुए 2.83 लाख करोड़ रूपयों की सौगात दी गयी है।
आम बजट मे कृषि से जुडे प्रावधानों के दूरगामी प्रभावों पर बात करते हुए इंडियन सुगर मिल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रोहित पवार ने मुंबई से फोन लाइन पर बात करते हुए कहा कि बजट में मोदी सरकार ने सिर्फ आंकडों की जादूगरी की है और मीडिया फ्रेंडली बजट बनाया गया है जिसमें प्रेस के लिए मसाला तो बहुत कुछ है लेकिन किसानों के लिए कुछ नहीं है। पवार ने कहा कि बजट में हर साल नई घोषणाएं की जाती है लेकिन बीते साल के बजट की घोषणाएं नए बजट से पहले दम तोड चुकी होती है। रोहित पवार ने कहा कि वर्तमान बजट से न तो गन्ना किसानों और इसकी खेती को कुछ फायदा होगा और न ही चीनी उद्योग का कायाकल्प होगा। जब सरकार ने गन्ने का एमएसपी बढाने और गन्ने का उत्पादन अधिक होने की स्थिति में इन्सेन्टिव देने की पहल की थी तो सभी ने स्वागत किया था। उसके बाद चीनी मिलोे के लिए अतिरिक्त आमदनी का जरिया तैयार करने के लिए इथेनॉल बनाने की अनुमति देना भी अच्छी पहल रही। इसी क्रम में पैट्रोल कम्पनियों के लिए 10 फीसदी इथेनॉल मिलाने की बाध्यता को लागू करना सरकार का अच्छा फैसला रहा। सरकार के इन निर्णयों के बाद देश के चीनी उद्योग को उम्मीद थी कि बजट में कुछ विशेष प्रावधान किए जाएगें लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। आम बजट चीनी उद्योग के लिए ऊंट के मुंह में जीरा की कहावत चरितार्थ करता है। बजट में गन्ने की खेती करने वाले किसानों के लिए भी कुछ अलग से नहीं किया गया है।
आम बजट पर मीडिया से अपनी राय प्रकट करते हुए भारत सरकार के कृषि एवं बागवानी आयुक्त डॉ एस के मल्होत्रा ने कहा कि बजट सबका साथ और सबका विकास की थीम पर आधारित है। बजट में गांवो के विकास के लिए सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं को 1.23 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए है उससे स्थानीय स्तर पर कोल्ड स्टोरेज बनाने के प्रावधान किए गए है। जिससे गन्ना से तैयार होने वाले ज्यूस और अन्य उत्पादों के अलावा अन्य कृषि उत्पादों को प्रसंस्कृत किया जा सके और बाजार में बिक्री के लिए भेजा जा सके। इसी तरह कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण के लिए 1,232.94 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे गन्ना प्रसंस्करण और चीनी उद्योग के अलावा अन्य औद्योगिक इकाइयाँ लगाने में मदद मिलेगी। डॉं मल्होत्रा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच गन्ने की कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत किस्मों की आज जरूरत है। इन सभी की पूर्ति के साथ कृषि के समग्र विकास के लिए बजट में कृषि शोध आधारित 8,362.58 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया है। सरकार द्वारा ’किसान रेल’ चलाने के प्रावधान करने के अलावा ’कृषि उड़ान’ की शुरुआत एक अच्छी पहल है इससे एक ओर जहां गन्ना और चीनी उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा वहीं खेती और किसानी से जुडे अन्य कृषि व्यापार और कारोबार को बढ़ावा भी मिलेगा। मल्होत्रा ने कहा कि बजट में सोलर पंप के लिए 20 लाख किसानों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता से गन्ना किसानोें को सिंचाई में जहां मदद मिलेगी वहीं सौर ऊर्जा के विकल्प खुलने से चीनी मिलों सो मंहगी होती बिजली से निजात भी मिलेगी।
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इथेनॉल उत्पादन और चीनी मिलों के लिए जीएसटी मानदंडों के अनुपालन को लेकर ‘साखर क्रांति 2020’ को आयोजन - Isha Waykool Published on: 03.02.2020
इथेनॉल उत्पादन और चीनी मिलों के लिए जीएसटी मानदंडों के अनुपालन को लेकर ‘साखर क्रांति 2020’ को आयोजन
कोल्हापुर: चीनी मंडी
आर्थिक तरलता की समस्या से परेशान चीनी उद्योग के लिए अतिरिक्त राजस्व का विकल्प बनकर उभरा है इथेनॉल। चीनी अधिशेष को कम करते हुए, आने वाले वर्षों में इथेनॉल उत्पादन क्षमता और अधिक बढने की संभावना है। इसके अलावा, मिलों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने, चीनी की कीमतों को मजबूत करने और केंद्र सरकार के 2030 तक पेट्रोल के साथ 20% इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करने के लिए यह मददगार साबित हो सकता है।इसके चलते कई मिलों ने इथेनॉल क्षमताओं का विस्तार करने के लिए आगे कदम बढ़ाया है।
इस बार, चीनी मिलों ने चीनी से जादा इथेनॉल उत्पादन पर भरोसा किया है और ‘इथेनॉल निति’ चीनी उद्योग के लिए अमृत साबित होती है, की नही इस पर निगाहे टीकी है। KDAM & Associates, ने 8 फरवरी 2020 को कोल्हापुर के होटल सयाजी में महाराष्ट्र के चीनी उद्योग के सभी हितधारकों के लिए एक राज्य स्तरीय संगोष्ठी ‘साखर क्रांति 2020’ का आयोजन किया है। इस संगोष्ठी में कई विशेषज्ञ इथेनॉल निर्माण और भविष्य की रणनीति के लाभों पर प्रकाश डालेंगे।
ChiniMandi.com के साथ बातचीत में, KDAM & Associates के पार्टनर श्री अशीष देशमुख ने कार्यक्रम के आयोजन पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि, “जीएसटी एक्ट के नियम 42/43 की उचित समझ से चीनी मिलों की कार्यशील पूंजी में पर्याप्त बचत होगी। जीएसटी एक्ट और जीएसटी ऑडिट के नियम 42/43 पर जीएसटी एक्सपर्ट- सीएमए महिंद्रा भोम्बे का एक अलग सत्र होगा। बुजी शुगर ( मोजाम्बिक, अफ्रीका) के निदेशक श्री जयदीप, द्वारा ‘कार्यशील पूंजी प्रबंधन’ पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
उन्होंने कहा कि, इस संगोष्ठी में प्रख्यात वक्ताओं द्वारा चीनी उद्योग में ग्लोबल ट्रेंड, ऑटोमेशन आदि विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। कार्यक्रम का उद्घाटन महाराष्ट्र राज्य के सहकारिता और विपणन मंत्री बालासाहेब पाटिल और चीनी आयुक्त श्री सौरभ राव के हाथों किया जाना है। यह संगोष्ठी महाराष्ट्र के चीनी उद्योग के एमडी, मुख्य लेखाकार, डिस्टिलरी प्रबंधक, इंजीनियरिंग प्रमुख, विशेषज्ञों आदि के लिए खुला है।
रजिस्ट्रेशन या अधिक जानकारी के लिए 7758060463 पर संपर्क करें
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चीनी मिलों को घाटे से उबारने के लिए सारे प्रयास किये जाने चाहिए: पंजाब के सहकारिता मंत्री - Isha Waykool Published on: 03.02.2020
चीनी मिलों को घाटे से उबारने के लिए सारे प्रयास किये जाने चाहिए: पंजाब के सहकारिता मंत्री
चंडीगढ़: गन्ने की पैदावार बढ़ाने और चीनी मिलों को घाटे से उबारने के सारे प्रयास किये जाने चाहिए ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो और कृषि क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसर पैदा हों। यह न केवल गन्ने की खेती को एक आकर्षक पेशा बनाएगा बल्कि कृषि क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसर पैदा करेगा। साथ ही यह पंजाब और अन्य उत्तरी राज्यों से अन्य देशों में युवाओं के पलायन को रोकने में मदद करेगा। ये विचार पंजाब के सहकारिता मंत्री एस सुखजिंदर सिंह रंधावा ने गत शुक्रवार को पुणे के वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट (वीएसआई) में चीनी और संबद्ध उद्योग में स्थिरता, नवाचार और विविधीकरण पर द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। पूर्व केंद्रीय मंत्री और वीएसआई के अध्यक्ष शरद पवार, महाराष्ट्र पीडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चव्हाण, सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल, आबकारी मंत्री दिलीप वालसे पाटिल और महानिदेशक, वीएसआई पुणे के शिवाजीराव देशमुख भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए एस. रंधावा ने शरद पवार और शिवाजीराव देशमुख द्वारा महाराष्ट्र और आसपास के राज्यों के गन्ना किसानों की मदद करने और नवीनतम गन्ने की खेती और जल संरक्षण तकनीकों को अपनाने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि वीएसआई देश में अपनी तरह का एकमात्र संस्थान है, जो न केवल महाराष्ट्र के गन्ना उत्पादक और कारखानों बल्कि अन्य राज्यों में भी सहायता करता है। गन्ना उत्पादकों को विज्ञान और टेक्नोलोजी के नए मोर्चे का पता लगाने से लेकर, जनमत को ढालने से लेकर चीनी उद्योग के सभी वर्गों के लिए एक मंच बनाने तक, वीएसआई के अलावा किसी भी संगठन ने उद्योग के लिए इतना कुछ नहीं किया है।
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब सरकार ने राज्य में सहकारी चीनी मिलों के पुनरुद्धार के सुझाव के लिए महानिदेशक और विशेषज्ञों के समूह के लिए VSI के अन्य विशेषज्ञों को भी नामित किया है। उन्होंने कहा कि वे खुश हैं कि वीएसआई और अन्य विशेषज्ञों ने समूह के विचार-विमर्श में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने आगे कहा कि पूरा भारत, गन्ना उद्योग और किसान बाजार की मौजूदा स्थितियों के कारण संकट का सामना कर रहा हैं। ऐसे परिदृश्य में गन्ना किसानों और महाराष्ट्र और पंजाब की सरकारों के बीच समन्वय संकट से निपटने के लिए गन्ने की खेती और उद्योग में भविष्य की योजना का मसौदा तैयार करने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
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गन्ना शोध संस्थानों में निवेश बढानें की जरूरत: शरद पवार
पुणे : चीनी मंडी
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि, चीनी उद्योग से संबंधित शोध अनुसंधान संस्थांनों मे निवेश बहुत कम है, इसलिए भविष्य में मांग के बावजूद, चीनी उद्योग चीनी के साथ साथ बिजली, इथेनॉल कि आपूर्ति नही कर सकता है। चीनी उद्योग को सशक्त बनाने के लिए अनुसंधान संस्थानों को मजबूत करने की जरूरत है, जिसके लिए निवेश बढाने की आवश्यकता है।
वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट (वीएसआई) द्वारा आयोजित चीनी और संबद्ध उद्योग में स्थिरता – नवाचार और विविधीकरण पर द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पवार उद्घाटन भाषण दे रहे थे। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय चीनी महासंघ के कार्यकारी निदेशक डॉ.जोस ऑरिव्ह, पंजाब के सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, श्रम मंत्री दिलीप वलसेपाटिल, जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल, जल संसाधन राज्यमंत्री शंकरराव गडाख, गृहराज्य मंत्री सतेज पाटिल आदि उपस्थित थे।
पवार ने कहा कि, वीएसआई किसानों द्वारा स्थापित देश का एकमात्र संस्थान है। दुनियाभर के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से चीनी उद्योग को आगे ले जाने के प्रयास चल रहें है। चीनी उद्योग के विकास के लिए सभी लोगों को एक साथ आगे आने की जरूरत है। डॉ.जोस ऑरिव्ह ने कहा कि, भारत ने चीनी उद्योग का नेतृत्व अपने बलबुते पर अपने पास लाया है। जल्द ही भारत वैश्विक बाजार में ब्राजील से आगे निकलने वाला पहला देश होगा। भारत के इथेनॉल निति के कारण चीनी अधिशेष में काफी कमी हुई है।
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गन्ना भुगतान न करने पर चीनी मिलों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी - Isha Waykool Published on: 01.02.2020
गन्ना भुगतान न करने पर चीनी मिलों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी
बिजनौर : गन्ना बकाया भुगतान को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार सख्त हो गई है, और भुगतान में विफ़ल मिलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। बिजनौर जिले की छह चीनी मिलों को शुरू पेराई सत्र के भुगतान में देरी करने पर नोटिस जारी किया गया है। इन मिलों ने किसानों को इस साल का भुगतान अभी तक पूरी तरह से नही किया है। कई मिलों का आधा पेराई सत्र पूरा हो चुका है। जिले की केवल बुंदकी, बहादरपुर व नजीबाबाद चीनी मिल किसानों को समय से भुगतान कर रही हैं, लेकिन बाकी छह चीनी मिलें समय से भुगतान नहीं कर रही हैं।
भुगतान में देरी करने वाली छह मिलों में से कई चीनी मिलों को बैंकों से सीसीएल मंजूर हो गई है। जिला गन्ना अधिकारी यशपाल सिंह के अनुसार भुगतान के लिए चीनी मिलों को नोटिस जारी किए गए हैं। भुगतान के लिए चीनी मिलों पर पूरा दबाव बनाया गया है।
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बिहार में गन्ना किसानों को ड्रिप सिंचाई का प्रशिक्षण; डेढ़ गुनी होगी गन्ने की उपज - Isha Waykool Published on: 01.02.2020
बिहार में गन्ना किसानों को ड्रिप सिंचाई का प्रशिक्षण; डेढ़ गुनी होगी गन्ने की उपज
बेतिया (बिहार): यहां के किसानों को ड्रिप सिंचाई पद्धति से गन्ने की खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण में बड़ी संख्या में स्थानीय किसानों के साथ ही सरकारी और मिल अधिकारियों ने भी भाग लिया।
कृषि सचिव एन. सरवन कुमार ने कहा कि ड्रिप सिंचाई पद्धति से गन्ने की खेती करने से उपज डेढ़ गुना बढ जाती है तथा सिंचाई का पानी और खाद भी कम खर्च होता है, जिससे किसानों का लाभ बढ़ जाता है। लौरिया एचपीसीएल बायोफ्यूल्स लिमिटेड स्थित किसान भवन में गुरुवार को आयोजित इस प्रशिक्षण शिविर में उन्होंने ड्रिप सिंचाई पद्धति से गन्ने की खेती करने के फायदों से किसानों को अवगत कराया और कहा कि इसमें कम मजदूर लगते हैं जिससे लागत भी कम हो जाती है। इसके लिए सरकार सब्सिडी दे रही है तथा चीनी मिल भी किसानों को कर्ज देंगे।
जिलाधिकारी डा. निलेश रामचंद्र देवरे ने अन्य राज्यों से तुलना करते हुए कहा कि बिहार में प्रति एकड़ गन्ने की उपज काफी कम है, जिसे ड्रिप सिंचाई पद्धति से बढ़ाने की जरूरत है।
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चीनी निर्यात प्रदर्शन पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफलता के संबंध में सरकार ने जारी की अधिसूचना - Isha Waykool Published on: 30.01.2020
चीनी निर्यात प्रदर्शन पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफलता के संबंध में सरकार ने जारी की अधिसूचना
नई दिल्ली: खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने आज चीनी मिलों द्वारा निर्यात प्रदर्शन पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफलता के संबंध में एक अधिसूचना जारी किया है। आपको बता दे, 3 जनवरी, 2020 को खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) ने चीनी सीजन 2019-20 के लिए चीनी मिलों के निर्यात प्रदर्शन की समीक्षा करने के लिए दिशानिर्देश जारी किया था। चीनी मिलों के निर्यात प्रदर्शन का फिर से आकलन करने के लिए, उन्हें एक त्रैमासिक रिपोर्ट के साथ निर्यात अनुबंध की एक कॉपी 3 फरवरी, 2020 तक प्रस्तुत करने के लिए अनुरोध किया गया है।
उक्त जानकारी dtesug.fpd@nic.in पर ईमेल के माध्यम से भेजी जा सकती है। DFPD द्वारा 30 जनवरी 2020 को जारी अधिसूचना के अनुसार, यदि कोई चीनी मिल कट-ऑफ तारीख तक निर्यात प्रदर्शन की अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करती है, तो यह माना जाएगा कि संबंधित चीनी मिल ने किसी अनुबंध पर हस्ताक्षर नहीं किया है या किसी भी मात्रा में निर्यात नहीं किया है। तदनुसार कटौती उनके MAEQ से की जाएगी और दिशानिर्देशों के अनुसार पुन: वितरित की जाएगी।
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सासामुसा चीनी मिल बंद होने से प्रभावित गन्ना किसान आंदोलन की राह पर - Isha Waykool Published on: 30.01.2020
सासामुसा चीनी मिल बंद होने से प्रभावित गन्ना किसान आंदोलन की राह पर
गोपालगंज (बिहार): यहां के सासामुसा स्थित चीनी मिल को बंद हुए चार दिन हो गए, और ऐसा आरोप है की किसानों और मिलकर्मियों की परेशानियों को दूर करने के लिए अब तक न तो मिल प्रबंधन और न ही सरकार की ओर से कोई ठोस सूचना दी गई है। चार दिनों से गन्ना के भुगतान और बचा गन्ना गिराने के लिए परेशान किसानों ने अब आंदोलन की राह पर चलने की तैयारी शुरू कर दी है।
खबरों के मुताबिक, आसपास के गांवों के किसान बुधवार को जगह-जगह बैठकें कर आंदोलन की तैयारी करते देखे गए। उन्होंने कहा कि सरकार इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान नहीं करेगी तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे। यहां के ढेबवा, बरनैया, पहाड़पुर, टोला सिपाया, तिवारी मटीहिनिया, दुर्ग मटीहिनिया, सासामुसा, बनकटा आदि गांवों के किसान आपस में मिलकर आगे की रणनीति बना रहे हैं। किसानों ने कहा कि यह उनके लिए जीवन-मरण का प्रश्न है। किसानों की सारी जमापूंजी मिल की तिजोरी में बंद है। पदाधिकारी इस बारे में कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में अब उन्हें आंदोलन का रास्ता ही अपनाना होगा।
बता दें कि मिल का प्रबंधन 26 जनवरी की सुबह मिल बंद करके अचानक गायब हो गए था, तब से उनका कोई अता-पता नहीं। मिल में ताला लगा हुआ है। मिल-कर्मियों और किसानों का करोड़ों रुपया मिल में फंसा हुआ है। कुछ गन्ना अभी भी खेतों में ही पड़ा है। किसान अपनी फंसी हुई राशि मिल से निकालने के साथ ही गन्ने को गिराने को लेकर परेशान है। इस बीच, खबर मिली है कि मिल प्रबंधन 31 जनवरी को गन्ना विभाग और सेंट्रल बैंक के अधिकारियों के साथ बैठक करने जा रहा है, जिसके बाद ही मिल का भविष्य तय हो सकेगा।
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चीनी मिल द्वारा गन्ना कटाई मजदूरों के बच्चों को शिक्षित करने की पहल… - Isha Waykool Published on: 30.01.2020
चीनी मिल द्वारा गन्ना कटाई मजदूरों के बच्चों को शिक्षित करने की पहल…
अहमदनगर : चीनी मंडी
गरीब गन्ना कटाई मजदूरों और उनके बच्चों की शिक्षा की समस्या बहस का विषय है, बहुत कम लोग इसे हल करने के लिए पहल करते हैं, लेकिन अहमदनगर जिले के अकोले तालुका में अगस्ती सहकारी चीनी मिल ने गरीब मजदूरों के बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए इसकी पहल की है। मिल ने एक स्वतंत्र कर्मचारी को पिछले 10 वर्षों से इन बच्चों को स्कूल के पाठ पढ़ाने के लिए कार्यरत कर रखा है।
महाराष्ट्र में हर साल लगभग 12 लाख गन्ना कटाई मजदूर चीनी मिलों में कटाई के जाते हैं। चूंकि कई परिवारों के पास गाँव में बच्चों को संभालने कि कोई भु सुविधा नही होती हैै, इसलिए वे उन्हें अपने साथ ले जाते हैं। इसलिए, यह बच्चे तकरीबन छह महीने तक शिक्षा और स्कूल से दूर रहते है। जिससे वो आगे कि जिंदगी में भी ठिक से स्कूली पढाई नही कर पाते। दुसरी तरफ राज्य में बहुत सारी चीनी मिलों में कोई भी सुविधा अच्छी हालत में नहीं है, स्कूल तो बहुत दूर कि बात है। मिल में पेराई सीजन में बहुत अधिक यातायात होती है और माता-पिता दोपहर में कुछ समय के लिए ही घर पर आते हैं। इसलिए बच्चे मिल परिसर में स्कूल नहीं जा पाते हैं। उन बच्चों को भी ज़िम्मेदारियाँ होती हैं, जैसे कि अपने से छोटे भाई-बहनों की देखभाल करना, अपने जानवरों की देखभाल करना, उनके टूटेफुटे घर की सुरक्षा करना। इसलिए, गन्ना श्रमिकों की अगली पीढ़ी सीख नहीं रही है। जिससे गन्ना कटाई मजदूरों के बच्चों की शिक्षा का सवाल बहुत गंभीर बना हुआ है।
मजदूरों के गाँवों में छात्रावास ठीक से काम नहीं कर रहे है, इसलिए वहाँ विभिन्न प्रयोग किए जा रहे है। अगस्ती सहकारी चीनी मिल द्वारा शुरू किया गया चीनी स्कूल का प्रयोग सफल रहा है। आशा है कि, इस पहल का हर जगह पालन किया जाएगा, जिससे गन्ना मजदूरों कि आनेवाली पिढी पढें और आगे बढे।
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चीनी रिकवरी कम होने से मिल को हो रही है वित्तीय हानि
लखनऊ: प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा बताया गया कि, किसानों को गन्ने से सम्बन्धित जानकारी उपलब्ध कराने हेतु ’’ई.आर.पी.’’ व्यवस्था लागू की गयी है। यह देखने में आया है कि, सहकारी चीनी मिलों यथा, घोसी, सठियांव एवं सुल्तानपुर तथा निगम क्षेत्र की मुण्डेरवा, पिपराइच एवं कुछ निजी चीनी मिलों में कतिपय किसान ’’ई-गन्ना’’ एप पर अपने कैलेण्डर को देखकर गन्ने की कटाई कर दे रहे हैं जबकि कैलेण्डर में निर्धारित समय के अनुसार पर्ची जारी करने में मिल में अचानक आयी कठिनाईयों एवं मौसम खराब होने के कारण विलम्ब सम्भावित रहता है। कृषक को गन्ना आपूर्ति हेतु पर्ची की सूचना एस.एम.एस. के माध्यम से दी जा रही है, जिसके उपरान्त कम से कम 72 घण्टे का समय गन्ना आपूर्ति हेतु दिया जाता है। किसान भाईयों द्वारा 3 से 4 दिन पूर्व काटे गये गन्ने की आपूर्ति किये जाने की स्थिति में गन्ने का वजन 5 से 8 प्रतिशत कम हो जाता है तथा प्रति 24 घण्टे के विलम्ब पर चीनी की रिकवरी भी 0.25 प्रतिशत घट जाती है। 72 घण्टे से अधिक पुराने गन्ने की आपूर्ति से जहां एक ओर गन्ने का वजन कम होने से कृषक को धन हानि होती है वहीं दूसरी ओर , जिसके कारण चीनी मिल की गन्ना मूल्य भुगतान क्षमता पर भी प्रभाव पडता है।
उक्त जानकारी देते हुए आयुक्त, गन्ना एवं चीनी श्री भूसरेड्डी ने बताया कि प्रदेश के लगभग 50 लाख किसान तथा उनके परिवार को मिलाकर लगभग 2.50 करोड़ व्यक्तियों की आजीविका का मुख्य स्रोत गन्ना है। ऐसे में कुछ किसानों की वजह से सभी किसानों का नुकसान हो अच्छा नहीं हैं तथा यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी भी दशा में चीनी मिलों द्वारा पुराना कटा हुआ सूखा गन्ना नहीं लिया जायेगा तथा ऐसे गन्ना आपूर्ति करने वाले कृषकों का सट्टा बन्द किया जायेगा।
किसान भाईयों से अपील है कि, पर्ची निर्गत होने का एस.एम.एस. प्राप्त होने पर ही अपने गन्ने की कटाई करके चीनी मिलों को ताजे गन्ने की आपूर्ति करें और अपने गन्ने के वजन से होने वाले नुकसान के साथ-साथ चीनी मिल को चीनी परता में होने वाले नुकसान से बचाये। इससे एक ओर किसान को अपनी पैदावार का पूर्ण मूल्य मिलेगा और दूसरी ओर चीनी मिल की भुगतान क्षमता भी अच्छी बनेगी। अतः चीनी मिल को जड़, पत्ती एवं मिट्टी रहित ताजा गन्ना आपूर्ति कर बेहतर गन्ना प्रबन्धन करने में सहयोग प्रदान करें।
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जनजागरण अभियान से 50 लाख किसानों तक पहुंचने का कांग्रेस का लक्ष्य: गन्ना बकाया भुगतान अहम मुद्दा - Isha Waykool Published on: 30.01.2020
जनजागरण अभियान से 50 लाख किसानों तक पहुंचने का कांग्रेस का लक्ष्य: गन्ना बकाया भुगतान अहम मुद्दा
नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी के निर्देश पर यूपी में गन्ना किसानों के लिए जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। 3 फरवरी को प्रदेश की राजधानी लखनऊ से शुरू होने जा रहे इस किसान जनजागरण अभियान के दौरान दो हफ्ते में 50 लाख किसानों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि खुद प्रियंका भी कई जगहों पर अभियान में शामिल होंगी। इसका उद्देश्य राज्य में दो साल से गन्ने का मूल्य न बढ़ाये जाने व गन्ने का बकाया भुगतान न होने से परेशान किसानों की समस्याओं को जानना है। किसान फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले आवारा पशुओं की समस्या से भी जूझ रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि कुछ दिन पहले सीएम आदित्यनाथ के दौरे से पहले सड़कें खाली कराने के लिए इंजीनियरों को आवारा पशुओं को बांधने के लिए कहा गया था, जिस पर चुटकी लेते हुए प्रियंका गाधी ने ट्वीट किया था कि एक रस्सी अपने (सीएम) दायित्वों की भी बांधिए, क्योंकि किसानों की फसलों का नुकसान भी सरकार की ही जिम्मेदारी है।
बहरहाल, किसानों के घर-घर तक पहुंचने के लिए हर ब्लॉक में 50 कांग्रेस कार्यकर्ता रोज 10 किसान परिवारों से मिलकर उन्हें दो फार्म वितरित करेंगे। एक फॉर्म में किसानों से उनकी समस्याएं बताने को कहा जाएगा, जबकि दूसरे में किसान परिवार और उनकी आर्थिक हालत की जानकारी ली जाएगी। किसान अपने सुझाव भी दे सकेंगे। इस दौरान कई नुक्कड़ सभाओं के अलावा चार बड़ी रैलियों का आयोजन किया जाएगा, जिन्हें प्रियंका गांधी संबोधित करेंगी। एक पखवाड़े बाद लखनऊ में विशाल मार्च के साथ अभियान का समापन होगा। उसके बाद पार्टी प्रतिनिधि तहसीलों में जाकर सरकारी अधिकारियों को किसानों की समस्याओं से अवगत कराएंगे।
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चीनी उद्योग और गन्ना किसानों की बजट पर नजर, आर्थिक मदद की उम्मीद - Isha Waykool Published on: 31.01.2020
चीनी उद्योग और गन्ना किसानों की बजट पर नजर, आर्थिक मदद की उम्मीद
नई दिल्ली: आगामी आम बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा; और चीनी उद्योग को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अपेक्षाएं हैं कि वे सुधारात्मक उपाय करें जो अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। एक तरफ चीनी उद्योग त्रस्त है तो दूसरी ओर गन्ना किसान बकाया के लिए परेशान है।
उद्योग की मांग है की चीनी मिलों के सशक्तीकरण के लिए वित्तीय सहायता देनी चाहिए। वित्तीय मदद समय पर मुहैया नहीं कराई गई तो चीनी उद्योग प्रभावित हो जाएगा।
चीनी मिलों के मुताबिक वे वर्त्तमान में मुश्किल में है और उनका कहना है की चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) तय करते समय कई तकनीकी मामलों पर ध्यान नही दिया गया था, जिसका चीनी उद्योग को खामियाजा उठाना पड़ रहा है। उत्पादन लागत से कम चीनी दर के कारण मिलें मुश्किल में है। मिलों का कहना है की वर्तमान 3,100 रुपये प्रति क्विंटल ‘एमएसपी’ चीनी उत्पादन की लागत से कम है।
देश में आज भी गन्ना बकाया कई चीनी मिलों द्वारा नहीं चुकाया गया है क्यूंकि मिलें दावा करती है की उनकी आर्थिक परिस्तिथि ठीक नहीं है जिसके कारण वे बकाया चुकाने में विफल रहे है। MSP बढने के बाद चीनी उद्योग के साथ साथ किसानों को भी बड़ी राहत मिल सकती है। चीनी उद्योग से जुड़े कई संघठनों ने सरकार से MSP को बढ़ाकर 3,300 रुपये प्रति क्विंटल करने पर विचार करने के लिए कहा है।
वही बात गन्ना किसान की करे तो उनका भी कहना है की उनका गन्ना उत्पादन पर खर्च ज्यादा है और उन्हें गन्ना मूल्य कम मिल रहा है। इस बार देश के सबसे बड़े गन्ना उत्पादन राज्य उत्तर प्रदेश में गन्ना मूल्य नहीं बढ़ाया गया है जिसके कारन गन्ने किसान नाराज है। अभी भी देश भर में आंदोलन कर गन्ना किसान मूल्य बढ़ाने की मांग कर रहे है।
इस सीजन महाराष्ट सहित कर्नाटक के चीनी मिलें भी बाढ़ और सूखे की मार झेल रहे है, जिसके कारण कई चीनी मिलों ने पेराई में भाग ही नहीं लिया। महाराष्ट्र के पश्चिमी इलाके में तेज बाढ़ और मराठवाडा में सूखे के कारण गन्ना फसल क्षतिग्रस्त हुई थी, और तो और मराठवाडा में सूखे के कारण काफी सारे गन्ने का इस्तेमाल पशु शिविरों में चारे के रूप में किया गया, जिसका सीधा असर पेराई पर दिखाई दे रहा है। गन्ना और श्रमिकों की कमी के कारण कई मिलों ने पेराई सीजन शुरू करने के बाद केवल कुछ हप्तों में ही पेराई रोक दी है।
ISMA के महानिदेशक अबिनाश वर्मा कहते है, चीनी उद्योग की बेहतरी के लिए गन्ना मूल्य निर्धारण व्यवस्था ठीक हो। चीनी मिलों की आय के आधार पर दाम तय किए जाए। एथनॉल नीति में सुधार हो और मिलों की बैंक लिमिट केवल चीनी स्टाक पर ही नहीं बनायी जाए।
अगर बजट में चीनी उद्योग सहित गन्ना किसानों के लिए राहत पैकेज का ऐलान होता है तो इससे काफी राहत मिलेगी।
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नेपाल में सरकार व मिलों के खिलाफ फिर से बड़ा आंदोलन करेंगे गन्ना किसान - Isha Waykool Published on: 31.01.2020
नेपाल में सरकार व मिलों के खिलाफ फिर से बड़ा आंदोलन करेंगे गन्ना किसान
कठमांडू: नेपाल सरकार और चीनी मिलों से अपना बकाया तय समय-सीमा के एक हफ्ते बाद भी नहीं मिलने से नाराज़ गन्ना किसानों ने फिर से आंदोलन करने की चेतावनी दी है। मिलों ने 1 बिलियन रुपये की बकाया राशि किसानों को नहीं दी और न ही सरकार से 1.20 बिलियन रुपये की सब्सिडी किसानों को जारी की गई है।
बीते दिसंबर में गन्ना किसानों ने राजधानी में बड़ा आंदोलन किया था, जिसके बाद मिलों ने 21 जनवरी तक बकाया चुकाने का वादा किया। लेकिन मिलों ने अब तक पूरा भुगतान नहीं किया, जिससे किसानों की स्थिति दयनीय हो गई है। गन्ना किसान कार्रवाई समिति ने नेपाल सरकार और चीनी मिलों पर किसानों को धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछला बकाया देने के नाम पर किसानों को अपना गन्ना बेईमान चीनी मिलों को बेचने पर मजबूर किया जाता है। महालक्ष्मी चीनी मिल और अन्नपूर्णा चीनी मिल पर ही सरलाही जिले के किसानों के 560 मिलियन रुपये बकाया हैं। सरकार से सब्सिडी के 280 मिलियन रुपये भी किसानों को नहीं मिले। समिति ने किसानों की दुर्दशा के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि आंदोलन फिर से शुरू करने के लिए शनिवार को किसानों की बैठक बुलाई गई है।
इस बीच, उद्योग, वाणिज्य और आपूर्ति मंत्रालय ने कहा है कि वह किसानों का बकाया चुकाने के लिए चीनी मिलों पर दबाव डालने के साथ ही सरकारी सब्सिडी भी जारी करने के प्रयास कर रहा है। बताते चलें कि श्रीराम मिल ने अचल संपत्तियां बेचकर भुगतान करने की बात कही है, वहीं अन्नपूर्णा मिल नेपाल बिजली प्राधिकरण से भुगतान मिलने पर ही किसानों को भुगतान करेगी। उधर, महालक्ष्मी मिल ने करीब आधी बकाया राशि को मंजूरी देते हुए शेष बकाया जल्द चुकाने की बात कही है।
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बैंकों ने चीनी मिलों का कैश क्रेडिट लिमिट किया मंजूर; गन्ना किसानों को मिलेगा भुगतान - Published on: 31.01.2020
बैंकों ने चीनी मिलों का कैश क्रेडिट लिमिट किया मंजूर; गन्ना किसानों को मिलेगा भुगतान
बिजनौर: गन्ना बकाया भुगतान उत्तर प्रदेश में एक अहम् मुद्दा बना हुआ है लेकिन अब उन्हें थोड़ी राहत मिल सकती है क्योंकि चीनी मिलों को बैंक द्वारा सीसीएल (कैश क्रेडिट लिमिट) मंजूर किया जा रहा है। अमर उजाला डॉट कॉम के मुताबीक बैंकों ने चीनी मिलों का 1500 करोड़ का सीसीएल (कैश क्रेडिट लिमिट) मंजूर किया है। इस राशि से किसानों का भुगतान होगा। सीसीएल का पैसा किसानों के खातों में भेजा जाएगा। जिले में बिजनौर, चांदपुर व बिलाई चीनी मिल को छोड़कर बाकी चीनी मिलें सही भुगतान कर रही हैं।
सीसीएल नियम के अनुसार बैंक चीनी मिलों की चीनी को गिरवी रख लेंगे और चीनी मिलों को ऋण दे देंगे। चीनी बेचकर आने वाली राशि को बैंकों को दे दिया जाएगा। इस तरह किसानों को भुगतान भी समय से मिल जाएगा और सरकार द्वारा निर्धारित किए गए कोटे के अनुसार ही चीनी मिल चीनी भी बेच सकेंगी।बिजनौर जिले की आठ चीनी मिलों ने सीसीएल मांगा था।
बिलाई चीनी मिल को बैंकों से सीसीएल नहीं मिला है। ग्रुप के बाकी प्रोजेक्ट पर पहले से ही चीनी मिलों ने ऋण दे रखा है। इस वजह से मिल को और ऋण नहीं दिया गया। बिजनौर मिल के प्रशासनिक अधिकारी एके सिंह के अनुसार अभी 30 करोड़ का भुगतान मिला है। इससे किसानों का भुगतान किया जा रहा है। बरकातपुर चीनी मिल के गन्ना महाप्रबंधक विश्वास राज के अनुसार मिल को सीसीएल अभी मंजूर नहीं हुआ है लेकिन जल्दी ही मंजूर होने की संभावना है।
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गन्ना वृद्धि मांग को लेकर किसान कल करेंगे धरना
कैथल, हरयाणा: चीनी मिलों में गन्ना उपलब्ध कराने वाले किसानों ने गन्ने के मूल्य में 40 रुपए वृद्धि की मांग की है। किसानों का कहना है कि सरकार ने गत चार साल से गन्ने के मूल्य में अछी वृद्धि नहीं की है जबकि किसानों की लागत काफी अधिक है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने कहा है कि ऐसा लगता है कि मौजूदा सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है। इस लिए हमारे सभी किसान भाई 1 फरवरी को कैथल चीनी मिल में धरना देंगे।
भाकियू ने कहा कि सरकार किसान विरोध फैसले ज्यादा ले रही है। किसानों के हित की यहां कोई बात ही नहीं करता। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने चुनाव के समय किसानों को उनकी आय दोगुनी करने का वादा किया था। आज वादा तो दूर, किसानों की कोई सुन भी नहीं रहा। किसानों में इसे लेकर काफी रोष और नाराजगी है।
भाकियू ने कहा कि बीजेपी व जेजेपी की सरकार ने चुनाव के समय जो वादे किये थे, उसे तुरंत लागू करें। नहीं तो किसान आगे अपना आंदोलन औऱ तेज करेंगे।
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कृषि के मशीनीकरण से भारतीय कृषि वाणिज्यिक कृषि के रूप में बदल जाएगीः आर्थिक समीक्षा - Published on: 31.01.2020
कृषि के मशीनीकरण से भारतीय कृषि वाणिज्यिक कृषि के रूप में बदल जाएगीः आर्थिक समीक्षा
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा, 2019-20 पेश की। श्रीमती निर्मला सीतारमण ने किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के सरकार के संकल्प को दोहराया। उन्होंने कृषि के मशीनीकरण, पशुधन तथा मछलीपालन क्षेत्र, खाद्य प्रसंस्करण, वित्तीय समावेश, कृषि ऋण, फसल बीमा, सूक्ष्म सिंचाई तथा सुरक्षित भंडार प्रबंधन पर बल दिया।
कृषि का मशीनरीकरण
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि जमीन, जल संसाधन और श्रम शक्ति में कमी आने के साथ उत्पादन का मशीनरीकरण तथा फसल कटाई के बाद के प्रचालनों पर जिम्मेदारी आ जाती है। कृषि के मशीनरीकरण से भारतीय कृषि वाणिज्यिक कृषि के रूप में परिवर्तित हो जाएगी। कृषि में मशीनरीकरण को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि चीन (59.5 प्रतिशत) तथा ब्राजील (75 प्रतिशत) की तुलना में भारत में कृषि का मशीनरीकरण 40 प्रतिशत हुआ है।
मशुधन तथा मछलीपालन क्षेत्र
लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए पशुधन आय दूसरा महत्वपूर्ण आय का साधन है और यह क्षेत्र किसानों की आय को दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों में पशुधन क्षेत्र 7.9 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि मछलीपालन खाद्य, पोषाहार, रोजगार और आय का महत्वपूर्ण साधन रहा है। मछलीपालन क्षेत्र से देश में लगभग 16 मिलियन मछुआरों और मछलीपालक किसानों की आजीविका चलती है। मछलीपालन के क्षेत्र में हाल के वर्षों में वार्षिक औसत वृद्धि दर 7 प्रतिशत से अधिक दर्ज की गई है। इस क्षेत्र के महत्व को समझते हुए 2019 में स्वतंत्र मछलीपालन विभाग बनाया गया है।
खाद्य प्रसंस्करण
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। प्रसंस्करण के उच्च स्तर से बर्बादी कम होती है, मूल्यवर्धन में सुधार होता है, फसल की विविधता को प्रोत्साहन मिलता है, किसानों को बेहतर लाभ मिलता है तथा रोजगार प्रोत्साहन के साथ-साथ निर्यात आय में भी वृद्धि होती है। 2017-18 में समाप्त होने वाले पिछले छह वर्षों के दौरान खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र लगभग 5.6 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर (एएजीआर) से बढ़ रहा है। वर्ष 2017-18 में 2011-12 के मूल्यों पर विनिर्माण तथा कृषि क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) क्रमशः 8.83 प्रतिशत और 10.66 प्रतिशत रहा।
वित्तीय समावेशन, कृषि ऋण और फसल बीमा
आर्थिक समीक्षा में पूर्वोत्तर में ऋण के तेज वितरण में सुधार के लिए पूर्वोत्तर के क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया गया है। फसल बीमा की जरूरत पर बल देते हुए आर्थिक समीक्षा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के लाभों के बारे में बताया गया है, जिसकी शुरुआत 2016 में फसल बुवाई से पहले से लेकर, फसल कटाई के बाद तक के प्राकृतिक जोखिमों को कवर करने के लिए की गई थी। पीएमएफबीवाई की वजह से सकल फसल क्षेत्र (जीसीए) मौजूदा 23 प्रतिशत से बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है। सरकार ने एक राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल का भी गठन किया, जिसमें सभी हितधारकों के लिए इंटरफेस उपलब्ध है।
कृषि में सकल मूल्यवर्धन
विकास प्रक्रिया की स्वाभाविक राह और अर्थव्यवस्था में हो रहे संरचनात्मक बदलाव की वजह से कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों का योगदान मौजूदा मूल्य पर देश के सकल मूल्य वर्धन में वर्ष 2014-15 के 18.2 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2019-20 में 16.5 प्रतिशत हो गया।
बफर स्टॉक प्रबंधन
आर्थिक समीक्षा में बढ़ते खाद्य सब्सिडी बिल को कम करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत दरों की समीक्षा का प्रस्ताव किया गया है। आर्थिक समीक्षा में भारतीय खाद्य निगम के बफर स्टॉक के विवेकपूर्ण प्रबंधन की भी सलाह दी गई है।
सूक्ष्म सिंचाई
खेतों के स्तर पर जल इस्तेमाल की क्षमता बढ़ाने के लिए आर्थिक समीक्षा में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) जैसी योजनाओं के जरिए सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप एवं स्प्रिंकल सिंचाई) के इस्तेमाल की सलाह दी गई है। आर्थिक समीक्षा में नाबार्ड के साथ 5,000 करोड़ रुपये के आरंभिक फंड के गठन के साथ समर्पित सूक्ष्म सिंचाई फंड की भी चर्चा की गई।
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यशवंतराव मोहिते कृष्णा चीनी मिल के श्रमिकों की वेतन में होगी बढोतरी: अध्यक्ष डॉ. सुरेश भोसले - Published on: 31.01.2020
यशवंतराव मोहिते कृष्णा चीनी मिल के श्रमिकों की वेतन में होगी बढोतरी: अध्यक्ष डॉ. सुरेश भोसले
सातारा: यशवंतराव मोहिते कृष्णा सहकारी चीनी मिल के अध्यक्ष डॉ. सुरेश भोसले ने ऐलान किया कि, मिल के श्रमिकों के वेतन में जल्द ही बढोतरी कि जाएगी।मिल के उन्नती में श्रमिकों का बडा योगदान रहा है, और हम उनका सम्मान रखेंगे। उन्होंने भरोसा दिया कि, मिल का एक भी कर्मचारी दस हजार रूपये वेतन स्तर के निचे नही होगा। 6 लाख 35 हजार चीनी बोरियों के पुजन समारोह में वो बोल रहे थे। समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में राजारामबापू पाटील दूध संघ के निदेशक बालासाहेब पाटील उपस्थित थे।
डॉ. भोसले ने कहा कि, बाढ के कारण इस सीजन में पेराई मौसम लगभग एक महिना देरी से शुरू हुआ, जिससे किसानों के साथ साथ मिल को भी नुकसान उठाना पडा। लेकिन कई कठिन चुनौंतियों के बावजूद मिल ने पेराई मौसम में सफलता हासिल की, जिसका श्रेय किसान, श्रमिक और निदेशकों जाता है। इस अवसर पर मिल के उपाध्यक्ष जगदीश जगताप, रणजीत पाटील, बी.डी.पाटील, लिंबाजीराव पाटील, दयानंद पाटील, धोंडिराम जाधव, गुणवंत पाटील आदी मौजूद थे।
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केंद्र सरकार द्वारा फरवरी 2020 के लिए 20 लाख टन चीनी बिक्री कोटा जारी
नई दिल्ली: 31 जनवरी को जारी अधिसूचना में सरकार के खाद्य मंत्रालय ने फरवरी के लिए देश के 543 मिलों को चीनी बिक्री का 20 लाख टन कोटा आवंटित किया है।
गौरतलब है कि इस बार पिछले माह की तुलना में कम चीनी आवंटन की गयी है। खाद्य मंत्रालय द्वारा जनवरी 2020 के लिए 22 लाख टन चीनी बिक्री कोटा की मंजूरी दी गयी थी। वही दूसरी ओर फरवरी 2019 की तुलना में इस बार 1 लाख टन कम चीनी आवंटित की गई है। सरकार ने फरवरी 2019 के लिए 21 लाख टन चीनी आवंटित की थी।
चीनी उद्योग के जानकरों के अनुसार चीनी की दरों में सकारात्मक प्रभाव रहने की उम्मीद है क्योंकि इस माह पिछले महीने के मुकाबले कम कोटा आवंटित किया गया है। सूत्रों के अनुसार, अच्छी मांग के साथ बाजार की प्रवृत्ति के उपयुक्त लाभों का फायदा उठाने के लिए व्यापारियों को चीनी को स्टॉक करने में काफी रुचि है।
आपको बता दे, सितम्बर 2019 के महीने के लिए स्टॉक होल्डिंग ऑर्डर के उल्लंघन के लिए चीनी मिलों को कारण बताओ नोटिस (शो कॉज नोटिस) जारी किया गया था। 3 चीनी मिलों को छोड़कर, अन्य चीनी मिलों से नोटिस का जवाब मिला है। 3 चीनी मिलों द्वारा बेची गई अधिक मात्रा को फरवरी 2020 के महीने में प्रस्तावित आवंटन से काट दिया गया है।
केंद्र सरकार ने चीनी की अत्यधिक आपूर्ति को नियंत्रित करने और मूल्य निर्धारण में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मासिक रिलीज तंत्र को लागू किया था।
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3 मिलों पर कोटा से अधिक चीनी बेचने पर कार्यवाही
नई दिल्ली : खाद्य मंत्रालय द्वारा आवंटित कोटा में से कुछ चीनी मिलों पर कार्यवाही भी की गयी है।
आपको बता दे, सितम्बर 2019 के महीने के लिए स्टॉक होल्डिंग ऑर्डर के उल्लंघन के लिए चीनी मिलों को कारण बताओ नोटिस (शो कॉज नोटिस) जारी किया गया था। 3 चीनी मिलों को छोड़कर, अन्य चीनी मिलों से नोटिस का जवाब मिला है। 3 चीनी मिलों द्वारा बेची गई अधिक मात्रा को फरवरी 2020 में प्रस्तावित आवंटन से काट दिया गया है।
31 जनवरी को जारी अधिसूचना में सरकार के खाद्य मंत्रालय ने फरवरी के लिए देश के 543 मिलों को चीनी बिक्री का 20 लाख टन कोटा आवंटित किया है।
अधिशेष चीनी की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने चीनी क्षेत्र में रिलीज तंत्र को लागू किया था और चीनी की आपूर्ति को नियंत्रित करने और कीमतों को स्थिर रखने के लिए हर एक मिल के लिए एक मासिक बिक्री कोटा तय किया था।
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उत्तर प्रदेश: चीनी मिल के ट्रांसफार्मर में लगी आग
गोंडा (उत्तर प्रदेश): चीनी मिल के ट्रांसफार्मर में आग लग गई, जिससे गन्ना पेराई का काम प्रभावित हुआ। प्राप्त जानकारी के अनुसार, बजाज हिंदुस्तान शुगर लिमिटेड की कुंदरखी चीनी मिल परिसर में 11000/700 वोल्ट के कंवर्टर डीसी ट्रांसफार्मर में 28 जनवरी की शाम आग लग गई। खबरों के मुताबिक, उस वक्त मिल में गन्ना पेराई का काम चल रहा था। मिल के यूनिट हेड जीवी सिंह और मिल प्रबंधक आरसी पाण्डेय ने जानकरी साझा की कि मिल न. 2 के कंवर्टर डीसी ट्रांसफार्मर में शार्टसर्किट होने से लगी, जिसकी सूचना गोंडा और मनकापुर के फायर स्टेशन के अलावा मोतीगंज थाने को भी दी गई।
चीनी मिल कर्मियों और सुरक्षाकर्मियों ने मिल परिसर में उपलब्ध अग्निशमन यंत्र का उपयोग कर आग पर काबू पाया। बाद में अग्निशमन दस्ता और पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घटना का जायजा लिया। आग से ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हो गया, लेकिन जानमाल की क्षति नहीं हुई। आग लगने से करीब एक घंटा गन्ने की पेराई बाधित रही।
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शरद पवार चाहते है किसान और चीनी मिलों के बीच स्वीकार्य समाधान…
पुणे : चीनी मंडी
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ने शुक्रवार को कहा कि, चीनी उद्योग के विकास को लेकर समन्वित तरीके से काम करने के लिए गन्ना किसान और मिलरों के लिए स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने का समय आ गया है। वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट (वीएसआई) द्वारा आयोजित चीनी और संबद्ध उद्योग में स्थिरता – नवाचार और विविधीकरण पर द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पवार उद्घाटन के दौरान भाषण दे रहे थे। वह वीएसआई के अध्यक्ष भी हैं।
पवार ने कहा की, केंद्र सरकार ने कई उद्योंगों में डेरेग्युलेशन के लिए कदम उठाए हैं। हालांकि, चीनी उद्योग अभी भी गन्ना मूल्य निर्धारण, क्षेत्र आरक्षण, निर्यात – आयात और इथेनॉल सम्मिश्रण जैसी सरकारी नीतियों द्वारा शासित है। उन्होंने कहा, गन्ना किसान और उनकी भलाई चीनी उद्योग में सबसे महत्वपूर्ण है, और तो और उपभोक्ता भी उतना ही महत्वपूर्ण है। केंद्र सरकार गन्ने के लिए एफआरपी (उचित और पारिश्रमिक मूल्य) तय करती है जो अनिवार्य है लेकिन चीनी की कीमतों का कोई भरोसा नहीं है, जिसके कारण उत्पादकों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए बेहद मुश्किल होता है। पवार ने कहा कि अब उत्पादकों और मिलरों के लिए स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने का समय है।
पवार ने यह भी कहा कि, चीनी की औसत रिकवरी लगभग 10.5 प्रतिशत तक स्थिर है, जबकि इसे 11.5-12% तक सुधारा जा सकता है और इस क्षेत्र में अनुसंधान संगठनों को एक सक्रिय भूमिका निभानी होगी और सरकार को शोधकर्ताओं को उच्च पैदावार के साथ किस्मों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। गन्ने उत्पादकता बढ़ाने के लिए गन्ने की खेती में नवीनतम तकनीकों के प्रभावी हस्तांतरण को सुनिश्चित करने के लिए अनुसंधान संस्थानों, चीनी मिलों और उत्पादकों के बीच मजबूत संबंध की जरूरत है।
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भारत-ब्राजील के बीच गन्ना और चीनी उद्योग से जुडे व्यापार और कारोबार पर सहयोग एवं साझेदारी की है जरूरत - Published on: 01.02.2020
भारत-ब्राजील के बीच गन्ना और चीनी उद्योग से जुडे व्यापार और कारोबार पर सहयोग एवं साझेदारी की है जरूरत
नई दिल्ली, 1 फरवरी: ब्राज़ील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में भारत में आये थे, जिसके बाद उन्होंने भारत और ब्राज़ील के रिश्ते को मजबूत करने की बात कही थी। आने वाले समय में भारत-ब्राजील के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक संबधों की बिसात और मजबूत और भी होगी। राजधानी दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए ब्राजील के राजदूत आंद्रे अरान्हा केरया डे लागो ने कहा कि दोनों देश तेजी से ऊभरती अर्थव्यवस्था है एवं आर्थिक और व्यापारिक रिश्तों को मजबूती प्रदान कराने के लिए गंभीर है। कारोबार की व्यापक संभावनाओं के बीच दोनों देश कृषि और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में काम करने के लिए उत्साहित है। इनमें गन्ने की उन्नत खेती, तकनीक आधारित चीनी उद्योग, खाद्य तेल और कृषि रसायन जैसे मुख्य तौर पर शामिल है।
आन्द्रे अरान्हा ने कहा कि देशों के बीच गन्ना और चीनी उद्योग से जुडे व्यापार पर व्यापक हिस्सेदारी व साझेदारी है। पूरी दुनिया में भारत-ब्राज़ील 51 प्रतिशत गन्ने की हिस्सेदारी रखते है। चीनी की हिस्सेदारी की बात करें तो यह तकरीबन 35 फीसदी से ज्यादा है जिसे दोनों राष्ट्र मिलकर और बढ़ा सकते है। इसी तरह इथेनॉल के व्यापार और कारोबार को लेकर भी दोनों देशों के बीच संभावनाओं के द्वार खुले है। ऐसे में भारत ब्राजील के बीच इस दिशा में काफी कुछ सहयोग और साझेदारी हो सकती है। जो कि पैट्रोल आधारित वाहनों की निर्भरता को कम करने के साथ इथेनॉल आधारित वाहनों की उपयोगिता को बढ़ावा देगा । इससे एक ओर जहां पैट्रोल आयात कम करने में मदद मिलेगी वहीं वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि भारत और ब्राजील के बीच रिश्तों की शुरुआत तकरीबन पांच दशक पहले हुई थी। वक्त से साथ दोनों देशों के बीच रिश्ते बदलते रहे है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में भारत ब्राजील के रिश्तों में न केवल सुधार हुआ है बल्कि व्यापार और कारोबार भी बढ़ा है।
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असम में रियायती दरों पर चीनी उपलब्ध करवाने का आश्वाशन
गुवाहाटी: असम के आगामी बजट को देखते हुए भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने गरीबों के लिए विभिन्न सब्सिडी की घोषणा की है। राज्य के वित्त, स्वास्थ्य, और पीडब्ल्यूडी मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यहां एक रैली में यह घोषणा की कि सरकार गरीबों को मुफ्त में चावल देगी। साथ ही बजट में दालें और चीनी भी रियायती दरों पर उपलब्ध करवाएंगी।
सरकार की फ्लैगशिप योजना पोषण व आहार सहायता योजना (ANNA) के तहत राज्य के दो करोड़ लोगों को 1 रुपये किलो में चावल उपलब्ध कराया जाता है। सरमा ने कहा कि कई अन्य योजनाएं जिससे लोगों को फायदा होगा, बजट में घोषित किया जाएगा।
आपको बता दे, हालही में असम के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री फणी भूषण चौधरी ने कहा था कि यदि सबकुछ ठीक ठाक और योजनानुसार रहा तो चाय बागान के मजदूरों के प्रत्येक परिवार को मार्च-अंत से प्रति माह दो किलो चीनी मुफ्त में मिलेगी। चौधरी ने कहा था कि सरकार को चाय बागान के मजदूरों को मुफ्त में चीनी उपलब्ध कराने का निर्णय इसीलिए लेना पड़ा ताकि वे चाय में नमक के सेवन की आदत छोड़ें। उन्होंने कहा कि चाय में नमक लेना हानिकारक है, खासकर महिलाओं के लिए।
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चीनी मिल घोटाले में नाम उछालने पर मनीष ग्रोवर ने विधायक बलराज कुंडू को भेजा कानूनी नोटिस - Published on: 27.01.2020
चीनी मिल घोटाले में नाम उछालने पर मनीष ग्रोवर ने विधायक बलराज कुंडू को भेजा कानूनी नोटिस
रोहतक: भाजपा के पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर ने मेहम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू को उनका नाम एक चीनी मिल घोटाले और निविदा प्रक्रिया में लिये जाने के खिलाफ और उनकी प्रतिष्ठा को खराब करने के लिए कानूनी नोटिस भेजा है। हालही में एक प्रेस कांफ्रेंस में कुंडू, जो अब भाजपा-जेजेपी सरकार का समर्थन कर रहे हैं, ने मांग की कि पूर्व मंत्री ग्रोवर के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामलों में भागीदारी की जांच होनी चाहिए। उन्होंने अपने सहकारिता मंत्री रहने के दौरान अनेक गलत कार्य किये है।
कुंडू ने आरोप लगाया कि जब ग्रोवर मंत्री थे तब पानीपत चीनी मिल में एक बड़े पैमाने का मोलासेस घोटाला हुआ था। पानीपत चीनी मिल में 8,000 टन मोलासेस का कोई लेखा जोखा नहीं है। उन्होंने कहा कि ग्रोवर इससे अपनी बहू को फायदा पहुंचाना चाहते थे। विधायक ने दावा किया कि राज्य की चीनी मिलों का यह घोटाला 3,300 करोड़ रुपये का है।
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ई-गन्ना ऐप से तय समय में हुआ गन्ना मूल्य का भुगतानTrack Title
बाराबंकी: चीनी उद्योग में टेक्नोलोजी के इस्तेमाल से काफी चीजें आसान हो गई हैं। इस उद्योग में गन्ना किसानों के लिए राज्य सरकार ने ई-गन्ना ऐप थोड़े महीने पहले लांच किया था। इस पर रजिस्टर्ड किसानों को अब फायदा मिलने लगा है। किसानों को पहली बार इस ऐप के माध्यम से समय पर उनके गन्ने का पेमेंट 14 दिन के भीतर मिला है। बाराबंकी के गन्ना किसान खुश हैं क्योंकि उनके 13 जनवरी तक के तौल के गन्ने के पैसे उनके खातों में पहुंच चुके हैं। जिले के किसानों को 53 करोड़ रुपए चूका दिये गए हैं।
ई-गन्ना ऐप का किसान खुलकर तारीफ करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि वे अपने गन्ने का समय पर पैसा मिलने काफी खुश हैं। पहले हमें काफी परेशानी होती थी। लंबे समय तक हमारा पैसा नहीं मिलता था। चीनी मिलें उसपर ब्याज भी नहीं चुकाती थीं।
बाराबंकी जिले के गन्ना अधिकारी रत्नेश्वर त्रिपाठी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों का पूरा ध्यान रखा है। उनकी प्रेरणा से ईआरपी और ई-गन्ना ऐप डेवलप किया गया ताकि किसान नई टेक्नोलोजी से अवगत रहे। पहले गन्ना से संबंधित सर्वे, सट्टा और कैलेंडरिंग जैसी सारी प्रक्रिया चीनी मिलों के द्वारा अलग-अलग स्तर पर की जाती थी, लेकिन इस ऐप के माध्यम से गन्ना किसानों के सारे डेटा देखे जा सकते हैं। अब कोई बी किसान इस ऐप के द्वारा अपना डाटा देख सकता है और किसी भी त्रुटि कि दशा में अपने नजदीकि समिति पर संपर्क करके उसे ठीक करा सकते हैं।
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गन्ना किसानों के करोड़ों रुपए चीनी मिलों में फंसे पड़े हैं। मुख्यमंत्री योगी उनके हित में नित नए प्रयास कर रहे हैं ताकि किसानों के पैसे वापस मिले। योगी ने चीनी मिलों को भी सख्त हिदायत दी है कि वे गन्ना किसानों के पेमेंट चुकाने में कोताही न बरतें।
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गोवा में बंद पड़ी संजीवनी चीनी मिल चालू कराने को लेकर लिखित आश्वासन की मांग - Published on: 28.01.2020
गोवा में बंद पड़ी संजीवनी चीनी मिल चालू कराने को लेकर लिखित आश्वासन की मांग
पोंडा: बंद संजीवनी चीनी मिल अगले पेराई सत्र को फिर से शुरू करने की मांग को लेकर किसानों ने 6 फरवरी से फिर से आंदोलन करने की धमकी दी और सरकार से इस पर और उनकी लंबित मांगों पर लिखित आश्वासन देने की मांग की है। विभिन्न कठिनाइयों के कारण गोवा के किसान अपने गन्ने को कर्नाटक भेजने का विरोध कर रहे हैं। गन्ना किसान संघठन के अध्यक्ष राजेंद्र देसाई की अगुवाई में सोमवार को संजीवनी चीनी मिल परिसर में किसानों के मुद्दे पर चर्चा हुई।
बाद में मीडिया से बात करते हुए, देसाई ने कहा कि, मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था लेकिन किसान अभी भी अपने उत्पाद के लिए वास्तविक मूल्य प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कर्नाटक स्थित मिल में लगभग 4 करोड़ रुपये का लगभग गन्ना भेजा गया है, लेकिन अभी तक, ट्रांसपोर्टर्स सहित किसानों को केवल 76 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। यह भी 8 जनवरी को आंदोलन करने के बाद आया, जब मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने गन्ना किसानों को समय पर बिलों का भुगतान करने का आश्वासन दिया था। हालांकि, इसके बाद भी बिलों का भुगतान नहीं हुआ है और किसानों को अभी बकाया मिलना बाकी हैं।
इसके अलावा, कर्नाटक में गन्ने का परिवहन करने वाले ठेकेदारों को समय पर अपने बिलों का भुगतान नही हो रहा है। देसाई ने आगे आरोप लगाया कि, संजीवनी चीनी मिल के स्वामित्व वाले पेट्रोल पंप के पास परिवहन के लिए डीजल खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। इसके अलावा, पिछले हफ्ते, कुछ किसानों ने अनुभव किया कि ट्रांसपोर्टरों को बिल के पैसे का भुगतान न करने के कारण गन्ने की कटाई नहीं की गई और गन्ना चार दिनों तक खेतों में सूख गया, जिससे कुछ किसानों को नुकसान हुआ। चूंकि सरकार ने आश्वासन दे के भी किसानों और ठेकेदारों के बिलों को मंजूरी नहीं दी है, किसान अब चिंतित हैं कि उनके गन्ने का क्या होगा जो अभी तक काटा जाना है। इसलिए, किसान अब मांग कर रहे हैं कि अगला पेराई सत्र संजीवनी चीनी मिल द्वारा में ही संचालित किया जाए।
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मिल गोदाम से चीनी के 58 बोरे चोरी
मुजफ्फरनगर: चीनी इन दिनों चोरों को भी आकर्षित करने लगी है। चीनी की लूट और चीनी की चोरी की कई घटनाएं सामने आ रही है। ऐसी ही एक घटना मोरना चीनी मिल में घटी है। यहां चोरों के गुट ने मिल के गोदाम का ताला तोड़कर चीनी के 58 बोरे उठा ले गये। इसकी सूचना मिल प्रबंधकों को दी गई जो बाद में मौके पर आए और अपनी चीनी के गोदाम का बारीकी से निरीक्षण किया।
चोरी की घटना भोपा थाना क्षेत्र के गंगा किसान सहकारी चीनी मिल के अहाते में हुई। सुबह जब कर्मचारी ड्यूटी पर आए तो उन्होंने गोदाम का ताला टूटे देखा। इस बारे में तुरंत मिल प्रबंधकों को जानकारी दी गई और गोदाम में पड़े स्टॉक का निरीक्षण किया गया। प्रबंधकों द्वारा स्टॉक चेक किये जाने पर 58 चीनी के बोरे कम पाए गये। मिल ने पुलिस को इस बारे में सूचना दे दी है और फिलहाल मामले की जांच हो रही है।
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मलेशिया, भारत से खरीदेगा ज्यादा चीनी
मलेशिया ने नागरिकता संशोधन कानून और कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 के खिलाफ बयान दिया था जिसके बाद भारत ने सख्त कार्रवाई की थी और मलेशिया से पॉम तेल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिससे मलेशिया के आर्थिक व्यवस्था पर असर दीखता हुआ नजर आ रहा है। अब इस मसले को शांत करने के लिए, मलेशिया, भारत से ज्यादा चीनी खरदीने की बात कह रहा है।
खबरों के मुताबिक, मलेशिया के एक शीर्ष चीनी रिफाइनर ने कहा कि वह भारत से चीनी खरीद में बढ़ोतरी करेगा। ऐसा माना जा रहा है की यह कदम भारत द्वारा लिए गए पॉम तेल के आयात पर प्रतिबंध को शांत करना है।
MSM मलेशिया होल्डिंग्स बरहाद ने न्यूज़ एजेंसी रायटर से बात करते हुए कहा की वे पहली तिमाही में भारत से 130,000 टन कच्ची चीनी खरीदेंगे। कंपनी ने 2019 में भारत से लगभग 88,000 टन कच्ची चीनी खरीदी थी। हलाकि कंपनी ने इस बात से इंकार कर दिया की पॉम तेल के आयात पर प्रतिबंध को शांत करने को लेकर वे चीनी आयत में वृद्धि कर रहे है। भारत चीनी अधिशेष से जूझ रहा है, और मलेशिया में चीनी निर्यात अधिशेष को कम करने में मदद करेगा।
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चीनी मिल में गन्ने के रस की टंकी की सफाई के दौरान मजदूर की मौत
बरेली: लखीमपुर खीरी जिले के ईसानगर इलाके में एक चीनी मिल में गन्ने के रस की टंकी की सफाई करते समय 22 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई और तीन बेहोश हो गए। मृतक की पहचान बदायूं निवासी मोहम्मद फैयाज के रूप में हुई।
यह दुर्घटना तब हुई जब मिल के अधिकारी गन्ने की पेराई खत्म करके टैंक की सफाई के बाद शटर डाउन करने वाले थे। खबरों के मुताबिक चार मजदूर – फैयाज, सुहैल, फारुख और तफ्सील – इसे साफ करने के लिए टैंक के अंदर गए, लेकिन जहरीली गैसों के कारण वे बेहोश हो गए। मौके पर तैनात दूसरे मजदूरों ने इन्हें टैंक से निकाला और पास के अस्पताल ले गए, जहां फैयाज ने बाद में दम तोड़ दिया। शव परीक्षण रिपोर्ट में दम घुटने के कारण मृत्यु हुई। खबरो के मुताबिक, टैंक में प्रवेश करने से पहले मजदूरों को कोई सुरक्षा गियर नहीं दिया गया था।
धौरहरा के उप-मंडल मजिस्ट्रेट सुनंदु सुधाकरन की प्रारंभिक जांच में मिल प्रबंधन को लापरवाही का दोषी पाया गया। फिर उन्होंने अपनी रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट शैलेन्द्र सिंह को सौंप दी। सुधाकरन ने कहा कि मैंने अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंप दी है और मिल प्रशासन की ओर से स्पष्ट लापरवाही है। सल्फर डाइऑक्साइड के रिसाव से मजदूर की मौत हो गई थी। मैंने मिल प्रशासन के खिलाफ एफआईआर की सिफारिश की है, लेकिन परिवार ने अब तक कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है। इस बीच, मिल प्रबंधक संजय सिंह ने कहा कि गैस रिसाव के कारण नहीं बल्कि गलती से टैंक में फिसलने से पीड़ित की मौत हो गई।
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ब्राजील के राष्ट्रपति के भारत दौरे पर गन्ना किसानों का विरोध
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के लिए मुख्य अतिथि के रूप में ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सनारो को आमंत्रित किया गया है। 18 से 25 जनवरी के बीच किसानों, विशेषकर गन्ना किसानों और देश भर के किसान संगठनों ने एक सप्ताह के विरोध अभियान की शुरुआत की है। AISFF, AIKS, स्वाभिमानी शेतकरी संगठन और समान विचारधारा वाले संगठन बोल्सनारो की यात्रा के खिलाफ संयुक्त रूप से विरोध कर रहे हैं।
किसान संघठनों ने आरोप लगाया की, विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के समक्ष भारतीय चीनी सब्सिडी पर बोल्सनारो का रुख मजदूरों, किसानों, युवाओं, छात्रों, महिलाओं के प्रति दमनकारी है और जिसने किसानों और संगठनों को परेशान किया। गणतंत्र दिवस के लिए बोल्सनारो को आमंत्रित करने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार के फैसले की निंदा करते हुए, ऑल इंडिया गन्ना किसान महासंघ (AISFF), जो कि ऑल इंडिया किसान सभा (AIKS/ एआईकेएस) से समकक्ष है, और सरकार के नीतियों के खिलाफ अभियान का नेतृत्व कर रहा है।
‘एआईकेएस’ के अखिल भारतीय अध्यक्ष अशोक धवले ने कहा की, विरोध अभियान का प्रमुख मुद्दा यह है कि, गन्ने का मूल्य उचित और पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी ) के अनुसार होना चाहिए और उनकी (बोल्सनारो) दमनकारी विचारधारा को भी उजागर किया जाएगा। दुनिया में गन्ने और चीनी के निर्यातक के सबसे बड़े उत्पादक, ब्राजील ने भारत सरकार के चीनी उद्योग के समर्थन को चुनौती दी, जिसमें आरोप लगाया गया कि, यह ‘डब्ल्यूटीओ’ के नियमों का उल्लंघन करता है और घरेलू समर्थन सीमा से परे है। ब्राजील के साथ, ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला ने भी भारत के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई हैं। इन देशों का आरोप है कि, किसानों को भारत सरकार से मिलने वाली सब्सिडी वैश्विक चीनी बाजार को बिगाड़ती है।
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गन्ना भुगतान नहीं चुकाने के कारण नेपाल सरकार ने चीनी मिलों के बैंक खातों को किया फ्रीज - Published on: 23.01.2020
गन्ना भुगतान नहीं चुकाने के कारण नेपाल सरकार ने चीनी मिलों के बैंक खातों को किया फ्रीज
काठमांडू: संस्कृति, पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक पत्र में, नेपाल राष्ट्र बैंक को निर्देश दिया है कि वह अन्नपूर्णा चीनी मिल और लुंबिनी चीनी मिल के संचालकों के सभी बैंक खातों को फ्रीज कर दे क्यूंकि वे गन्ना किसानों को बकाया भुगतान करने में विफल रहे है। निर्देशों के चलते नेपाल राष्ट्र बैंक ने दोनों मिल संचालकों के खाते फ्रीज किये हैं।
गन्ना बकाया भुगतान को लेकर कई किसानों ने आंदोलन शुरू किया है , इस आंदोलन के चलते आंदोलनकारी गन्ना किसानों और सरकार के साथ एक समझौते के बाद मिलों के मालिकों ने आश्वासन दिया था कि, वे मंगलवार (21 जनवरी) तक सभी बकाया राशि का भुगतान कर देंगे, लेकिन दोनों मिलें भुगतान में विफ़ल रही है। सरकार ने राजस्व जांच विभाग को दो चीनी मिलों के लेनदेन की जांच करने का भी निर्देश दिया है।
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Unseasonal rain, hailstorm destroys crops in Haryana’s Rohtak
Rohtak (Haryana), Jan 17 (ANI): Unseasonal rainfall and hailstorm caused significant damage to crops in Haryana’s Rohtak. Locals said they that have never experienced anything like this earlier. “This is the first time we have experienced something like this. Most of the crops were destroyed and there are chances that this will continue. Farmers have faced a great loss and are having a hard time,” a local told ANI on Friday.
According to the India Meteorological Department (IMD), Rohtak is likely to receive one or two spells of rain or thunderstorm with fog in the mornings in the next week. The forecasting agency also recorded rainfall accompanied by thunderstorms at many places over Uttarakhand, Himachal Pradesh, Haryana, Chandigarh, Delhi, West Uttar Pradesh and West Madhya Pradesh.
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पलवल चीनी मिल में गन्ना किसानों की भूक हड़ताल जारी
पलवल : पलवल सहकारी चीनी मिल के गन्ना किसानों ने अपनी मांगों को लेकर मिल के पास छह दिन से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। मिल कि तरफ से इनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। गन्ना किसानों का आरोप है कि सत्ताधारी दल के नेता किसानों को गुमराह कर रहे हैं। इन्होंने किसानों को पांच लाख क्विंटल गन्ना महम और रोहतक भेजने का आश्वासन दिया था लेकिन इन वायदों को उन्होंने पूरा नहीं किया। चीनी मिल के प्रबंधन भी उनके साथ सही तरीके से पेश नहीं आ रहे।
किसानों नेताओं ने कहा कि जबतक सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती गन्ना किसानों का अनशन जारी रहेगा। किसानों के इस अनशन पर अनेक प्रमुख किसान बैठे हैं। चीनी मिलों की बेरुखी से किसान अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं।
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नानौता चीनी मिल करेगी सल्फर लेस चीनी का उत्पादन
सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने यहां कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने गत 30 महीने में राज्य में एक भी चीनी मिल नहीं बिकने दी। बल्कि सरकार ने बंद पड़ी चीनी मिलों को पुनर्जीवित किया, कुछ को आधुनिक बनाया तो कुछ की उत्पादन क्षमता का विस्तार किया।
राणा ने कहा कि यह हमारे लिए खुशी की बात है कि हम चीनी उत्पदान, गन्ना पेराई और चीनी रिकवरी में प्रथम स्थान पर है। राणा ने कहा की नानौता चीनी मिल अगले साल से सल्फर लेस चीनी का उत्पादन करेगी।
उन्होंने कहा कि योगी जी किसानों की समस्याओं को सुन रहे हैं और उनके हित में अनेक सकरात्मक फैसले ले रहे हैं। इसमें गन्ना किसानों के चीनी मिलों में बकाये का मामला भी शामिल है। योगी सरकार ने चीनी मिलों को सख्त हिदायत दी है कि वे किसानों के पैसे तुरंत चुकता करें।
कई चीनी मिलों के बारे में भी उन्होंने जायजा लिया। उन्होंने कहा कि बीड़वी चीनी मिल का मामला कोर्ट में लंबित है। टोडरपुर चीनी मिल का यदि कोई खरीदार आता है तो उसे बीच सत्र में भी गन्ना उपलब्ध करा देंगे।
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वर्त्तमान पेराई सत्र में उत्तर प्रदेश के चीनी मिलों द्वारा किया गया 4,849 करोड़ का गन्ना भुगतान - Published on: 11.01.2020
वर्त्तमान पेराई सत्र में उत्तर प्रदेश के चीनी मिलों द्वारा किया गया 4,849 करोड़ का गन्ना भुगतान
लखनऊ, 11 जनवरी, देश के सबसे बडे गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में गन्ना पैराई सत्र चरम पर है। प्रदेश में इस साल 119 मिलों मे पैराई सत्र चल रहा है।
राज्य सरकार द्वारा जारी सूचना के अनुसार वर्तमान सरकार के प्रयासों की बदौलत चालू गन्ना पैराई सत्र 2019-20 में गन्ना किसानों को 4,848.62 करोड रुपयों का भुगतान किया गया है। जिसमें सरकार ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए बीते गन्ना पैराई सत्र 2018-19 में 33,048 करोड़ रुपयों में से 31,234 करोड़ रुपये का भुगतान करवाया है जो 94.51 फीसदी है। यही नहीं गन्ना व चीनी विकास विभाग ने गन्ना किसानों और चीनी मिलों के बीच समन्वय स्थापित कर संवादहीनता को समाप्त आपस में तारतम्य बनाने का काम किया है। सरकार का मानना है की देश के अन्य राज्यों में गन्ना किसान बकाया के लिए आंदोलन कर रहे हैं लेकिन यहाँ पर गन्ना किसान पैराई सत्र में व्यस्त है। यहाँ पर किसानों की ज़िलेवार लिस्टें बनायी गयी है। उक्त के अतिरिक्त विगत पेराई सत्र 2017-18 का 35,423 करोड़ रुपये एवं पूर्व पेराई सत्रों का 10,652 करोड़ रुपये का भूगतान भी सुनिश्चित कराया गया है। राज्य सरकार ने इसके लिए बकायादा योजनाबद्द तरीक़े से काम किया है। जिसके कारण बीते दो सालों में ही कुल 82,158 करोड़ रुपये का गन्ना बकाया किसानों के खाते में स्थानांतरित करवाया जा चुका है।
ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल के बाद देश की चीनी मिलों में गन्ना किसानों के बकाया को समय पर चुकाने के लिए स्पष्ट गाइडलाइन बनाने के राज्यों को निर्देंष दिए गए थे जिसके बाद राज्य सरकार ने गन्ना पैराई सत्रों में एक कार्य योजना बनाकर काम शुरु किया गया है, जिसके चलते अब न तो गन्ना किसानों का कहीं बकाया रह रहा है और न ही आर्थिक तंगी के कारण चीनी मिलें बंद हो रही है।
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सहायक चीनी आयुक्त द्वारा मवाना शुगर मिल में सुविधाओं का मुआयना
मवाना: राज्य के मवाना शुगर मिल में गन्ना किसानों के लिए उपलब्ध सुविधाओं का मुआयना किया गया। मुआवना करने जिले के सहायक शुगर कमीशनर शालोक पटेल और खंडसारी विभाग के निरीक्षक विजय मिश्रा पहुंचे थे। उन्होंने मिल में उपलब्ध सुविधाओं और शुगर यार्ड की जांच की।
मिल के प्रांगण में किसानों के व्यापक सुविधाओं को देखकर वे संतुष्ट होकर चले गए। उत्तर भारत में भारी ठंड पड़ रही है। मिल प्रबंधन ने ऐसे में किसानों को निशुल्क चाल की व्यवस्था की है। मिल के अस्सिटेंड जनरल मैनेजर वीरेंद्र कुमार ने कहा कि गन्ना किसानों का यहा पूरा ख्याल रखा जा रहा है। ठंड से बचने के लिए मिल के प्रांगण में कई स्थानों पर आलव और चाय की व्यवस्था की गई है।
गन्ना महाप्रबंधक प्रमोद बलियान ने कहा कि सरकारी अधिकारियों ने मवाना शुगर मिल आकर पहले यार्ड का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा मिल ने गत सप्ताह से किसानों को सुबह-शाम निशुल्क चाय पिला रही है। गौरतलब है कि राज्य में चीनी की पेराई जोरशोर से चल रही है और मिलों में किसानों के गन्ने सतत आ रहे हैं। राज्य सरकार गन्ना किसानों के लिए पर्याप्त व्यवस्था कर रही है और अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे गन्ना किसानों का पूरा ध्यान रखें।
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जम्मू-कश्मीर: स्पेशल शुगर स्कीम को मिली मंजूरी
जम्मू: जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल जी.सी. मुर्मू की अध्यक्षता में प्रशासनिक परिषद की बैठक हुई, जिसमें अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के लाभार्थी परिवारों के लिए जम्मू-कश्मीर स्पेशल शुगर स्कीम को मंजूरी दी गई।
एएवाई समाज के सबसे गरीब परिवारों के लिए शुरू की गई योजना है तथा इस नई स्कीम से केंद्रशासित प्रदेश के 2.33 लाख से ज्यादा एएवाई परिवारों को लाभ मिलने का अनुमान है। इसी महीने से लागू इस स्कीम के तहत, पॉइंट ऑफ़ सेल (पीओएस) उपकरणों के माध्यम से प्रत्येक एएवाई परिवार को हर महीने 1 किलो चीनी 13.50 रु. की रियायती दर पर दी जाएगी। इस स्कीम के लिए प्रशासनिक परिषद हर साल खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग से 2800 मीट्रिक टन चीनी की खरीद करेगा, जिसकी प्रक्रिया ओपन मार्केट में ई-टेंडर जारी कर प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से पूरी की जायेगी।
इसके साथ ही, प्रशासनिक परिषद ने मुफ्ती मोहम्मद सईद फूड एंटाइट्लमेंट स्कीम (एमएमएसएफईएस) को राज्य में फिर से लागू करने का निर्णय भी लिया।
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मध्य प्रदेश: चार एकड़ गन्ने की फसल जलकर राख
खरगौन (मध्य प्रदेश): खरगौन जिले के भगवानपुरा तहसील स्थित पिपल्याबावड़ी गांव के एक खेत में आग लगने से चार एकड़ में लगी गन्ने की फसल जलकर राख हो गई। गांव के लोगों ने आग को बुझाया, लेकिन आग कैसे लगी इसका खुलासा नहीं हो पाया है।
खेत के मालिक ने बताया कि उनके घर के पीछे की तरफ स्थित खेत में बुधवार दोपहर अचानक आग लग गई। खबर पाकर वहां पहुंचे ग्रामीणों ने अपने स्तर पर आग बुझाई, लेकिन तब तक पूरी फसल जल चुकी थी। कुछ गांव वालों ने घटनास्थल से 100 व 101 नंबरों पर कई बार डॉयल किये, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
खेत मालिक परसराम, पुत्र मेहमान ने बताया कि इससे उन्हें करीब दो लाख रुपए का नुकसान हुआ है। फसल पूरी तरह जल गई है तथा अब इससे लागत भी नहीं निकल पाएगी। दुर्घटना का पंचनामा पटवारी राजेश भालसे ने बनाया।
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जल्द गन्ना भुगतान न हुआ तो भारतीय किसान यूनियन की आंदोलन छेड़ने की चेतावनी - Published on: 11.01.2020
जल्द गन्ना भुगतान न हुआ तो भारतीय किसान यूनियन की आंदोलन छेड़ने की चेतावनी
लखनऊ: भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) का आरोप है की उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की बड़ी बुरी स्थिति है। राज्य की चीनी मिलें लापरवाह हो गई हैं। किसानों के 2 हजार करोड़ रुपए दबाए बैठी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती के आदेश को भी इन्होंने दरकिनार कर दिया है। गौरतलब है कि इस स्थिति के बावजूद योगी सरकार ने सहकारी चीनी मिलों दो सौ करोड़ धनराशि दिया और कहा है कि वे इस राशि का उपयोग गन्ना किसानों के बकाए चुकाने के लिए करें।
राज्य सरकार की इस कार्रवाई का भारतीय किसान यूनियन ने विरोध किया है और कहा कि निजी चीनी मिलों में किसानों के 2 हजार करोड़ रुपए का बकाया है। उसका योगी सरकार क्यों नहीं कुछ कर रही। भाकियू ने राज्य सरकार के इस कार्रवाई पर विरोध जताया और कहा कि यदि इन मिलों ने किसानों के पैसे जल्द नहीं चुकाए तो आंदोलन किये जाएंगे।
भाकियू नेता हरिनाम सिंह ने कहा कि उप्र की सहकारी चीनी मिलों पर गत साल लगभग 294 करोड़ का बकाया था। इसके भुगतान के लिए भाकियू ने पूरे राज्य में प्रदर्शन किया था। सीएम योगी ने 4 दिन में भुगतान करने का निर्देश दिया था लेकिन इसे चार महीने बाद किया गया। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश की निजी चीनी मिलों पर अभी भी करीब दो हजार करोड़ का बकाया है अगर इसका भी जल्द भुगतान न किया गया तो भारतीय किसान यूनियन लोकभवन के सामने प्रर्दशन करेगी।
खबरों के मुताबिक उत्तर प्रदेश की अनेक चीनी मिलों पर किसानों के तकरीबन 2 हजार करोड रुपए बाकी है। मुख्यमंत्री योगी भी कई बार इसका तत्काल भुगतान कराने का निर्देश दे चुके हैं। लेकिन अभी तक गन्ना भुगतान बकाया है।
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मोदीनगर सहकारी गन्ना विकास समिति के संचालक सदस्य पद से हटाए गए ब्रजभूषण नेहरा - Published on: 11.01.2020
मोदीनगर सहकारी गन्ना विकास समिति के संचालक सदस्य पद से हटाए गए ब्रजभूषण नेहरा
लखनऊः प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी/निबन्धक सहकारी गन्ना विकास समितियां, उ.प्र. श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा श्री ब्रज भूषण नेहरा, अध्यक्ष, सहकारी गन्ना विकास समिति लि., मोदीनगर-गाजियाबाद को संचालक सदस्य पद से हटा दिया गया है।
इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए गन्ना आयुक्त/निबन्धक ने बताया कि श्री नेहरा के विरूद्ध पद का दुरूपयोग करते हुए अवैध गन्ना आपूर्ति कर गन्ना सट्टा नीति का उल्लंघन करने, अनियमित सदस्यता ग्रहण करने, अपने साथियों के साथ सहकारी गन्ना विकास समिति लि., मोदीनगर में शासकीय रिकार्ड फाड़ने एवं प्रबन्ध कमेटी की बैठकों में बाहरी व्यक्तियों को बैठाकर कमेटी के निर्णयों में दबाव बनाने सहित समित लिपिकों को भड़काकर राजकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने के आरोप सिद्ध पाये गये है।
जांच अधिकारी की आख्या और सम्बन्धित तथ्यों के सम्यक अनुशीलन में श्री नेहरा के दोषी जाने के कारण श्री नेहरा को उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम 1965, तद्विषयक नियमावली, 1968 के प्राविधानों एवं गन्ना समिति की उपविधियों तथा सट्टा नीति के प्रावधानो के उल्लंधन किये जाने के आरोप सिद्ध होने के कारण सहकारी गन्ना विकास समिति लि., मोदीनगर- गाजियाबाद के संचालक सदस्य पद से हटा दिया गया है। जिसके फलस्वरूप श्री नेहरा गन्ना समिति मोदीनगर के अध्यक्ष पद से भी स्वतः हट जायेंगे।
आयुक्त, गन्ना एवं चीनी/निबन्धक सहकारी गन्ना विकास समितियां लखनऊ द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि काई राजकीय कार्मिक अथवा बाहरी व्यक्ति शासकीय कार्यों में व्यवधान उत्पन्न करेगा तो उसके विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जायेगी।
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चीनी मिल को लागत से ज्यादा दी गई ऋण: विधायक पाटिल का आरोप
जलगाँव: मुक्ताई नगर के निर्दलीय विधायक चंद्रकांत पाटिल ने आरोप लगाया कि, पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे की बेटी और जिला बैंक की अध्यक्षा रोहिणी खडसे ने संत मुक्ताई चीनी मिल को लागत से अधिक ऋण मंजूर किया है, इस मिल में रोहिणी खडसे खुद भी भागीदार है। यह सत्ता का दुरुपयोग है और इस भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से फोन पर बात हुई है।
पाटिल ने यह भी कहा की, सोमवार को वह मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे और शिकायत दर्ज करेंगे। विधायक पाटिल ने कहा कि, शिवाजी जाधव ने इस निजी मिल को 49 करोड़ रुपये में खरीद लिया, बाद में, रोहिणी खडसे मिल में भागीदार बनी। जिला बैंक ने इस निजी मिल के लिए 51 करोड़ रुपये का ऋण मंजूर किया, लेकिन इसमें से केवल 30 करोड़ रुपये उठाये है।
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प्रति एकड़ 100 क्विंटल अधिक गन्ने की पैदावार करने के लिए योजना तैयार
मोहाली : पंजाब के मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि, सहकारिता विभाग ने गन्ना किसानों की आय को बढ़ाने के लिए 100 क्विंटल प्रति एकड़ अधिक गन्ने की पैदावार बढ़ाने के लिए एक व्यापक योजना तैयार की है।
रंधावा ने बताया कि, राज्य में गन्ना किसानों की आय बढ़ाने के लिए चीनी मिलें किसानों को एक योजना प्रदान करने में सक्षम है। इस समयबद्ध कार्यक्रम के तहत, किसानों को उन्नत और उच्च उपज किस्मों के प्रमाणित बीज प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि, राज्य की हर एक सहकारी चीनी मिल नर्सरी में उच्च गुणवत्ता वाले गन्ने के बीज का उत्पादन करेगी और किसानों को प्रदान करेगी। इन अनुमोदित बीजों के साथ, प्रति एकड़ 100 क्विंटल अधिक गन्ने की पैदावार बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे, जिससे किसान की आय 30,000 रूपये प्रति एकड़ तक बढ़ जाएगी। मंत्री ने आगे कहा कि, सभी सहकारी चीनी मिलों को दिए गए लक्ष्य को दो साल में प्राप्त करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा, कलनौर (जिला गुरदासपुर) में एक गन्ना संस्थान स्थापित करने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई है।
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महाराष्ट्र: 38 चीनी मिलों द्वारा 100 प्रतिशत गन्ना भुगतान
पुणे : चीनी मंडी
पिछले सीजन की तरह इस सीजन में भी चीनी मिलों द्वारा एफआरपी भुगतान में देरी हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, 31 दिसंबर, 2019 तक, गन्ना खरीद के लिए उचित और पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी) के अनुसार किसानों को 1,771.82 करोड़ रुपये का भुगतान करना था, लेकिन मिलों ने अब तक केवल 1,037.13 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, और 734.69 करोड़ रुपये का बकाया है। महाराष्ट्र में चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों को बकाया भुगतान करने में देरी होती नजर आ रही है, 113 परिचालन मिलों में से केवल 38 मिलों ने 100 प्रतिशत एफआरपी का भुगतान किया है।
राज्यपाल ने 22 नवंबर को आधिकारिक रूप से सीजन शुरू करने की अनुमति दी थी। महाराष्ट्र का गन्ना पेराई सत्र देर से शुरू हुआ था, ज्यादातर मिलों ने दिसंबर के पहले सप्ताह अपना परिचालन शुरू कर दिया था। मिल्स ने पैसों की कमी की शिकायत की है, जिससे किसानों को एफआरपी का भुगतान करने की उनकी क्षमता में बाधा उत्पन्न हुई है। 26 मिलों ने कहा कि, उनके खराब वित्तीय स्वास्थ्य के कारण महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक से वित्त जुटाने में मुश्किल हुई है।
सांगली और कोल्हापुर में मिलों को भारी बारिश और बाढ़ के कारण नुकसान हुआ है, मराठवाड़ा और सोलापुर में सूखे के कारण नुकसान हुआ है। पेराई सत्र की शुरुआत के बाद से, मिलों ने अपनी अनिश्चित वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए शत प्रतिशत एफआरपी का भुगतान करने में असमर्थता जताई है।
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मेक्सिको: चीनी उत्पादन 10 प्रतिशत तक गिरने का अनुमान
मेक्सिको सिटी: रिपोर्ट्स के मुताबिक, सूखे और ठंढ जैसे प्रतिकूल मौसम के कारण 2020 में मैक्सिको के चीनी उत्पादन में 10 प्रतिशत तक की गिरावट होने की उम्मीद है।
देश में लगभग 68% (543,000 हेक्टेयर) गन्ने की फसल प्रतिकूल मौसम से प्रभावित हुई है। 2013 में मेक्सिको का चीनी उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर 69 लाख टन तक पहुंच गया था। स्थानीय गन्ना उत्पादक संघ के अध्यक्ष कार्लोस ब्लैकलर ने कहा कि, नए खाद्य लेबलिंग नियम 2020 चीनी उद्योग के लिए एक चुनौती साबित होगा । गन्ना क्षेत्र स्पष्ट रूप से यह बताने के लिए खाद्य लेबलिंग की मांग कर रहा है की उत्पाद में चीनी या उच्च फ्रुक्टोज सिरप है, इसका उल्लेख होना चाहिए।
दिसंबर 21 तक मेक्सिको का चीनी उत्पादन 4,17,341 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। पिछले सीजन की प्रतिकूल परिस्थितियों के वजह से उत्पादन में गिरावट हुई है।
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किसान सहकारी चीनी मिल में मुख्य गन्ना अधिकारी को शासन ने किया निलंबित
आजमगढ़: दी किसान सहकारी चीनी मिल में एक के बाद ऐक भ्रष्टाचार का मामला सामने आ रहा है। भ्रष्टाचार के मामलें पहले ही गन्ना अधिकारी पीके सिंह व जीएम बीके अबरोल का निलंबन हुआ है, अब मंगलवार को गन्ना आपूर्ति में अनियमितता के मामले में मुख्य गन्ना अधिकारी राधेश्याम पासवान को भी शासन ने निलंबित कर दिया।
चीनी मिल में तौल लिपिक और गन्ना अधिकारी की तैनाती से संबंधित आडियो वायरल हुआ था। डीएम नागेंद्र प्रसाद सिंह ने इसकी जांच एडीएम वित्त एवं राजस्व गुरु प्रसाद गुप्ता से कराई थी। तफ्तीश में यह बात सामने आयी की यह आडियो एक साल पुराना है। बावजूद इसके इसमें तौल लिपिकों और गन्ना अधिकारियों की तैनाती में भ्रष्टाचार की पुष्टि हुई थी। विस्तृत जांच रिपोर्ट शासन को भेजी थी।
प्रबंध निदेशक लखनऊ विमल कुमार दुबे ने बताया कि, मुख्य गन्ना सलाहकार लखनऊ आरसी पाठक ने मामले की जांच की। जिसमें मुख्य गन्ना अधिकारी राधेश्याम पासवान दोषी पाए गए।उन्होंने कहा कि, भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी अधिकारी को बख्शा नही जाएगा। योगी सरकार चीनी उद्योग में ज्यादा से ज्यादा पारदर्शिता लाने की कोशिश कर रही है, जिससे किसानों को कोई तकलीफ ना हो।
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गन्ना सट्टा नीति का उल्लंघन करने के आरोप में सदस्य संचालक के खिलाफ कार्यवाही - Published on: 10.01.2020
गन्ना सट्टा नीति का उल्लंघन करने के आरोप में सदस्य संचालक के खिलाफ कार्यवाही
लखनऊः प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी/निबन्धक सहकारी गन्ना विकास समितियां, उ.प्र. श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा श्री हरी ओम, सदस्य संचालक (पूर्व सभापति) सहकारी गन्ना विकास समिति लि., तितावी-मुजफ्फरनगर को तत्काल प्रभाव से पद्च्युत, करते हुए आगामी तीन वर्षों तक गन्ना समिति के चुनाव से प्रतिबन्धित कर दिया गया है।
इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए गन्ना आयुक्त,/निबन्धक ने बताया कि श्री हरीओम, के विरूद्ध बेसिक कोटे से अधिक गन्ना आपूर्ति करके गन्ना आयुक्त, उ.प्र. द्वारा पेराई सत्र 2016-17 हेतु जारी गन्ना सट्टा नीति का उल्लंघन करने की शिकायत प्राप्त हुई थी, तथा प्रबन्ध समिति के संचालक सदस्यों द्वारा भी इनके विरूद्ध लाये गये अविश्वास प्रस्ताव पर कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया था। इस प्रकरण में चीनी मिल खाईखेड़ी एवं तितावी द्वारा भी यह अवगत कराया गया है कि श्री हरिओम द्वारा अपने पद का दुरूपयोग करके चीनी मिलों पर अनावश्यक दबाव बनाकर गन्ने की आपूर्ति नियम विरूद्ध की गयी है।
श्री हरिओम को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर भी दिया गया, जांचदल की आख्या और सम्बन्धित तथ्यों के सम्यक अनुशीलन के पश्चात् श्री हरीओम, को उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम 1965, तद्विषयक नियमावली, 1968 के प्राविधानों एवं उपविधियों का उल्लंधन किये जाने के आरोप सिद्ध होने के कारण निहित प्राविधानों के अन्तर्गत तत्काल प्रभाव से पद्च्युत, करते हुए आगामी तीन वर्षों तक गन्ना समिति चुनाव से प्रतिबन्धित कर दिया गया है।
आयुक्त, गन्ना एवं चीनी/निबन्धक सहकारी गन्ना विकास समितियां लखनऊ द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया है कि शासन के निर्देशानुसार शासकीय कार्यों में भ्रष्टाचार पर ’जीरो टॉलरेन्स’ की नीति का अनुसरण किया जाएगा, एवं यदि किसी भी व्यक्ति की संलिप्तता भ्रष्टाचार एवं कदाचरण आदि कार्यो में पायी जाएगी तो उसके विरूद्ध दण्डात्मक रूख अपनाते हुए सख्त कार्यवाही की जायेगी। -
किसानों द्वारा चीनी मिल की क्षमता बढ़ाने की मांग
पलवल: जिले के गन्ना किसानों ने सहकारी चीनी मिल की पेराई क्षमता बढ़ाने की मांग की है। किसानों का आरोप है कि मिल में केवल 12 हजार क्विंटल ही गन्ने की पेराई हो रही है जबकि 19 हजार क्विंटल गन्ने की पेराई होनी चाहिए थी। गन्ना किसानों ने इसे लेकर मिल प्रबंधन की ढुलमुल नीतियों के खिलाफ नारे लगाए और मिल के गेट पर धरना दिया।
गन्ना किसानों का आरोप था कि गन्ने के इस सीजन में मिल में अव्यवस्था है। मिल में पेराई तकनीकी खराबी के कारण मिल धीमी चल रही है जबकि किसानों के गन्ने खेत से निकल कर मिल तक पहुंच चुके हैं। उनकी गाड़ियां चीनी मिल के प्रांगण में खड़ी हैं। किसानों को इससे काफी परेशानी हो रही है।
किसानों ने कहा कि उन्होंने पांच लाख क्विंटल गन्ना सोनीपत औऱ महम चीनी मिल में भेजने की मांग की है। लेकिन अभी तक इसपर सुनवाई नहीं हुई है।
बकाया भुगतान भी किसानों का मुद्दा था। उनका आरोप था कि मिलें खरीदे गये गन्ने के हिसाब से राशि का भुगतान नहीं कर रहीं हैं। किसानों की मांग है की, बॉंडिंग के हिसाब से अभी तक किसानों का जितना गन्ना खरीद जा सकता था उस हिसाब से राशि का भुगतान किया जाना चाहिए।
धरना कर रहे किसानों ने कहा कि प्रदेश सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने 12 दिसंबर को गन्ना पेराई का शुभारंभ किया था, लेकिन अभी तक मिल अच्छी स्तिथि में नहीं चल पा रही है। मिलों की पेराई क्षमता भी कम है।
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रीगा चीनी मिल के चेयरमैन ने आर्थिक संकट के लिए राज्य सरकारी नीति को ठहराया दोषी - Published on: 10.01.2020
रीगा चीनी मिल के चेयरमैन ने आर्थिक संकट के लिए राज्य सरकारी नीति को ठहराया दोषी
सीतामढ़ी (बिहार)। यहां की रीगा चीनी मिल ने अपने मौजूदा आर्थिक संकट के लिए राज्य सरकार की नीति को दोषी ठहराया और कहा है कि मदद नहीं मिलने की वजह से ही वह गन्ना किसानों को बकाया भुगतान नहीं कर पा रही है।
मिल के चेयरमैन ओमप्रकाश धानुका ने राज्य सरकार पर यह आरोप मिल के अतिथिगृह में मंगलवार को आयोजित किसानों की एक बैठक में लगाया। उन्होंने कहा कि पिछले साल की प्राकृतिक आपदाओं में मिल को बहुत नुकसान हुआ तथा इसकी मरम्मत में करीब 11 करोड़ रुपये खर्च हुए। मुख्यमंत्री से कई बार अनुरोध के बाद भी उन्हें मिलने का समय नहीं मिला, बल्कि परोक्ष रूप से मिल को बेच देने को कहा गया। पिछले 6 साल से भयंकर आर्थिक संकट झेल रही यह मिल अब सुचारू रूप से चल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार यदि 40 करोड़ का कर्ज दे तो मिल किसानों का भुगतान तत्काल कर देगी।
बता दें कि गत वर्ष मजदूर नेता ओमप्रकाश पटेल के हत्या मामले में धानुका आरोपी थे। जमानत मिलने के बाद वे पहली बार किसानों से मिले। बैठक में गन्ना किसानों और चेयरमैन के बीच बकाया भुगतान को लेकर बहस भी हुई। उन्होंने किसानों से सहयोग की अपील की और कहा कि मिल की आर्थिक स्थिति अच्छी होते ही किसानों के करोड़ों रुपये बकाया भुगतान के साथ ही बैंकों के कर्ज भी चुका दिये जाएंगे। इस पर कुछ किसान बैठक से चले गए। बैठक में मिल के कई अधिकारी और सैकड़ों की संख्या में किसान उपस्थित थे।
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ब्रह्मवार चीनी मिल बंद होने से गन्ना किसानों को मिला गुड़ का विकल्प
कुंदापुर (कर्नाटका ) : ब्रह्मवार चीनी मिल के बंद होने से, मिल पर निर्भर हजारों किसान निराश हो गए थे। गन्ने की खेती करने वाले किसान संकट में थे, लेकिन, अब किसानों को चीनी के बजाय गुड़ का विकल्प मिल गया है। जब ब्रह्मवार चीनी मिल फिर से शुरू होने में विफल रही, तो उडुपी जिला रयथ संघ के सदस्य उमेश शेट्टी, जिन्होंने अपनी 8 एकड़ जमीन पर गन्ने की खेती की थी, उन्होंने गुड़ उत्पादन का फैसला किया। उन्होंने शनाडी में 5.5 लाख रुपये की अनुमानित लागत पर ‘अलेमाना ’(गुड़ बनाने की इकाई) का निर्माण किया। किसान रामचंद्र भट ने न केवल शेट्टी का समर्थन किया, बल्कि गुड़ के उत्पादन में भी उनकी मदद की।
शेट्टी सप्ताह में पाँच दिन अपने द्वारा उत्पादित गन्ने की पेराई करते हैं, भाट शेष दो दिनों में गन्ने की पेराई करते है। हर दिन कम से कम 10 से 12 पेटी गुड़ तैयार किया जाता है। शेट्टी ने कहा, इस स्तर पर लाभ की उम्मीद करना मुश्किल है। हमने खेत में तैयार गन्ने की खड़ी फसल को देखकर यह पहल शुरू की है। गन्ने के रस को किसी भी रसायनों का उपयोग किए बिना संसाधित किया जाता है, ताकि अशुद्धियों को दूर किया जा सके और गुणवत्ता वाले गुड़ का उत्पादन किया जाए। कुंदापुर एपीएमसी के अध्यक्ष शरथ कुमार शेट्टी ने कुंदापुर में साप्ताहिक बाजार में गुड़ के बिक्री की व्यवस्था करने का वादा किया है। उडुपी जिला रयथ संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने अलेमाना का दौरा किया जहां गुड़ का उत्पादन किया जाता है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने केन्द्रीय बजट 2020 से पहले जनता से मांगा सुझाव
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्रीय बजट 2020 के लिए MYGov.in पर विचार एवं सुझाव आमंत्रित किए हैं।
उन्होंने कहा, ‘केन्द्रीय बजट 130 करोड़ भारतीय लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है और भारत के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। मैं आप सभी को इस वर्ष के बजट के लिए MyGov.in पर अपने विचार एवं सुझाव साझा करने के लिए आमंत्रित करता हूं।’
आम बजट एक फरवरी को पेश किया जाएगा। बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर दो चरणों में 3 अप्रैल तक चलेगा। पहला चरण 31 जनवरी से 11 फरवरी तक और दूसरा 2 मार्च से 3 अप्रैल तक होगा।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने सालाना जीडीपी ग्रोथ का पहला अनुमान मंगलवार को जारी किया था। 2019-20 में सिर्फ 5% ग्रोथ की उम्मीद है। पिछले साल 6.8% थी। ऐसे में बजट में ग्रोथ बढ़ाने के उपाय करना सरकार का लक्ष्य होगा। मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था पर सोमवार को देश के 11 प्रमुख उद्योगपतियों से भी चर्चा की थी।
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यशवंत चीनी मिल जल्द से जल्द शुरू करने की कोशिश : सांसद डॉ अमोल कोल्हे
पुणे : चीनी मंडी
रांकापा सांसद डॉ. अमोल कोल्हे ने कहा की, हवेली तालुका के थेउर गांव में स्थित यशवंत सहकारी चीनी मिल पिछले आठ साल से बंद है, जिसके कारण यहां के हजारों किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार यह चीनी मिल शुरू करने के प्रयासों में जुटी है, अब मै भी विधायक अशोक पवार के साथ मिलकर मिल जल्द से जल्द शुरू होने के लिए कोशिश करूँगा।
सांसद कोल्हे थेउर में भक्त निवास के भूमिपूजन समारोह में प्रमुख अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा की, किसानों के हितों की रक्षा करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, अगर यशवंत चीनी मिल फिर से शुरू होती है, तो यहां के किसानों की तकदीर बदल जाएगी। मिल शुरू करने के लिए राज्य सरकार और राज्य बैंक के अधिकारियों के साथ बातचीत जारी है, मिल के अगले 25 साल के भविष्य को लेकर फैसला लिया जाएगा। इस अवसर पर जिला परिषद अध्यक्ष विश्वासराव देवकाते, यशवंत चीनी मिल के पूर्व निदेशक रामभाऊ कुंजीर, प्रभाकर काकडे, बापूसाहेब बोधे, युगंधर कालभोर, तात्यासाहेब काले आदि उपस्थित थे।
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मौजूदा गन्ना मूल्य में नहीं कर सकते है बढ़ोतरी: मुख्यमंत्री
पोंडा: चीनी मंडी
बंद संजीवनी मिल, गन्ना कटाई में धीमापन और राज्य सरकार का नकारात्मक रवैया इसके कारण गोवा के किसानों में गन्ने की खेती करनी है या नहीं, इसको लेकर दुविधा में है। किसानों की इस दुविधा का समाधान करते हुए मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत उन्हें आश्वासन दिया कि, धरबंधोरा की संजीवनी सहकारी चीनी मिल उनसे गन्ना खरीदेगी, और किसान आगे भी गन्ना फसल की खेती जारी रखें। इस साल के पेराई सत्र के दौरान मिल को बंद रखने के सरकार के फैसले ने किसानों को एक चिंता में डाल दिया था। सावंत ने कहा कि, संजीवनी मिल अगले साल उनकी उपज की खरीद करेगी।
वर्तमान में, संजीवनी मिल द्वारा पेराई नही हो रही है, लेकिन मिल गोवा के किसानों से गन्ना खरीदती है और इसे कर्नाटक के खानापुर में लैला चीनी मिल में भेजा जाता है। मुख्यमंत्री ने किसानों को यह भी आश्वासन दिया कि, उनके गन्ने की कटाई की दर इस साल से 200 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये प्रति टन कर दी जाएगी। हालांकि, उन्होंने कहा कि, वे मौजूदा गन्ना मूल्य 3,000 रुपये से 4,000 रुपये प्रति टन की दर से वृद्धि नहीं कर सकते।
किसान कर रहे थे विरोध प्रदर्शन…
संजीवनी चीनी मिल और गन्ने से संबंधित विभिन्न मांगों को लेकर, किसानों ने मंगलवार से धरबंधोरा में मिल परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था और सरकार से उनकी मांगों को पूरा करने के लिए लिखित आश्वासन की मांग की थी। किसानों की मांगों में उनके खेतों से जल्द से जल्द गन्ने की कटाई और परिवहन शामिल था, जो बहुत धीमी गति से चल रहा है। अन्य मांगों में, यदि श्रमिकों की कमी के कारण उनकी फसल खेतों में सूख जाती है तो किसानों की क्षतिपूर्ति करनी चाहिए, गन्ने का मूल्य राज्य की मिल दर के अनुसार दिया जाना चाहिए और संजीवनी मिल का 2020 में संचालन शुरू होना चाहिए।
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कप्तानगंज चीनी मिल प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज
कप्तानगंज (उत्तर प्रदेश): यहां के ठूठीबारी क्षेत्र के किसानों का गन्ना तौल नहीं करने, सरकारी कार्य में बाधा डालने तथा सरकारी आदेश की अवहेलना करने के आरोप में कप्तानगंज चीनी मिल के प्रबंधन और तौल कर्मचारियों के खिलाफ ठूठीबारी कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है।
ठूठीबारी के कोतवाल छोटेलाल ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि गन्ना विकास निरीक्षक, सरकारी गन्ना विकास लिमिटेड सिसवा, प्रेमनाथ पांडेय ने यह मुकदमा दर्ज कराया है। गन्ना विकास निरीक्षक ने अपनी तहरीर में बताया है कि सरकार की ओर से ठूठीबारी क्षेत्र के किसानों का गन्ना कप्तानगंज चीनी मिल को आवंटित किया गया है तथा नियमों के मुताबिक मिल चालू होने के बाद क्षेत्र के किसानों के गन्ने की संबंधित मिल के कर्मियों द्वारा कांटा लगाकर तौल की जानी चाहिए थी। लेकिन मिल प्रबंधन की उदासीनता और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण अभी तक सेंटर पर न तो कांटा लगाया गया और न ही गन्ना की तौल की जा रही है। इस संबंध में मिल प्रबंधन कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण भी नहीं दे रहा है।
जागरण डॉट कॉम के मुताबिक, जिला प्रशासन ने मिल के खिलाफ केस दायर करने का आदेश दिया। आदेश पर अमल करते हुए कप्तानगंज चीनी मिल के प्रबंधन और कर्मचारियों के खिलाफ उप्र गन्ना पूर्ति खरीद विनियामक अधिनियम 1953, उप्र पूर्ति एवं खरीद विनियामक आदेश 1954 की धारा पांच के अंतर्गत धोखाधड़ी, जालसाजी, कार्य दायित्व में लापरवाही, 120बी तथा 3/7 एक्ट के तहत कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया।
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पुरुषों से ज्यादा चीनी खाती हैं महिलाएं: सर्वे
नई दिल्ली : चीनी मंडी
एक सर्वेक्षण यह बात निकलकर सामने आई है की, महिलाए पुरूषों से ज्यादा चीनी सेवन करती है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, राष्ट्रिय पोषण संस्थान (हैदराबाद) और आंतरराष्ट्रिय जीवन विदयान संस्थान द्वारा यह सर्वेक्षण किया गया था। सर्वेक्षण के अनुसार महिलाएं एक दिन में लगभग 20.2 ग्राम चीनी का सेवन करती है, जबकि पुरुषों का प्रति दिन चीनी सेवन 18.7 ग्राम है। अध्ययन का अन्य महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह था की, भारत के मेट्रो शहरों में प्रतिदिन चीनी सेवन सबसे ज्यादा मुंबई और सबसे कम हैदराबाद में किया जाता है। अध्ययन में समुदाय द्वारा चीनी की खपत, साक्षरता का स्तर, व्यवसाय, गतिविधि की स्थिती और आहार सेवन मापा गया।
आंतरराष्ट्रिय जीवन विदयान संस्थान के अध्यक्ष प्रो. पी. के.सेठ के अनुसार, मुंबई और अहमदाबाद का औसत चीनी सेवन स्तर क्रमशः 26.3 और 25.9 ग्राम प्रतिदिनं है, जो दिल्ली (23.2), बेंगलुरु (19.3), कोलकाता (17.1) और चेन्नई (16.1) से बहुत ज्यादा है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, राष्ट्रिय पोषण संस्थान (हैदराबाद) और आंतरराष्ट्रिय जीवन विदयान संस्थान की यह पहली पहल है, जिसमे उन्होंने देश के प्रमुख 7 मेट्रो शहरों में शहरवासियों के चीनी सेवन की आदत की जानकारी मिलती है।
निष्कर्षों से यह भी पता चला है की, सभी मेट्रो शहरों में एडेड चीनी की औसत दैनिक खपत प्रतिदिन 19.5 ग्राम है। सर्वेक्षण में आयु समूहों द्वारा अतिरिक्त चीनी सेवन को भी मापा गया। सामान्य तौर पर वयस्क और बुजुर्ग लोग कम उम्र के लोगों के तुलना में थोड़ी अधिक चीनी सेवन करते है। वृद्ध वयस्कों में सबसे अधिक चीनी सेवन पाया गया था, 36 – 59 वर्ष आयु वर्ग प्रति दिन 20.5 ग्राम, उसके बाद बुजुर्ग (60 आयु से अधिक) 20.3 ग्राम प्रतिदिन चीनी सेवन करते है।किशोरों ने प्रतिदिन 19.9 ग्राम का उपभोग किया और युवा वयस्क (आयु 18-36 ) प्रतिदिन 19.4 ग्राम का उपभोग कर रहे थे, और लगभग उतना ही किशोरों का चीनी सेवन था। स्कूली बच्चे और प्री – स्कुल के बच्चे क्रमशः 17.6 और 15.6 ग्राम चीनी का सेवन करते नजर आए।
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सरकार ने गन्ना घटतौली की कुप्रथा को खत्म करने के लिए उठाये कदम
लखनऊ: आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, उ.प्र. श्री संजय आर.भूसरेड्डी द्वारा अवगत कराया गया है कि पेराई सत्र के दौरान गन्ना क्रय केन्द्रों पर तौल कार्य हेतु तैनात होने वाले मिल एवं समिति तौल लिपिकों को नौ अंकीय यूनिक कोड आंवटित किये जाने के आदेष निर्गत किये गये थे, जिसके अनुपालन में परिक्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा सम्बन्धित चीनी मिलों के लाइसेंस धारक तौल लिपिकों को यूनिक कोड आवंटित करते हुए चीनी मिलों को भी अवगत कराया जा चुका है। इसी क्रम में विभाग में संचालित ई.आर.पी. के माध्यम से तौल लिपिकों का पाक्षिक स्थानान्तरण कराये जाने का भी निर्णय लिया गया है।
घटतौली की कुप्रथा को पूर्णतः समाप्त करने हेतु प्रथमबार ई.आर.पी. के माघ्यम से तौल लिपिकों के रेन्डमली स्थानान्तरण किये जा रहे हैं। स्थानान्तरण इस प्रकार किये जायेंगे कि किसी भी तौल लिपिक को एक ही क्रय केन्द्र पर पेराई सत्र के दौरान एक से अधिक बार तैनाती न मिले। प्रत्येक तौल लिपिक को एक आई.डी. कार्ड अपने गले में पहनना अनिवार्य कर दिया गया है, जिसमें तौल लिपिक का फोटो, लाइसेन्स नम्बर, यूनिक आई.डी. नम्बर, नाम, पिता का नाम, मोबाइल नम्बर व चीनी मिल का नाम दर्ज होगा। इस प्रकार तौल व्यवस्था में पूर्ण पारदर्षिता आयेगी।
ई.आर.पी. के माध्यम से स्थानान्तरित होने वाले तौल लिपिकों को स्थानान्तरण पश्चात् अनिवार्य रूप से सम्बन्धित क्रय केन्द्र पर योगदान प्रस्तुत करना होगा। जिन चीनी मिलों तथा तौल लिपिकों द्वारा इसकी अवहेलना की जायेगी, उनके विरूद्व उ.प्र. गन्ना (पूर्ति एवं खरीद विनियमन) अधिनियम 1953 एवं उ.प्र. गन्ना (पूर्ति एवं खरीद विनियमन) नियमावली 1954 के अन्तर्गत कार्यवाही सुनिष्चित की जायेगी। इस व्यवस्था से तौल लिपिकों के तैनाती में पारदर्षिता आयेगी तथा तौल लिपिकों की तैनाती में स्थानीय स्तर पर दबाव कम होगें।
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गन्ना भुगतान के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 200 करोड रूपये की धनराशि जारी - Published on: 09.01.2020
गन्ना भुगतान के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 200 करोड रूपये की धनराशि जारी
लखनऊ: मा. मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ द्वारा किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान को दी जा रही प्राथमिकता एवं मा. गन्ना मंत्री, श्री सुरेश राणा के प्रयास से प्रदेश की 20 सहकारी चीनी मिलों पर पेराई सत्र 2018-19 के बकाया गन्ना मूल्य के भुगतान हेतु राज्य सरकार ने रू.200.00 करोड की धनराशि अवमुक्त की गयी है। इस धनराशि से सहकारी क्षेत्र की चीनी मिलों द्वारा पेराई सत्र 2018-19 के अवषेष गन्ना मूल्य का भुगतान गन्ना किसानों को किया जायेगा। किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान कराया जाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है।
उक्त जानकारी देते हुए प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा बताया गया कि, सहकारी क्षेत्र की 24 चीनी मिलों में से 04 सहकारी चीनी मिलों मोरना, पुवायां, स्नेहरोड व सठियांव द्वारा पूर्व में ही पेराई सत्र 2018-19 का गन्ना मूल्य भुगतान कर दिया गया है। शेष 20 सहकारी चीनी मिलों पर बकाया गन्ना मूल्य के भुगतान हेतु राज्य सरकार द्वारा रू.200.00 करोड की धनराशि अवमुक्त की गयी है। राज्य सरकार द्वारा अवमुक्त की गयी धनराशि से किसानों के बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान दो दिन के अन्दर उनके बैंक खातों में पहुॅच जायेगा। राज्य सरकार के इस निर्णय से गन्ना किसानों में खुशी की लहर है।
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कर्नाटक की ब्रह्मवर चीनी मिल के पुनरुद्धार पर विचार
बेंगलुरू: कर्नाटक सरकार ने कहा है कि वह बंद पड़ी ब्रह्मवर सहकारी चीनी मिल को फिर से चालू करने पर विचार कर रही है तथा पुनरुद्धार से पहले इसका विस्तृत अध्ययन किया जाएगा।
राज्य के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई ने मंगलवार को यहां प्रेस से बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार ब्रह्मवर सहकारी चीनी मिल का पुनरुद्धार करना चाहती है तथा इसकी योजना बनाने से पहले सरकार मिल की स्थिति का विस्तृत अध्ययन करेगी। यह मिल 2004 से बंद पड़ी है।
इस मौके पर मंत्री ने किसानों के लिए महत्वपूर्ण वरही सिंचाई परियोजना में देरी होने का कारण भूमि अधिग्रहण संबंधी समस्याओं को बताया तथा जिला सरकारी अस्पताल को जल्द अपग्रेड करने और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की कमी को दूर करने का आश्वासन भी दिया।
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ग्रामीण भारत बंद: किसानों ने आज कई चीनी मिलों को सप्लाई नहीं किया गन्ना
लखनऊ: किसानों और मजदूरों की समस्याओं को लेकर आज ग्रामीण भारत बंद का आह्वान किया गया है। जिसका देश के कई राज्यों में असर दिख रहा है। इस बंद में गन्ना किसानों ने भी बढ़ चढ़कर भाग लिया।
उत्तर प्रदेश के कई गन्ना किसानों ने मिलों को गन्ना सप्लाई नहीं किया, जिसका असर चीनी मिल के पेराई पर पड़ता दीखता नजर आ रहा है।
ग्रामीण भारत बंद होने के अंतर्गत आज राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन की टीम ने अपने अलग-अलग गांवों में कार्य किया। खबरों के मुताबिक, बिलाई समेत किसानों ने कई चीनी मिलों में गन्ना सप्लाई नहीं की।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार बिजनौर में 95 प्रतिशत गन्ने की आपूर्ति बंद रही और कई चीनी मिलों के सेंटर पर तौल नहीं हुई।
यह है किसानों की मुख्य मांगे: किसानों का संपूर्ण कर्ज मुक्त किया जाए। माननीय स्वामीनाथन की सिफारिश के अनुसार लागत के डेढ़ गुना दाम देने का कानून बनाया जाए। पूर्व बकाया गन्ना भुगतान में ब्याज सहित और वर्तमान गन्ना भुगतान 14 दिन के अंतराल में कराया जाए। आवारा पशुओं से फसलों के नुकसान से बचने के लिए स्थाई समाधान किया जाए। दूध उत्पादक किसानों को प्रति लीटर ₹5 सब्सिडी प्रदान की जाए। गन्ने की पत्ती जलाने से रोक हटाई जाए। 60 वर्ष से अधिक किसानों को ₹10000 मासिक पेंशन दी जाए। किसानों का आरोप है की फसल बीमा कंपनियां के द्वारा किसानों से पैसे तो लिए जाते हैं लेकिन किसानों को लाभ नहीं दिया जाता। जो भी किसानों का नुकसान हो, चाहे वह प्राकृतिक आपदा हो या आवारा पशुओं से उनको बीमा कंपनियां द्वारा मुआवजा दिलाया जाए आदि समस्याओं को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की मुहिम तेज रही।
आपको बता दे, ट्रेड यूनियन समित बैंक भी आज हड़ताल पर है। देश के किसान और श्रमिक संगठनों द्वारा किए गए ग्रामीण भारत बंद के कारण दूध, अनाज, फल एवं सब्जियों की आवक प्रभावित हुई। किसानों की लंबीत मांगों को लेकर देशभर के 250 किसान संगठनों ने इसका आयोजन किया।
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राणा शुगर मिल के प्रबंधन के साथ गन्ना किसानों का गतिरोध खत्म - Isha Waykool Published on: 03.01.2020
राणा शुगर मिल के प्रबंधन के साथ गन्ना किसानों का गतिरोध खत्म
अमृतसर: किसान यूनियन और राणा शुगर मिल के प्रबंधन के बीच गतिरोध समाप्त हो गया है। मामला नौ गन्ना किसानों के गन्ना खरीद का था। मिल प्रबंधन और किसानों के बीच पारस्परिक समझौते हुआ और बाद में नौ गन्ना किसानों का गन्ना लिया जाएगा यह घोषित किया गया।
राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के निर्देश पर जिला प्रशासन ने इस मामले में दखल दिया और मिल प्रबंधन और किसानों के बीच सुलह के लिए बैठक बुलाई थी। इस बैठक में आईजी (बॉर्डर रेंज) एसपीएस परमार, उपायुक्त शिवदुलार सिंह ढिल्लों, एसएसपी (ग्रामीण) विक्रमजीत सिंह दुग्गल और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
बैठक में भाग लेने वाले किसान मजदूर संघ समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि चीनी मिल के प्रबंधन ने इस सीजन में अपनी फसल की खरीद के लिए नौ किसानों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करना स्वीकार किया है। यह समझौता अप्रैल तक रहेगा।
उन्होंने कहा कि कुछ किसानों ने पहले चीनी मिल के खिलाफ गतिरोध कायम किया था। इन किसानों के गन्ने मिल ने लेने बंद कर दिये था। इससे वे मिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
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आईटी प्लेटफार्म से जुड़े 46 लाख गन्ना किसान
लखनऊ : चीनी मंडी
चीनी उद्योग में ज्यादा से ज्यादा पारदर्शिता लाने की योगी सरकार कि कोशिशें रंग लाती नजर आ रही है। ईआरपी (इंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग) व्यवस्था कें कारण उत्तर प्रदेश में चीनी उद्योग से जुडे कामकाज में पारदर्शिता देखने को मिल रही है। गन्ना किसानों को आपूर्ति के लिए समय से पर्ची और पारदर्शी भुगतान के लिए शुरू की गई ईआरपी (इंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग) व्यवस्था लागू होने के बाद प्रदेश के 45 लाख से ज्यादा गन्ना किसान इससे जुड़ गए हैं। इन किसानों को उनकी पर्ची के संबंध में एसएमएस के जरिए सूचित किया जा रहा है। ईआरपी के लागू होने के बाद टीडीएस के 180 करोड़ रुपये अंशदान के रूप में समितियों को मिले हैं, जिसे किसानों की भलाई के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
गन्ना किसानों की समस्याओं को दूर करने और सहकारी गन्ना समितियों के पर्ची निर्गमन एवं अन्य कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए ईआरपी माड्यूल विकसित किया गया है। ईआरपी के तहत 168 गन्ना समितियों की मानव संपदा, कृषि निवेश व्यवसाय, लेखा एवं पर्ची निष्कासन के लिए अलग-अलग एचआर माड्यूल, खाद एवं कीटनाशक वितरण के लिए माड्यूल, समिति की बैलेंसशीट, अकाउंटिंग व टीडीएस माड्यूल विकसित किए जा रहे हैं। इससे गन्ना समितियों का पूरी तौर पर कम्प्यूटरीकरण हो जाएगा और पूरी व्यवस्था पारदर्शी हो जाएगी। सभी लेनदेन की जानकारियां ऑनलाइन हो जाएंगी और किसानों को समिति के दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे।
E गन्ना ऐप को लॉन्च होने के दो महीने के अंदर ही आठ लाख से ज्यादा किसानों ने डाउनलोड किया हैं। ईआरपी से किसानों को अपने सर्वे सट्टा, कैलेंडर और पर्ची की जानकारी ऑनलाइन मिल रही है।
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मोदी चीनी मिल के दो लोगों को जारी किया गया कारण बताओ नोटिस
गाजियाबाद: मोदी चीनी मिल के गन्ना केंद्र के खिलाफ़ स्थानीय किसानों की अनेक शिकायतों के बाद डीएम ने मिल की जांच की तथा इसमें कई खामियां पायी गईं। इस संबंध में मिल के केयरटेकर सहित दो लोगों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के अंदर जवाबतलब किया गया है।
नवभारत टाइम्स के मुताबिक, डीएम डॉ. अजय शंकर पांडेय ने बताया कि मोदी चीनी मिल का टिकारी गांव स्थित बी नंबर का गन्ना केंद्र बना हुआ है। इस बारे में क्षेत्र के किसानों सहित कई लोगों ने शिकायत की थी तथा केंद्र पर नियमों का पालन नहीं किये जाने का आरोप भी लगाया। इसके बाद जांच की कार्रवाई की गई जिसमें शिकायतों को सही पाया गया। इस मामले में डीएम ने एसडीएम मोदीनगर को जांच सौंपी थी, जिसमें बताया गया है कि निरीक्षण के दौरान केंद्र पर दैनिक गन्ना खरीद रजिस्ट्री में प्रविष्टि नहीं मिली, जो अशुद्धि गन्ना नियमावली 1954 का उल्लंघन है। इसके अलावा केंद्र पर पशुओं के लिए पीने का पानी, पर्ची समरी, टोल फ्री नंबर आदि भी नहीं मिले। यह गन्ना आयुक्त के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।
जांच रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए गन्ना नियम 120 और 122 के तहत मोदी चीनी मिल के केयरटेकर (अध्यासी) वेदपाल मलिक और तौल लिपिक अरविंद को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जवाब देने के लिए उन्हें एक सप्ताह का समय दिया गय़ा है। एक सप्ताह के अंदर संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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उत्तम चीनी मिल प्रबंधन कार्यालय पर हुआ जमकर हंगामा
देहरादून: उत्तम चीनी मिल पर बाहर का गन्ना खरीदने का आरोप लगाया गया और जबकि स्थानीय किसान परेशान हैं। इसके लिए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के कार्यकर्ताओं ने मिल के प्रबंधन कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। यूनियन ने मिल के क्रय केंद्रों पर गन्ने की घटतौली कर किसानों को लूटने का आरोप भी लगाया है।
किसानों का आरोप है कि क्षेत्र के किसान गन्ना पर्ची कम आने से परेशान हैं। भाकियू का आरोप है कि चीनी मिल बाहर का गन्ना खरीद कर रही है, जिसकी वजह से स्थानीय किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मिल के इस रवैये के विरोध में किसानों और भाकियू के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को उत्तम शुगर मिल कार्यालय पहुंचकर कड़ा विरोध जताया तथा हंगामा किया। भाकियू ने चेतावनी दी यदि छह जनवरी तक गन्ना पखवाड़े का तीसरा पक्ष समाप्त नहीं हुआ तो आंदोलन होगा।
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संजीवनी चीनी मिल को अगले साल से शुरू करने की मांग
पोंडा: संजीवनी चीनी मिल के क्षेत्र वाले गन्ना किसानों ने गुरुवार को एक बैठक की और गन्ना कटाई की धीमी गति के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए, उनके खिलाफ 7 जनवरी को आंदोलन शुरू करने का फैसला किया। किसान लिखित आश्वासन की मांग करते हुए आंदोलन शुरू करेंगे कि सरकार गन्ना पेराई की जिम्मेदारी लेगी और उनके द्वारा गन्ने की कटाई के लिए भुगतान भी किया जाएगा।
किसानों के मुताबिक, इस साल सरकार ने मिल को शुरू करने के लिए भारी मेंटेनेंस लागत के कारण संजीवनी मिल के पेराई सत्र को रद्द कर दिया है। हालांकि, सरकार ने किसानों के फसल की जिम्मेदारी ली है, लेकिन अभी एक महीने का सीजन बचा हुआ है और पेराई सत्र जल्द ही समाप्त होने की संभावना है। किसान इसलिए भी चिंतित हैं कि, कटाई के लिए पड़ोसी राज्यों से लाए गए श्रमिकों की 34 टीमें अपने मूल स्थान पर लौटने लगी हैं, और उनकी फसल काटने के लिए कोई श्रमिक उपलब्ध नहीं होगा। इसी समस्या के चलते किसानों ने आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है। किसानों ने गोवा सरकार को अगले साल कर्नाटक में अपना गन्ना नहीं भेजने की चेतावनी दी है। उनकी मांग है कि, संजीवनी मिल को अगले साल शुरू किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि, कर्नाटक को भेजे गये गन्ने का उन्हें भुगतान नहीं किया गया है, और न ही गन्ने के खरीद मूल्य में बढ़ोतरी है।
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उप गन्ना आयुक्त ने चीनी मिल का किया निरीक्षण; किसानों के लिए समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराने के दिशा निर्देश - Published on: 03.01.2020
उप गन्ना आयुक्त ने चीनी मिल का किया निरीक्षण; किसानों के लिए समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराने के दिशा निर्देश
बागपत (उत्तर प्रदेश): मेरठ मंडल के उप गन्ना आयुक्त ने यहां के चीनी मिल का दौरा कर सभी प्रकार की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। उन्होंने उत्तम ग्रुप के अधिकारियों को मिल में जगह जगह हो रही लिकेज की समस्या को तुरंत ठीक कराने और किसानों के लिए समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, गुरुवार को चीनी मिल का निरीक्षण करने पहुंचे मेरठ के उप गन्ना आयुक्त राजेश मिश्रा ने गन्ना तौल करने वाले कांटों को चेक किया और उन्हें सही पाया। उन्होंने चीनी मिल में गन्ना लेकर आ रहे ट्रालियों और बुग्गियों में की भी जांच की और उनकी साफ-सफाई को लेकर संतुष्टी जतायी। उन्होंने उत्तम ग्रुप के अधिकारियों को मिल में हो रही जगह जगह लिकेज को तुरंत बंद करने के निर्देश दिए तथा मिल में सफाई व मिल की रिकवरी बढ़ने पर प्रधान प्रबंधक की सराहना की।
प्रधान प्रबंधक आरबी राम ने बताया कि चीनी मिल को लाभ पहुंचाना उनका मुख्य लक्ष्य है। किसानों को साफ गन्ना लाने की सलाह दी गई है। चीनी मिल पूर्ण क्षमता से चल रही है। चीनी मिल ने अब तक 18 लाख टन गन्ने की पेराई कर ली है। उप गन्ना आयुक्त ने मिल प्रबंधन को किसानों के लिए समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए।
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सहकारी चीनी मिलों में कर्मचारी भर्ती पर रोक
मुंबई: चीनी मंडी
महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को त्रस्त सहकारी चीनी मिलों को नई भर्तियां नहीं करने का निर्देश दिया है। चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड ने राज्य में सहकारी चीनी मिलों के अधिकारियों और कर्मचारियों ‘स्टाफिंग पैटर्न’ तय करने के लिए चीनी निदेशक की अध्यक्षता में एक समन्वय समिति का गठन किया है। राज्य की अधिकांश चीनी मिलें आर्थिक रूप से खस्ती हालात में हैं, कई मिलें किसानों का एफआरपी भुगतान करने में भी विफ़ल रही है। इसलिए, राज्य सरकार ने सर्कुलर निकाला है कि, कोई भी सहकारी चीनी मिल किसी भी तरह की नौकरी भर्ती न करे।
आने वाले दिनों में मिलों के चुनाव होंगे, इसलिए, मिलों की प्रशासनिक लागतों को नियंत्रित करना आवश्यक बन गया है। जब तक राज्य में सहकारी चीनी मिलों का ‘स्टाफिंग पैटर्न’ तय नहीं होता है और यह सरकार द्वारा अनुमोदित नहीं होता है, तब तक राज्य में किसी भी सहकारी चीनी मिलों में किसी भी कर्मचारी की भर्ती नहीं की जाएगी। इस संबंध में, राज्य सरकार ने सभी संबंधित विभाग और चीनी मिलों को आदेश दिया कि इसे समयबद्ध तरीके से लागू किया जाए।
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पशुओं के लिए गन्ना चारा की मांग बढी…
नासिक : इगतपुरी तालुका में कवडदरा, घोटी खुर्द और साकुर क्षेत्र में गन्ने की खेती कम है, इसलिए कई सारे पशुपालक गन्ने के घास के लिए परिचितों के खेतों पर निर्भर हैं। चारे के कमी के कारण गन्ने के घास की मांग दिनोंदिन बढ़ी है, इसलिए उसकी कीमत भी बढ़ गई है। इस क्षेत्र से गन्ना पड़ोसी अहमदनगर जिले के संगमनेर मिल में जाता है। गन्ना कटाई मजदूर दिवाली के बाद से ही इस क्षेत्र में दाखिल हो चुके हैं। गन्ने के घास का पशुओं को चारे के रूप में उपयोग किया जाता है। इससे दूध का उत्पादन भी बढ़ता है। गन्ना घास खरीदने के लिए सुबह और शाम खेतों में भीड़ लगी रहती है। क्षेत्र में गन्ने का रकबा इस साल बहुत कम है, और गन्ने का सीजन अंतिम चरण में है।
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हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद किसानों को नहीं मिला गन्ना बकाया
बिजनौर: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले सत्र का बकाया गन्ना भुगतान कराने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को एक माह का समय दिया था। कोर्ट के आदेश की अवधि 15 अक्टूबर को खत्म हो चुकी है। मगर, चीनी मिले अभी तक किसानों का करोड़ों रूपये दबाए बैठी है। इस आदेश के बावजूद मिलें चुप्पी साधी हुई हैं। किसानों के मुताबिक बिजनौर जिले में चीनी मिलों का 230 करोड़ रुपए बकाये पर तकरीबन 40 करोड़ रुपए ब्याज बनता है जिसे चुकाने में मिलों ने असमर्थता जताई है।
किसानों ने आरोप लगाया की व्यवहारिक नियमों के अनुसार किसानों के गन्ना देने के 14 दिन के भीतर भुगतान किसान के खाते में चला जाना चाहिए, नहीं तो उस राशि पर ब्याज देना बनाता है। लेकिन चीनी मिलें टस से मस नहीं हो रहीं। न तो वे मूल राशि देती हैं और न हीं ब्याज।
खबरों के मुताबिक, बिलाई चीनी मिल पर 119.89 करोड़, बरकातपुर मिल पर 24.16 करोड़, चांदपुर चीनी मिल पर 40.57 करोड़ और बिजनौर चीनी मिल पर 45.91 करोड़ रुपया बाकी है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के चीनी मिल मालिकों को गन्ना किसानों के सारा बकाया 31 अक्टूबर, 2019 तक भुगतान करने को कहा है। राज्य के कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि इसका पालन न करने वाले चीनी मिलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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केन्द्र सरकार कर्नाटक के चीनी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी - Published on: 03.01.2020
केन्द्र सरकार कर्नाटक के चीनी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
टूमकुर, कर्नाटक, 3 जनवरी: भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। कर्नाटक के टूमकुर में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कर्नाटक में गन्ना की खेती प्रचुर मात्रा में होती है। यहाँ के गन्ना किसानों की अथक मेहनत और लगन के ज़रिए देश को भविष्य की उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति बनाने में मदद मिलेगी और उसी के ज़रिए देश को 5 ट्रिलियन इकॉनोमी बनाने का सपना साकार हो सकेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कर्नाटक का गन्ना और चीनी उद्योग यहाँ के किसानों की रीढ़ माना जाता है, लेकिन इस साल यहाँ पर सूखा पड़ने के चलते गन्ने की फसल का रक़बा घटने से किसान और चीनी उद्योग दोनों ही प्रभावित हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ की तीसरी किस्त जारी करते हुए कहा कि योजना के तहत 6 करोड़ किसानों के खाते में राशि स्थानांतरित की गयी है। इस राशि से गन्ने की फसल खराब होने से नुक़सान की मार झेल रहे गन्ना किसानों को वित्तीय मदद होने से आर्थिक सहारा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार कर्नाटक के गन्ना और चीनी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्नाटक की भौगोलिक स्थिति गन्ने की गुणवत्तापूर्व खेती के लिए काफ़ी अनुकूल है। यहाँ का मौसम, मिट्टी और वातावरणीय परिस्थितियाँ गन्ना की खेती को प्रोत्साहित करती है। इस कारण यहाँ के गन्ने से तैयार चीनी भी गुणवत्ता के मामले में श्रेष्ठ मानी जाती है, जिसकी माँग देश और दुनिया में रहती हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्नाटक में समुद्री यातायात की सहुलियत के कारण विदेशी व्यापार की भी प्रचुर संभावना है इसलिए केन्द्र सरकार यहाँ से उत्पादित गन्ना और चीनी उद्योग के व्यापार और कारोबार के साथ विदेशों में इसके निर्यात को बढ़ावा देगी। इस अवसर पर प्रदेश के चयनित को कृषि कृषि कर्मण पुरस्कार भी प्रदान किए गए।
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आठ जनवरी को गन्ने की आपूर्ति नहीं करेंगे किसान
बिजनौर: गन्ना किसानों ने चीनी मिलों के भुगतान नहीं मिलने और अन्य मांगो के विरोध में 8 जनवरी को दूध, सब्जी और गन्ने की सप्लाई नहीं करने का फैसला किया है। राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ की एक बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में बिजनौर, चांदपुर और बिलाई के भारी तादाद में किसान उपस्थित थे। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के उप्र महासचिव कैलाश लांबा ने मीटिंग के बाद कहा कि किसानों के चीनी मिलों में लंबे समय से पैसे फंसे हैं। किसानों के पास दैनिक खर्चे के लिए पैसे नहीं है। उन्हें साहूकारों के पास मोहताज होना पड़ता है।
लांबा ने कहा कि जबतक चीनी मिलों से किसानों का भुगतान नहीं मिल जाता, तब तक उनकी आरसी नहीं काटी जानी चाहिए। अपनी समस्याओं को लेकर हर गांव के लोग राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजे जाएंगे। उन्होंने कहा कि फसलों की आपूर्ति बंद करके भारत बंद किया जाएगा।
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महाराष्ट्र: मिल की चीनी जब्त करने का आदेश
कोल्हापुर : चीनी मंडी
चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने 25 करोंड रुपयों के एफआरपी बकाया मामले में तात्यासाहेब कोरे वारणा सहकारी चीनी मिल की चीनी, मोलासिस और बगास जब्त करके बेचने का आदेश दिया है। यह कार्रवाई जिल्हाधिकारी की निगरानी में होगी। एफआरपी अधिनियम के अनुसार, 25 करोड़ की बकाया राशि पर 15 प्रतिशत की दर से ब्याज लिया जाएगा।
इससे पहले, चीनी आयुक्त कार्यालय ने किसानों के खाते में राशि जमा करने के लिए मिल प्रशासन को नोटिस भेजा था। मिल द्वारा 2019 – 2020 पेराई सीजन शुरू होने के बावजूद मिल ने किसानों का भुगतान नही किया है, इसलिए चीनी आयुक्त कार्यालय ने मिल के खिलाफ़ कार्रवाई शुरू की है। चीनी आयुक्त गायकवाड़ ने आदेश दिया है की, वारणा मिल द्वारा उत्पादित चीनी, मोलासिस और बगास को बेचकर एफआरपी की राशि वसूल जाए। आवश्यकतानुसार मिल की चल और अचल संपत्ति पर सरकार का नाम दर्ज करने का भी आदेश दिया गया है।
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गन्ना भाव बढ़ाने को लेकर प्रदेशभर में आंदोलन की चेतावनी
जींद: हरयाणा में गन्ने के भाव में वृद्धि नहीं होने के कारण किसान चिंतित और आक्रोशित नजर आ आ रहे है। गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी करवाने के लिए गन्ना किसानों का बैठको का सिलसिला जारी है। ऐसी ही और एक बैठक भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में की गई जहा आगे की रणनीति तय की गयी।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेतृत्व में गन्ना किसानों ने फैसला किया है कि यदि चीनी मिलें गन्ने की रेट में बढ़ोतरी नहीं की तो किसान 15 जनवरी को पूरे प्रदेश की चीनी मिलों में ताला लगाएगी। मिल प्रशासन किसानों की इस मांग को हल्के में न लें। भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष ईश्वर सिंह ने कहा कि यदि समय रहते किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया गया तो पूरे राज्य के किसान आंदोलन पर उतर जाएंगे। सिंह ने किसानों के साथ एक महत्वपूर्ण बैंठक के बाद यह घोषणा की।
किसानों की इस बैठक में गन्ने के सही दाम नहीं मिलने पर विरोध जताया दया। किसानों ने कहा कि ऐसा लगता है सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। गन्ने की कीमत कम होने से किसानों को भारी घाटा उठाना पड़ रहा है। हमारी मांग केवल 340 रुपए प्रति क्विंटल के मौजूदा भाव को बढ़ाकर 370 रुपए करना है। गत पांच साल में गन्ने के भाव मात्र 30 रुपए ही बढ़े हैं। किसानों के लिए यह गन्ना उत्पादन में भारी खर्च बोझ बनने लगा है। अनेक बार उन्हें घाटा सहना पड़ता है।
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सरकार ने गन्ना किसानों को दिलाया भूला-बिसरा पैसा
लखनऊ, 04 जनवरी, 2020: गन्ना मूल्य का भुगतान एवं गन्ना किसानों की अन्य सभी समस्याओं का सम्पूर्ण समाधान कराने के मा. मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ के निर्णय एवं मा. गन्ना मंत्री, श्री सुरेष राणा के मार्गदर्शन में प्रदेष के गन्ना किसानों के नये सत्र के गन्ना मूल्य के साथ-साथ पूर्व वर्षों के बकाया गन्ना मूल्य का शत-प्रतिशत भुगतान कराया जाना शासन की प्राथमिकता है।
आयुक्त, गन्ना एवं चीनी द्वारा बताया गया कि प्रदेश के इतिहास में प्रथम बार सभी गन्ना परिक्षेत्रों में पूरी तन्मयता के साथ गन्ना समितियों में गन्ना किसानों के लम्बित पड़े अनपेड गन्ना मूल्य का कृषकवार विवरण तैयार करने एवं उसे उनके खातों में भेजने हेतु विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत विभागीय अधिकारियों द्वारा सघन अभियान चलाकर पष्चिमी उत्तर प्रदेष के 04 परिक्षेत्रों, जिनमें सहारनपुर में 14,448 कृषकों को रू.31.06 करोड़, मेरठ में 15,529 कृषकों को रू.20.04 करोड़, मुरादाबाद में 9,469 कृषकों को रू.13.59 करोड़, बरेली में 15,724 कृषकों को रू.11.15 करोड़ का अनपेड गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा चुका है। मध्य क्षेत्र के लखनऊ परिक्षेत्र में 16,735 कृषकों को रू.27.18 करोड़ वही पूर्वी उत्तर प्रदेश के चार परिक्षेत्रों जिनमें अयोध्या में 5,212 कृषकों को रू.3.84 करोड़, देवीपाटन में 8,352 कृषकों को रू.8.69 करोड़, गोरखपुर में 556 कृषकों को रू.0.18 करोड़, तथा देवरिया परिक्षेत्र में 93 कृषकों को रू.0.12 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। इस प्रकार अब तक प्रदेश के कुल 86,118 गन्ना कृषकों को रू.115.83 करोड़ अनपेड गन्ना मूल्य का भुगतान सुनिष्चित कराया जा चुका है।
अनपेड गन्ना मूल्य की यह धनराषि विगत कई वर्षों से गन्ना समितियों/चीनी मिलों में पड़ी होने के कारण गन्ना किसान इसे भूल चुके थे तथा इन्हें याद भी नहीं था कि हमारे अथवा हमारे परिवारीजनों की कोई गन्ना मूल्य भी धनराषि समिति या चीनी मिल के स्तर पर बकाया है तथा उन्हें गन्ना विभाग खुद ही प्रचार-प्रसार कर इस बकाया पैसे को उपलब्ध करायेगा। गन्ना विभाग की सक्रियता के कारण भूला-बिसरा पैसा मिलने से किसानों का विष्वास गन्ना समितियों के प्रति और प्रगाढ़ हुआ।
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इस साल स्थितियां अनुकूल नहीं रहने से चीनी उद्योग को परेशानी का सामना करना पड रहा है: येदियुरप्पा - Published on: 06.01.2020
इस साल स्थितियां अनुकूल नहीं रहने से चीनी उद्योग को परेशानी का सामना करना पड रहा है: येदियुरप्पा
बैंगलुरू, 06 जनवरी: कर्नाटक सरकार प्रदेश के गन्ना और चीनी उद्योग को प्रौत्साहन देने के लिए काम कर रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने बैंगलुरु में मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना से आर्थिक मजबूरी से परेशान यहां के गन्ना किसानों को फ़ायदा होगा। वित्तीय तंगी से जूझ रहे गन्ना किसानों के लिए ये योजना सामाजिक सुरक्षा का काम करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि दक्षिण भारतीय राज्यों में कर्नाटक में गन्ने की खेती काफी तादाद में होती है। इसलिए यहाँ चीनी उद्योग भी काफ़ी सक्रिय है। लेकिन इस साल स्थितियां अनुकूल नहीं रहने से गन्ना और चीनी उद्योग दोनों को ही परेशानी का सामना करना पड रहा है।
कर्नाटक के इलगम, मांड्या, मैसूर, बिजापुर और शिमोगा जैसे जिलों में गन्ने की काफी खेती होती है। इन इलाकों के किसानों को इस बार बाढ़ के कारण काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही चीनी मिलों को लिए भी स्थिति ठीक नहीं रही। गन्ना पैराई सत्र देरी से शुरु होने के साथ इसके अल्प समय तक चलने की संभावना है। लेकिन हमारी सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए है। गन्ना किसानों को आर्थिक लाभ दिलाने के लिए पीएम किसान योजना वित्तीय़ समायोजन का बडा माध्य़म बन रही है।
प्रदेश सरकार के किसान कल्याण संकल्प पर बात करते हुए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने येदियुरप्पा सरकार को किसान विरोधी करार दिया। सिद्धारमैया ने कहा कि प्रदेश में गन्ना की खेती बाढ़ से बर्बाद हो गयी लेकिन न तो राज्य सरकार ने किसानों की कोई मदद की औऱ ना ही केन्द्र सरकार ने वित्तीय राशि भेगी। आज ये लोग गन्ना किसानों और चीनी मिलों को वित्तीय मदद देने की बात कर रहे है, जो एक छलावा है।
सिद्धारमैया ने कहा कि अगर ये सरकार गन्ना किसानों के लिए समय पर कल्याणकारी कदम उठाती को पीएम मोदी के दौरे के दौरान गन्ना किसान सड़कों पर आकर पीएम के दौरे का विरोध करने को मजबूर नहीं होते। पीएम मोदी जब भाषण दे रहे थे तब गन्ना किसान सड़क पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। सिद्धारमैया ने कहा कि हमारी सरकार थी तब हमने गन्ना और चीनी उद्योग को आगे लाने के लिए न केवल नई नई योजनाओं को लागू किया बल्कि ज़मीनी स्तर पर उन्हें समय रहते क्रियान्वित करने में भूमिका भी निभाई। उन्होंने कहा कि आज चीनी मिलें बंद होने के कगार पर पहुँच गयी है सरकार की आँखों के सामने गन्ना किसान आत्महत्या कर रहे हैं लेकिन भाजपा की केन्द्र सरकार आँख मूँद कर बैठी है।
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चीनी मिलों को गन्ना परिवहन को लेकर निर्देश
कोल्हापुर: चीनी मंडी
कोल्हापुर क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) ने गन्ना किसानों के साथ-साथ जिले की सभी चीनी मिलों को इस पेराई सत्र में अपने वाहनों में गन्ने की ‘ओवरलोडिंग’ से बचने के लिए कहा है। जिले के ग्रामीण और कुछ शहरी हिस्सों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्र में, ट्रैक्टरों से जुड़े ट्रेलरों का उपयोग अक्सर गन्ने के परिवहन के लिए किया जाता है। कई बार ट्रैक्टर गन्ने से ‘ओवरलोड’ हो जाते हैं, जिससे सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।आरटीओ का निर्देश उस हालिया घटना के मद्देनजर आया है जिसमें शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग -4 पर अंबप फाटा पर गुरुवार को गन्ने से लदा एक ट्रक पलट गया। घटना में कोई हताहत नहीं हुआ। क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी स्टीवन अल्वारिस ने कहा कि, आरटीओ गन्ना परिवहन पर कड़ी निगरानी रख रहा है और ओवरलोड गन्ना ट्रकों या ट्रैक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा और उनके खिलाफ भी जो बिना रिफ्लेक्टर के संचालित हो रहे हैं।
अल्वारिस ने कहा, कोल्हापुर जिला – अपने चीनी उद्योग के लिए जाना जाता है – शहर के बाहरी इलाके के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में कई चीनी मिलें हैं। इसलिए, गन्ना ढोने वाले ट्रक या ट्रैक्टर अक्सर अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए रात में राजमार्ग का रास्ता अपनाते हैं। ऐसे मामलों में, अगर ये गन्ना ले जाने वाले ट्रक या ट्रैक्टर ओवरलोड होते हैं और रिफ्लेक्टर के बिना काम करते हैं, तो इससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। एक ट्रॉली की क्षमता उसके आकार पर निर्भर करती है। अधिकांश ट्रॉली अपनी निर्धारित क्षमता से अधिक गन्ना ले जाती हैं। इसके अलावा, वे रिफ्लेक्टर से भी लैस नहीं हैं। इससे रात के दौरान हादसे हो सकते हैं। रिफ्लेक्टरों के अभाव के कारण हर साल कई दुर्घटनाएँ होती हैं। इसलिए, हमने इस साल चीनी मिलों के साथ मिलकर एक अभियान शुरू किया है।
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किसान नेता राजू शेट्टी ने दी चीनी मिलों को चेतावनी
सातारा : चीनी मंडी
स्वाभिमानी शेतकरी संघठन के नेता, पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने चीनी मिलों को प्रति टन एफआरपी और ज्यादा 200 रूपये जाहिर करने के लिए आठ दिनों का ‘अल्टीमेटम’ दिया है। उन्होंने कहा की, अगर मिलों द्वारा प्रति टन एफआरपी और ज्यादा 200 रूपये की घोषणा नही होती है, तो मिलों को उसका अंजाम भुगतना पड़ेगा।
सातारा में आयोजित किसान रैली में उन्होंने राज्य सरकार की कर्ज माफ़ी की भी तीख़े शब्दों में आलोचना की। राजू शेट्टी ने कहा की, किसानों के हितों के लिए स्वाभिमानी शेतकरी संघठन हमेशा से ही डटकर खड़ी है। उन्होंने चेतावनी दी की, 2019-20 सीजन के लिए प्रति टन एफआरपी और ज्यादा 200 रूपये की मांग है, अगर मिलें हमारी मांग पूरा नही करती हैं, तो फिर हम सडक पर उतरकर आंदोलन करेंगे। चीनी मिलें अगर तय समय पर किसानों का भुगतान करने में नाकाम रहती है, तो मिलों पर जब्ती की कार्रवाई करने की मांग भी उन्होंने की।
सातारा जिला पदाधिकारीयों का ऐलान…
राजू शेट्टी ने इस रैली में सातारा जिले के लिए नये पदाधिकारियों का ऐलान किया। राजू शेलके (सातारा) और धनंजय महामुलकर (फलटन) को स्वाभिमानी शेतकरी संघठन का जिला अध्यक्ष चुना गया। स्वाभिमानी पक्ष के जिला अध्यक्ष के रूप में श्रीकांत लावंड (खटाव) और देवानंद पाटिल (कराड) और युवा जिला अध्यक्ष के रूप में तानाजी देशमुख (भोसरे, खटाव) को नियुक्त किया गया।
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गन्ना किसानों को चीनी मिल गेट पर मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं का औचक निरीक्षण करेगें परिक्षेत्रीय अधिकारी - Published on: 06.01.2020
गन्ना किसानों को चीनी मिल गेट पर मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं का औचक निरीक्षण करेगें परिक्षेत्रीय अधिकारी
लखनऊ: गन्ना किसानों के हितों के प्रति सजग मा. मंत्री चीनी उद्योग एंव गन्ना विकास विभाग श्री सुरेश राणा द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एंव चीनी श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा चीनी मिल गेटों पर गन्ना लेकर आने वाले किसानों को ठंड से बचाने के लिये अलाव एंव अन्य मूलभूत सुविधाओं का औचक निरीक्षण करने तथा इस संबंध में समुचित व्यवस्था कराने के निर्देश समस्त परिक्षेत्रीय अधिकारियों को जारी किये गये है।
इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुये गन्ना आयुक्त द्वारा बताया गया कि चीनी मिल गेटो, एंव यार्डों पर अलाव की व्यवस्था होने से भीषण ठंड में किसानों को ठिठुरना नही पडे़गा तथा रात के समय चीनी मिल गेट पर अलाव, पेयजल, विश्रामगृह व यार्ड में उचित व्यवस्था आदि होने से गन्ना किसानों को इस ठंड से राहत मिल सकेगी। इसके अतिरिक्त परिक्षेत्रीय अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये गये है कि कृषकों से चीनी मिल यार्ड में मुलाकात कर उन्हें E-Ganna App एवं अन्य विभागीय कार्यों की जानकारी देते हुए उनसे फीडबैक भी प्राप्त करें, जिससे गन्ना कृषकों को यदि कोई व्यावहारिक समस्या आ रही हो तो उसका तत्परता से निस्तारण कराया जा सके। परिक्षेत्रीय अधिकारी पेराई सत्र के दौरान समय-समय पर इसका अनुश्रवण भी सुनिश्चित करेंगे।
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हरियाणा की चीनी मिलों में हुए घोटाले: विधायक बलराज कुंडू का आरोप
रोहतक : मेहम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने शुक्रवार को हरियाणा राज्य की चीनी मिलों में 2014 में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आने के बाद से बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाया। उन्होंने रोहतक में विकास कार्यों के आवंटन में घोटाले का भी आरोप लगाया और राज्य के पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर के खिलाफ जांच की मांग की ।
मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत करते हुए, कुंडू ने कहा कि, पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर ने हरियाणा की खट्टर सरकार में सहकारिता मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान हरियाणा में चीनी मिलों को घाटे में दिखा कर राज्य के खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया था। मनीष ग्रोवर और उनके परिवार के सदस्य पिछले कई सालों से चीनी मिलों में शीरा का कारोबार कर रहे हैं। उन्होंने कम दरों पर मिलों से शीरा खरीदा और इसे ऊंचे दामों पर बेचा, जिससे राज्य के खजाने को बड़ा नुकसान हुआ। उन्होंने ग्रोवर के करीबी कुछ ठेकेदारों को काम देने और रोहतक में विकास कार्यों के आवंटन से संबंधित अनियमितताओं का भी आरोप लगाया।
पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर के मीडिया सलाहकार नवीन नैन ने कहा कि ग्रोवर ऑस्ट्रेलिया में हैं और वापस लौटने के बाद कुंडू के आरोपों का जवाब देंगे।
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संजीवनी चीनी मिल शुरू करने सहित अन्य मुद्दों को लेकर गन्ना किसानों का विरोध प्रदर्शन - Published on: 08.01.2020
संजीवनी चीनी मिल शुरू करने सहित अन्य मुद्दों को लेकर गन्ना किसानों का विरोध प्रदर्शन
पोंडा: चीनी मंडी
संजीवनी चीनी मिल और गन्ने से संबंधित विभिन्न मांगों को लेकर, किसानों ने मंगलवार से धरबंधोरा में मिल परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है और सरकार से उनकी मांगों को पूरा करने के लिए लिखित आश्वासन की मांग की है। किसानों की मांगों में उनके खेतों से जल्द से जल्द गन्ने की कटाई और परिवहन शामिल है, जो बहुत धीमी गति से चल रहा है। अन्य मांगों में, यदि श्रमिकों की कमी के कारण उनकी फसल खेतों में सूख जाती है तो किसानों की क्षतिपूर्ति करनी चाहिए, गन्ने का मूल्य राज्य की मिल दर के अनुसार दिया जाना चाहिए और संजीवनी मिल का 2020 में संचालन शुरू होना चाहिए।
किसान संघ के अध्यक्ष राजेंद्र देसाई ने कहा, जब तक हमें सरकार से हमारी मांगों को पूरा करने का लिखित आश्वासन नहीं मिलता है, तब तक हम मिल के बाहर अपना आंदोलन जारी रखेंगे। देसाई के अनुसार, सहकारिता मंत्री गोविंद गौड द्वारा गन्ने की कटाई के लिए गन्ना मजदूर उपलब्ध कराने के आश्वासन के बावजूद, मिल आज तक कोई भी गन्ना श्रमिक प्रदान करने में विफल रहा है और किसान अपनी स्वयं की श्रमशक्ति का उपयोग करके गन्ने की कटाई कर रहे हैं, जिसके कारण एक महीने में, खानापुर (कर्नाटक) के मिल को केवल 8,000 टन गन्ने की आपूर्ति करने में कामयाब रहा है।
उन्होंने कहा कि, कटाई की वर्तमान गति में, हजारों टन गन्ना खेतों में सूख जाएगा। लगभग 20,000 टन गन्ने की कटाई अभी बाकी है और फरवरी तक, खानपुर में मिलों द्वारा पेराई बंद हो सकती है। उसी को देखते हुए, किसानों ने धरबंधोरा में मिल परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है। इस बीच, किसानों के विरोध के बारे में जानने के बाद विधायक प्रसाद गांवकर किसानों से मिले और उन्हें इस मुद्दे को हल करने का आश्वासन दिया। लेकिन किसान अपनी मांगों को पूरा करने के लिखित आश्वासन पर अपनी मांग पर अड़े रहे और अपना विरोध जारी रखा। जिसके बाद विधायक प्रसाद गांवकर ने बुधवार को मुख्यमंत्री और सहकारिता मंत्री के साथ बैठक में किसानों को इस मुद्दे पर चर्चा करने का आश्वासन दिया। गांवकर ने किसानों को आश्वासन दिया कि, अगर एक सप्ताह के भीतर उनके मुद्दों का समाधान नहीं किया जाता है, तो वह किसानों के लिए 25 जनवरी से भूख हड़ताल शुरू करेंगे।
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उप गन्ना आयुक्त ने केएम चीनी मिल का किया निरीक्षण
मसौधा (अयोध्या): यहां के मसौधा स्थित केएम शुगर मिल में कुछ अनियमितताओं की शिकायत के बाद उप गन्ना आयुक्त ने मिल का दौरा किया तथा वहां फैली गंदगी को लेकर मिल के अधिकारियों को फटकार लगाई।
स्थानीय गन्ना किसानों को हो रही समस्याओं को लेकर उप गन्ना आयुक्त हरपाल सिंह ने शुक्रवार की रात को शुगर मिल का निरीक्षण किया तथा परिसर में साफ-सफाई की हालत से वह असंतुष्ट दिखे। उन्होंने तौल कांटा सहित अन्य चीजों की जांच की। इस दौरान मसौधा गन्ना समिति के सचिव मुकेश कुमार पांडेय भी उनके साथ थे। रात में अचानक हुए इस दौरे से वहां मौजूद किसान और मिल के कर्मचारी व अधिकारी हैरान रह गए।
बाद में सिंह ने बताया कि उनकी जांच में तौल कांटे को सही पाया गया। उन्होंने मिल गेट के इनयार्ड, आउटयार्ड और टोकन से संबंधित व्यवस्थाएं देखने के अलावा मिल प्रबंधन की ओर से किसानों को ठंड से बचाने के लिए जलाए गए अलाव का भी निरीक्षण किया तथा जगह-जगह अलाव जलता देख प्रसन्नता प्रकट की। निरीक्षण के दौरान यार्ड में कई जगहों पर पानी जमा होने और कीचड़ साफ नहीं किये जाने की वजह से किसानों को आने जाने में हो रही दिक्कतों को लेकर उन्होंने मिल के अधिकारियों को फटकार भी लगाई तथा तत्काल गंदे पानी और कीचड़ की सफाई कराने के निर्देश दिए।
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गन्ने में सुक्रोज कम होने से चीनी की गुणवत्ता और उत्पादन पर पड़ेगा असर
नई दिल्ली, 07 जनवरी: देश में चीनी मिलों का गन्ना पैराई सत्र चल रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार चालू पैराई सत्र में एक ओर जहां चीनी उत्पादन घटने की खबरें सामने आ रही है वहीं कई राज्यों में गन्ने में प्रति क्विंटल के हिसाब से सुक्रोज की मात्रा में भी औसत कमी देखने को मिल रही है। भारतीय चीनी मिल संघ के उपाध्यक्ष नीरज शिरगांवकर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जिन राज्यों में गन्ना की खेती बाढ़ से प्रभावित हुई है या सूखा की वजह से गन्ने की रोपाई देरी से हुई वहाँ पर ये स्थिति देखने को मिली है। यहाँ मिलों में प्रति हैक्टेयर में जितना गन्ना मिल तक पहुँच रहा है उस अनुपात में गन्ने से चीनी का उत्पादन कम हो रहा है। ये स्थिति गन्ने में बाढ़ के कारण तने का झुकाव होने से उसमें रस कम बनने के कारण हुई है।
शिरगांवकर से कर्नाटक और महाराष्ट्र के मसले पर हमने बात की तो उन्होंने कहा कि देश के अग्रणी गन्ना उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में गन्ने में शुक्रोज कम होने से पिछले साल की समान अवधि की तुलना में इस साल चीनी की औसत रिकवरी 0.5 फ़ीसदी कम पायी गयी है। जबकि पिछले साल यह आँकड़ा 10.5 फ़ीसदी था जो इस साल घट कर 10 फ़ीसदी रह गया है। यहां चीनी उत्पादन घटने के साथ साथ गन्ने में शुक्रोज की मात्रा में औसत कमी पाया जाना चिन्ताजनक है। इससे बाज़ार पर भी असर पड़ेगा।
शिरगांवकर ने कहा कि यही हाल दक्षिण भारत के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य कर्नाटक का भी है। यहाँ भी बाढ़ के कारण गन्ने में अपेक्षित शुक्रोज नहीं बना। इस समस्या से चीनी मिलों में गन्ना की प्रति क्विंटल के लिहाज़ से पैराई सत्र में जितनी आवक हो रही है उतनी चीनी नहीं बन रही।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक (कॉमर्शियल क्रॉप ) डॉ. आर के सिंह ने कहा कि वर्तमान में जो स्थितियाँ चल रही है उनके अनुसार चीनी उत्पादन घटने के साथ चीनी की गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा। इन राज्यों में सूखा या बाढ़ से प्रभावित गन्ने की फसलों में शुगर की मात्रा घटने के साथ उसके मिठास में भी कमी आने की संभावना है। इससे बाज़ार में चीनी की ग्रेड और गुणवत्ता श्रेणी में अन्तर आने की संभावना है।
महाराष्ट्र में 137 चीनी मिलें परिचालन में हैं और उन्होंने 31 दिसंबर तक 16.50 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। पिछले साल समान अवधि में यहां 187 मिलें चालू थी और उन्होंने कुल 44.57 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। कर्नाटक में 63 चीनी मिलों ने 31 दिसंबर, 2019 तक 16.33 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, इसके विपरीत पिछले साल समान अवधि में यहां 65 चीनी मिलों ने 21.03 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था।
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चीनी के विकल्प के रूप में एयरलाइनों में उपलब्ध हो सकते है शहद के पाउच
पुणे : चीनी मंडी
नैसर्गिक विपत्तियां, अधिशेष और आर्थिक कठिनाइयों के बीच झुलस रहे चीनी उद्योग के सामने अब एक नया प्रतिस्पर्धी खड़ा हुआ है, और वो है शहद, क्योंकि अब कई जगहों पर चीनी के विकल्प के रूप में शहद को चुना जा रहा है। अब इस कड़ी में एयरलाइंस कंपनियां भी जुड़ने की संभावना है, जिसकी पहल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कर रहे है।
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि, वह एयरलाइंस से अनुरोध करेंगे कि फ्लाइट में यात्रियों को चाय / कॉफी परोसते समय उन्हें शहद की मिठास प्रदान की जाए। वह सोमवार को पुणे में एक केंद्रीय मधुमक्खी अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (CBRTI) में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, आम तौर पर, एक चम्मच शहद तीन चम्मच चीनी के बराबर होता है। वर्तमान में, यात्रियों को परिष्कृत चीनी पाउच बोर्ड पर प्रदान किए जाते हैं, इसलिए हम कोशिश कर रहे हैं कि यदि हम उड़ानों और होटलों में शहद के पाउच या शहद के क्यूब्स प्रदान कर सकें। उन्होंने कहा कि, चीनी या शहद का विकल्प होगा।मैं एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइसजेट और गोएयर और खादी ग्रामोद्योग आयोग के चेयरपर्सन को भी बुलाने जा रहा हूं, और उनसे उड़ानों में उपलब्ध दोनों विकल्पों को उपलब्ध कराने का अनुरोध करूंगा।
सरकार शहद के क्लस्टर बनाने की योजना बना रही है और शहद उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देगी, उन्होंने कहा कि सरकार शहद के विभिन्न उत्पादों को बनाने की भी योजना बना रही है। उन्होंने कहा, इस तरह के क्लस्टर देश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बहुत बढ़ावा देंगे और किसानों की आय में वृद्धि होगी। गडकरी ने कहा कि, उनका मंत्रालय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और अगले पांच वर्षों में अपने कारोबार को बढ़ाकर पांच लाख करोड़ रुपये करने का काम करेगा।
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गन्ना किसानों को कर्जमाफी का कोई फायदा नही: चंद्रकांत पाटील
पुणे : चीनी मंडी
राज्य के पूर्व मंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने कहा कि, महाविकास आघाडी सरकार द्वारा जारी कर्जमाफी से कई गन्ना किसान वंचित रह सकते है। मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे के नेतृत्ववाली महाविकास आघाडीने कर्जमाफी के मामलें में किसानों के साथ धोका किया है। महाराष्ट्र जनता ने भाजप व शिवसेना को सत्ता में आने के लिए वोट दिया था, लेकिन शिवसेना ने जनता के साथ धोखाधडी करके काँग्रेस और रांकापा के साथ गठबंधन बना लिया। उन्होंने दावा किया कि, महाविकास आघाडीने सत्ता में आते समय किसानों को कर्जमुक्त करने का वादा किया था, लेकिन सरकार द्वारा घोषित कर्जमाफी का लाभ सिर्फ गिने चुने किसानों को ही होगा।
गन्ना और फल उत्पादकों को कर्ज माफी मिलते हुए नजर नही आ रहा है। गन्ना किसानों को हर साल फसल ऋण मिलता है, और गन्ना चीनी मिलों के भेजने के बाद मिलने वाले पैसे से वे सबसे पहले ऋण चुकाते है। जिसके कारण जिनका कर्जा देना रह गया है, केवल उन्ही कुछ किसानों को लाभ होगा, और बचे हुए लाखो किसान कर्जमाफी योजना का लाभ नही ले पाऐंगे। इस मौके पर भाजपा जिला सरचिटणीस अविनाश मोटे, पृथ्वीराज जाचक, बाबासाहेब चवरे, तुकाराम काले, रामभाऊ पाटील, अशोक वणवे, माऊली चवरे, नाना शेंडे और अन्य उपस्थित थे।
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पंजाब: हाईवे पर चीनी की बोरियों से लदा ट्रक पलटा
चंडीगढ़: पंजाब के मंडी गोबिंदगढ़ में नेशनल हाईवे नंबर छह पर देर रात चीनी की बोरियों से लदा ट्रक पुल से नीचे गिर गया, जिससे ट्रक चालक और क्लीनर घायल हो गए। घायलों को मंडी गोबिंदगढ़ के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद डॉक्टरों ने दोनों को पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया।
दुर्घटना की खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई। बाद में पुलिस अधिकारी गुरभेज सिंह और बुध सिंह ने बताया कि झपकी आने की वजह से चालक ने ट्रक से नियंत्रण खो दिया, जिससे ट्रक पुल से लुढ़कता हुआ नीचे स्लिप रोड पर आ गिरा। चीनी की बोरियां लदा यह ट्रक उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से पंजाब के कोटकपूरा जा रहा था।
हादसे में घायल चालक की पहचान तरनतारन गांव बनिया निवासी रणजीत सिंह के रूप में हुई है, जबकि घायल क्लीनर सतनाम सिंह पुत्र करतार सिंह उत्तर प्रदेश के शामली का रहने वाला है।
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इकबालपुर मिल की चीनी की होगी नीलामी…
नैनीताल : इकबालपुर चीनी मिल के बकाया मामले में गन्ना किसानों को जल्द राहत मिलने के आसार दिखाई दे रहे है। हाईकोर्ट ने इकबालपुर चीनी मिल द्वारा गन्ना किसानों को बकाया 217 करोड़ रुपये भुगतान नहीं करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने जिलाधिकारी हरिद्वार को एक माह के भीतर चीनी मिल की जब्त चीनी की नीलामी करने आदेश दिया है। नीलामी से प्राप्त रकम को किसानऔर बैंकों को भुगतान करने के मामले में न्यायालय निर्णय करेगा। मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 फरवरी की तिथि नियत की है। कोर्ट के इस फैसले से किसानों को बकाया भुगतान मिलने की उम्मीद जताई है।इकबालपुर मिल के गन्ना किसान बकाये से काफी परेशान है, और उन्होंने कई बार आंदोलन की चेतावनी दी थी।
मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हरिद्वार निवासी नितिन की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया कि इकबालपुर चीनी मिल पर गन्ना किसानों का 2017-18 में 108 करोड़ और 2018-19 का 109 करोड़ बकाया है।
चीनी मिल क्षेत्र के गन्ना किसान बौखलाए हुए है, क्यूंकि उन्हें अब तक मिल द्वारा गन्ना बकाया भुगतान नहीं चुकाया गया है। बकाया को लेकर किसानों ने कई बार आंदोलन किया, फिर भी उन्हें भुगतान करने में चीनी मिल प्रशासन विफ़ल रहा है।
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सरकार गन्ना और चीनी उद्योग को प्रौत्साहन देने के लिए इथेनॉल आधारित इंधन की उपयोगिता को बढावा दे रही है: प्रधानमंत्री - Published on: 08.01.2020
सरकार गन्ना और चीनी उद्योग को प्रौत्साहन देने के लिए इथेनॉल आधारित इंधन की उपयोगिता को बढावा दे रही है: प्रधानमंत्री
बैंगलुरु, 8 जनवरी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के वैज्ञानिकों से कृषि और किसानों के कल्याण के लिए नवोन्मेषी प्रयोगों पर काम करने की अपील करते हुए कहा कि युवा वैज्ञानिक देश को तरक्की के पथ पर ले जाने के वाहक बनेंगे तब ही देश का अन्नदाता खुशहाल और सम्पन्न होगा। प्रधानमंत्री ने बैंगलुरु में आयोजित भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 107 वें सत्र में मौजूद वैज्ञानिक समुदाय को संबोधित करते हुए कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि सरकार गन्ना और चीनी उद्योग को प्रौत्साहन देने के लिए इथेनॉल आधारित इंधन की उपयोगिता को बढावा दे रही है। युवा वैज्ञानिक गन्ने के अवशेषों से तैयार होने वाले इंथेनॉल की ऐसी तकनीक विकसित करें जो सस्ती और सर्व सुलभ हो। इससे युवा किसान छोटे छोटे स्टार्टअप लगाकर एक और जहाँ अपनी आजीविका सुनिश्चित कर संकेंगे वहीं सस्ता और इको फ़्रेंडली इंधन वाहनों में उपयोग होने से पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में भी मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 तक किसानों की आमदनी को दो गुना करना सरकार का लक्ष्य है इसकी पूर्ति करने के लिए गन्ने के अनुपयोगी अवशेष से इथेनॉल बनाने जैसे नवोन्नमेषी नवाचार किसानों तक पहुँचना बेहद ज़रूरी है। इससे स्थानीय स्तर पर जहाँ गाँवों में स्टार्टअप लगने से रोज़गार श्रृजित होंगे वहीं गन्ना किसानों और चीनी उद्योगों के लिए आय के अतिरिक्त श्रोत भी तैयार होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि में चीनी उद्योग काफ़ी महत्व रखता है जो कई राज्यों के किसानों की आर्थिक तरक़्क़ी का महत्वपूर्ण आधार है। इस उद्योग को स्थायित्व देने के लिए सरकार तो काम कर रही है, आप जैसे युवा वैज्ञानिक भी कम लागत में अधिक उत्पादन लेने की तकनीकें इजाद कर गन्ने के एक एक अवशेष का बेहतर उपयोग करने के लिए चीनी उद्योग को प्रेरित कर सकते है। वैज्ञानिकों की इस पहल से गन्ना किसान और चीनी उद्योग दोनों को फ़ायदा होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कृषि पद्दतियों में नवीन तकनीक और आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को किसानों तक पहुँचाने की ज़रूरत है जिससे किसान अपने खेतों में गन्ने और धान की पराली को जलाने के बजाय इससे ऊर्जा पैदा करने जैसी अन्य वैकल्पिक विधाएँ सीख सकें। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार उद्योग आधारित अनुसंधान को आगे बढ़ा रही है ताकि देश के किसानों की वित्तीय स्थिति में सुधार के साथ भारत को भविष्य की उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति बनाने का सपना साकार हो सके।
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सरकार चीनी मिलों पर गन्ना भुगतान के लिए बनाएगी दबाव
लखनऊ : चीनी मंडी
योगी सरकार गन्ना बकाया भुगतान को लेकर मिलों पर दबाव बनाने वाली है। 2019-20 गन्ना पेराई सत्र शुरू है, और अभी भी किसानों का उत्तर प्रदेश के चीनी मिलों पर 2018-19 पेराई सत्र का 2,000 करोड़ रुपये बकाया राशि लंबित है। जिसमे निजी मिलर्स का बकाया का 85 प्रतिशत है, बजाज हिंदुस्तान, मोदी और सिम्भावली समूह जैसे बड़े खिलाड़ियों द्वारा संचालित इकाइयों द्वारा भी राशि बकाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूपी की मिलों ने सामूहिक रूप से 2018-19 पेराई सत्र के लिए कुल बकाया 33,048 कुल बकाया राशि में से 31,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, निजी मिलों का 2,000 करोड़ रुपये के कुल बकाया में लगभग 1,700 करोड़ रुपये का बकाया है, और सरकार द्वारा नियंत्रित सहकारी इकाइयों का लगभग 300 करोड़ रुपये बकाया है। यूपी के गन्ना विकास और चीनी उद्योग मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि, यूपी की मिलों ने 2018-19 पेराई सत्र का पहले ही 94 प्रतिशत गन्ना भुगतान कर लिया है। उन्होंने कहा की, हम बकाया भुगतान में विफ़ल मिलों के प्रबंधन, विशेष रूप से बजाज हिंदुस्तान, मोदी और सिम्भावली समूहों के साथ एक बैठक बुलाएंगे और उनसे गन्ने का बकाया जल्द से जल्द चुकाने के लिए कहेंगे।
पिछले साल, योगी आदित्यनाथ सरकार ने कई डिफ़ॉल्ट मिलों के खिलाफ पुलिस मामले दर्ज किए थे, जिनमें बजाज हिंदुस्तान, मोदी और वेव ग्रुप के मालिक थे।इसके अलावा, कुछ अन्य लोगों के खिलाफ वसूली प्रमाण पत्र (आरसी) भी जारी किए गए थे।
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चीनी मिलों में काम करने वाले श्रमिकों के हितों को लेकर केन्द्र सरकार गंभीर - Published on: 30.12.2019
चीनी मिलों में काम करने वाले श्रमिकों के हितों को लेकर केन्द्र सरकार गंभीर
नई दिल्ली, 28 दिसम्बर: केन्द्र सरकार देश में पुराने और अप्रासंगिक हो चुके लचर श्रम कानूनों को दुरुस्त करने की दिशा में अग्रसर है। चीनी मिलों में काम करने वाले मजदूरों और रोजी रोटी के लिए सेंवाए देने वाले कामगारों के कल्याण और विकास के लिए सरकार श्रम कानूनों में सुधार कर रही है। मजदूरों के हितों का ध्यान रखते हुए केन्द्र द्वारा राज्य सरकारों को भी इस दिशा में समय समय पर निर्देश दिए जाते रहते है।
सरकारों द्वारा लागू किए गए सख्त कानूनों के बावजूद देश के कई इलाकों में काम कर रहे मिल मजदूर अपनी रोजी रोटी के लिए ठेकेदारों के चंगुल में फंसते रहते है। महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार, यूपी औऱ कर्नाटक में हर साल चीनी मिलों में काम करने वाले कामगारों के साथ दुर्घटना की शिकायते आती रहती है।
चीनी मिलों में कामगारों और मजदूरों के हाथ कटने, करंट लगने या अन्य कारणों से उनकी जान चले जाने जैसे कई मामले सामने आ रहे है। मिलों में काम करने वाले मजदूरों और कामगारों के साथ इस, तरह की घटनाओं को रोकने के मसले पर बात करते हुए भारत सरकार के श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि केन्द्र सरकार ने श्रमिकों के कल्याण के लिए नई श्रमिक नीति लागू की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने श्रमिकों के व्यापक हितों को ध्यान में रख कर नई नीतियां बनाई है। देश में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले दक्ष और गैर दक्ष श्रमिकों की संख्या तकरीबन 45 करोड़ से अधिक श्रमिक है। इस वर्ग को व्यापक सामाजिक सुरक्षा देने के लिए सरकार ने आरएसबीवाई स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री जीवन ज्योति, प्रधानमंत्री बीमार सुरक्षा योजना और जीवन एवं दुर्घटना बीमा प्रदान करने के लिए अटल पेंशन योजना की शुरुआत की है।
सरकार का मानना है कि स्वस्थ एवं समृद्द श्रमिक समृद्द राष्ट्र का निर्माण करता है इसी को ध्यान रखकर सरकार काम कर रही है। मंत्री ने कहा कि चीनी मिलें हो या अन्य फैक्ट्रियां सभी को निर्देश दिए गए है कि श्रमिक हितों को लेकर वे संवदेनशील रहे। कार्यस्थल पर उनको बाकायदा सैफ्टी नियमों के अनुरूप ही कार्य की इजाजत दें। किसी भी गैर दक्ष कामगार को ऐसी जगह पर न लगाएं जहां उसने काम नहीं किया और उसका जीवन संकट में आ जाए।
भारत सरकार के पूर्व श्रम आयुक्त बीके सांवरिया ने कहा कि चीनी मिलों में श्रमिकों से जुडे सैफ्टी नियमों का पालन करना हर मिल के लिए बाध्यकारी है। अगर नियमों का उलंघन कर किसी श्रमिक से ज्यादा काम लेना या उसकी जान जोखिम में डालने जैसे काम में लगाना गैर कानूनी है। उल्लंघन करने वाले प्रतिष्ठान के खिलाफ सख्त कार्यवाई का प्रावधान है। सांवरिया ने कहा कि भारत सरकार ने 16 अक्टूबर 2014 को पंडित दीन दयाल उपाध्याय श्रमेव जयते योजना शुरु की थी जिसका मकदस श्रमिकों के काम का सम्मान कर उनके प्रति समाज का नजरिया बदलना है।
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जल्द ही शुरू होगी गड़ौरा चीनी मिल: सांसद
सिसवा: सांसद पंकज चौधरी ने कहा कि, किसानों को राहत देने के लिए जल्द ही गड़ौरा चीनी मिल को शुरू किया जाएगा। मिल को शुरू करने के लिए राज्य सरकार भी काफी गंभीर है। सांसद पंकज चौधरी शुक्रवार को अपने आवास पर सिसवा विधानसभा क्षेत्र से आए गन्ना किसानों की बैठक को संबोधित कर रहे थे।
राज्य सरकार किसानों के विकास के लिए प्रतिबध्द है, गन्ना किसानों की समस्याओं को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंभीरता से लिया है। अगर मिल शुरू हो जाती है तो, इस इलाकें के हजारों किसानों को लाभ होगा। चौधरी ने मिल को जल्द से जल्द शुरू करने के लिए हर मुमकिन कोशिश करने का वादा किया।
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निरीक्षण के दौरान चीनी मिल में पाई गई खामियां
आजमगढ़ : खबरो के मुताबिक, गन्ना विभाग द्वारा पेराई शुरू होने से पहले दिए गए साफ निर्देशों के बावजूद कई मिलों में खामियां पाई जा रही है, जिससे किसानों को काफी मात्रा में नुकसान उठाना पड रहा है। मुख्य गन्ना सलाहकार आरसी पाठक ने दो दिन पहले ही सठियांव चीनी मिल का दौरा किया, और इस दौरान उन्होंने क्रय केंद्रों पर खामियां पाई। इसके बाद पाठक ने मिल प्रशासन को फटकार लगाई और जल्द से जल्द उसमें सुधार करने के आदेश दिए। सठियांव चीनी मिल के अतरौलिया व अहरौला क्रय केंद्र पर कई कमियां मिली।
इसके बाद पाठक ने गन्ना क्रय केंद्र फुलवरिया बी दौरा किया, जहां 25 से 40 दिन पुरानी पर्ची पर गन्ना तौल करने का मामला सामने आया। इस पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए दस दिन के अंदर जारी की गई पर्ची का ही तौल किए जाने को कहा। क्रय केंद्रों पर लक्ष्य से कम गन्ना खरीदे जाने पर भी पाठक ने नाराजगी जताई। टिश्यू कल्चर पौधे की कम उठान पर मुख्य गन्ना अधिकारी राधेश्याम पासवान को फटकार लगाई। यहां तीन लाख का लक्ष्य निर्धारित था, लेकिन जिसमें मात्र 93 हजार पौधे तैयार मिले। अब तक मात्र तीन हजार पौधों का ही उठान किया गया था। 90 हजार तैयार पौधे सूख रहे थे। पाठक ने कहा कि, पेराई शुरू रहने तक मिलों की जांच चलती रहेगी और अगर जांच के दौरान खामियां पाई गई तो कडी कार्रवाई होगी।
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गन्ने की खेती में जल संरक्षण की पद्दतियो को अपनाने में चीनी मिलें निभा सकती हैं महत्वपूर्ण भूमिका: प्रधानमंत्री - Published on: 30.12.2019
गन्ने की खेती में जल संरक्षण की पद्दतियो को अपनाने में चीनी मिलें निभा सकती हैं महत्वपूर्ण भूमिका: प्रधानमंत्री
नई दिल्ली, 30 दिसम्बर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के गन्ना क़िसानों से खेती जल संरक्षण तकनीकों को अपनाने की अपील करते हुए कहा है कि जलवायु परिवर्तन के साथ साथ गन्ने की खेती में जल के अनुचित इस्तेमाल की वजह से धरती का जल स्तर नीचे जा रहा है। इसे रोकने के लिए चीनी मिलें बड़ी भूमिका निभा सकती है। गुजरात में इसका जीता जागता उदाहरण आपके सामने है जहां पर चीनी मिलों की पहल के कारण गन्ना किसान गन्ने की फसल में जल संरक्षण को अपनाने की परंपरा चला रहे है, जिसे अपनाकर आज गन्ना किसान न केवल खुश है बल्कि गन्ने के उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने के साथ चीनी में शर्करा की मात्रा में भी इज़ाफ़ा हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने जल संरक्षण की पहल करते हुए किसानों को गन्ने की खेती में जल संरक्षण की तकनीकों को अपनाने की सलाह दी थी। योजना के तहत मैंने सभी चीनी मिलों के प्रतिनिधियों को बुलाकर उनके साथ बैठक की और निर्देश दिया कि आप गन्ना किसानों से कहें कि वो ड्रिप और स्प्रिंकलर पद्दतियों को खेती में अपनाएँ। जो किसान इन पद्दतियों को नहीं अपनाएँगे उनका गन्ना कोई भी चीनी मिल नहीं लेगी। शुरु में तो चीनी मिलों ने इसमें असमर्थता जताई लेकिन बाद में इसे सख़्ती से लागू किया।
कुछ गन्ना किसानों ने इसका विरोध किया। जब चीनी मिलों ने किसानों को विश्वास में लेकर इसके फ़ायदे समझाये तो अगले सत्र से धीरे धीरे किसानों ने प्रायोगिक तौर पर फ़व्वारा और टपक सिंचाई पद्दतियों को अमल में लाना शुरु किया। सरकार ने भी किसानों को सब्सिडी दी। थोड़े समय बाद ही गन्ना किसानों को इसके परिणाम दिखने लगे। पहले की तुलना में 70-80 प्रतिशत जल की बचत होने लगी और मात्र 20-30 प्रतिशत जल में ही गन्ने की बेहतरीन खेती होने लगी। मेहनत भी कम हो गयी। गन्ने के खेतों में गन्ने की लम्बाई भी पहले से ज़्यादा बढ़ी हुई दिखायी दी, तो गन्ने की दो गाँठ के बीच की दूरी में भी अंतर देखने को मिला। परिणाम ये निकला कि पहले की तुलना में गन्ने में शर्करा का प्रतिशत भी बढ़ा हुआ देखने को मिला।
गन्ने के खेतों में आए इस प्रत्याशित बदलाव को लेकर गन्ना वैज्ञानिकों ने भी अपना पक्ष रखा और कहा कि गन्ने की खेती में संतुलित जल का उपयोग करने से गन्ने की लम्बाई न केवल बढ़ी है बल्कि शर्करा का प्रतिशत भी बढ़ा है। इस दौरान जल की बचत का आँकलन किया गया को पता चला कि तक़रीबन 70-80 फ़ीसदी जल को इस तकनीक से बचाने में मदद मिली है।
प्रधानमंत्री ने कहा आज पूरे गुजरात में गन्ना उत्पादक किसान ड्रिप और स्प्रिंकलर तकनीक से खेती कर रहे है। परिणाम आपके सामने है।
देश में भूजल स्तर की सबसे कम गिरावट की खबर गुजरात से ही आ रही है। आज ज़रूरत है कि देश के अन्य राज्य भी इस मॉडल को अपनाएँ और जल संरक्षण अभियान में अपनी भागीदारी निभाएँ। इसके लिए चीनी मिलों को आगे आना होगा और जल संरक्षण के लिए सामूहिक निर्णय लेना होगा। -
गोवा: गन्ना किसान कटाई की धीमी गति से नाराज; आंदोलन की चेतावनी
पोंडा : चीनी मंडी
गन्ने की कटाई और ढुलाई का काम धीमी गति से चलने की यह शिकायत करते हुए राज्य भर के गन्ना किसानों ने 8 जनवरी, 2020 को संजीवनी चीनी मिल के बाहर विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। आंदोलन के माध्यम से गन्ने की कटाई करने के लिए जनशक्ति बढ़ाने की मांग की जाएगी।
गन्ना किसान संघ के अध्यक्ष राजेंद्र देसाई के अनुसार, सहकारिता मंत्री गोविंद गौड द्वारा गन्ने की कटाई करने के लिए जादा श्रमिक मुहैया करने के आश्वासन के बावजूद, मिल प्रबंधन आज तक अपनी गन्ना कटाई क्षमता बढ़ाने में विफल रहा है और किसान खुद फसल काट रहे हैं। जिसके कारण एक महीने में, खानपुर को केवल 6,000 टन गन्ने की आपूर्ति करने में किसान कामयाब रहे है। उन्होंने कहा कि, कटाई की वर्तमान गति में, हजारों टन गन्ना खेतों में सूख जाएगा और किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। किसानों ने इसे ध्यान में रखते हुए गन्ने की समय पर कटाई और ढुलाई के लिए मैनपावर बढ़ाने की मांग करने के लिए मिल परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है।
मिल अधिकारी एस.वी. सांगोडकर ने कहा कि, मिल ने पिछले 30 दिनों के लिए लगभग 6,400 टन गन्ने की आपूर्ति की है। श्रमिकों की कमी के कारण, कटाई में देरी हो रही है और कटाई धीमी गति से चल रही है। उन्होंने कहा कि, मिल के अधिकारियों ने खानापुर स्थित मिल को मैनपावर मुहैया कराने का आग्रह किया है, जिस पर उन्होंने सहमति जताई है। अभी केवल 34 टोलियां (1 टोली यानीं लगभग 20 श्रमिकों का एक समूह होता है) गन्ने की कटाई कर रहे हैं और मिल आने वाले दिनों में लगभग 15 और‘ टोलियों ’के काम में शामिल होने की उम्मीद कर रहे हैं। वर्तमान में, लगभग 250 टन गन्ने की प्रतिदिन कटाई की जा रही है और अगर टोलियां भी शामिल हो जाती है तो गन्ना कटाई समय पर हो जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि, खानापुर मिल के साथ राज्य ने 15 मार्च तक गन्ना पेराई समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है।
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गन्ना तौल को लेकर चीनी मिलों में हो सकती है अचानक छापेमारी; 11 जांच टीमें नियुक्त - Published on: 28.12.2019
गन्ना तौल को लेकर चीनी मिलों में हो सकती है अचानक छापेमारी; 11 जांच टीमें नियुक्त
सातारा: चीनी मंडी
चीनी मिलों द्वारा गन्ना तौल में गडबडी करने के शिकायत के बाद जिला प्रशाशन ने 11 गन्ना तौल जांच टीमों का गठन किया है। अब यह टीमें किसी भी मिल पर अचानक छापेमारी करके गन्ना तौल की जांच करेंगी। किसान संघठनों द्वारा गन्ना तौल में गडबडी की शिकायतें मिलने के बाद यह टीम बनाई गयी हैं। ये टीमें अचानक मिलों के तौल मशीनों का निरीक्षण करने जाएंगी, और दोषी पाए जाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
जिले में गन्ना पेराई सीजन शुरू हो गया है। गन्ने को बैलगाड़ी, ट्रैक्टर-ट्राली या ट्रक के माध्यम से मिलों तक पहुँचाया जाता है। मिलों में गन्ना छोड़ने से पहले गन्ने के वाहनों का निरीक्षण किया जाता है। इन वाहनों के वजन को छोड़कर, गन्ने की मात्रा दर्ज की जाती है। स्वाभाविक रूप से, यहां दर्ज किया गया वजन अंतिम है। यहाँ गन्ना तौल करते वक्त गडबडी करने की शिकायते जिला प्रशासन को मिल रही थी।
किसान संघठनों का कहना है की, जिला प्रशासन हमेशा की तरह गन्ना वजन के निरीक्षण दस्ते को नियुक्त करता है, लेकिन टीम संबंधित मिलों में पहले से बताकर जाती है और वहां निरीक्षण करती है। स्वाभाविक रूप से, चीनी मिलों को पहले से ही इसके बारे में पता रहता है, जिससे गन्ना तौल में धांधली को पकड़ना मुश्किल होता है। इसलिए, अगर जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त टीमों ने अचानक चीनी मिलों पर छापेमारी की, तो मामला आगे आ सकता है। इसीलिए प्रभारी कलेक्टर रामचंद्र शिंदे ने जिले के ग्यारह तालुकों में तहसीलदारों के नेतृत्व में दस्ते बनाए हैं। इनमें एक पुलिस अधिकारी, चीनी आयुक्त कार्यालय का एक प्रतिनिधि, तौल विभाग का एक अधिकारी और किसान संघठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं। ये दस्ते अचानक कारखानों पर छापा मारेंगे। तौल का निरीक्षण करने के बाद, यदि वे अनुचित पाए जाते हैं, तो उनपर कार्यवाही की जायेगी।
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इस्मा के कानूनी समिति सह-अध्यक्ष पद पर अंकिता हर्षवर्धन पाटिल नियुक्त…
नई दिल्ली : चीनी मंडी
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के क़ानूनी समिति के सह-अध्यक्ष पद पर पुणे जिला परिषद सदस्य अंकिता हर्षवर्धन पाटिल को नियुक्त किया गया है। ‘इस्मा’ देश की चीनी मिलों का नेतृत्व करता है। पाटिल इस समिति में चुनी गई सबसे कम उम्र की सदस्य है, और इस समिति में चुनी गई पहिली महिला सदस्य है।
‘इस्मा’ की स्थापना 1932 में हुई है, और यह भारत का सबसे पुराना औद्योगिक संघठन है। देश के हर राज्य में ‘इस्मा’ के सदस्य है। ‘इस्मा’ चीनी मिलें और चीनी उद्योग से जुडी मुद्दे पर काम करती है।
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गन्ना विभाग के अधिकारियों ने छापामारी कर गन्ना क्रय केंद्रों पर पकड़ी घटतौली - Published on: 28.12.2019
गन्ना विभाग के अधिकारियों ने छापामारी कर गन्ना क्रय केंद्रों पर पकड़ी घटतौली
ककरौली (उत्तर प्रदेश): यहां के शुकतीर्थ गंगा खादर और ककरौली सहित कई इलाक़ों के गन्ना क्रय केंद्रों पर गन्ना विभाग के अधिकारियों ने छापेमारी की, जिससे वहां के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। खबरो के मुताबिक, कई मिलों के तौल कर्मचारी केंद्र छोड़कर भाग गए, जिनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी।
भाकियू तोमर कार्यकर्ताओं ने शुकतीर्थ गंगा खादर और ककरौली क्षेत्र के गन्ना क्रय केंद्रों पर घटतौली किये जाने की शिकायत की थी, जिस पर गन्ना अधिकारियों ने छापामारी की। खतौली और मंसूरपुर के गन्ना अधिकारियों की टीम ने गांव बिहारगढ़ के खाईखेड़ी शुगर मिल के गन्ना क्रय केंद्र पर छापामारी की, जहां प्रति क्विंटल तीन किलो की घटतौली पकड़ी गई। इसके बाद गंगा खादर के अन्य गन्ना क्रय केंद्रों पर भी छापेमारी की गई। बताते हैं कि इसकी ख़बर मिलते ही कई मिलों के तौल क्लर्क गन्ना क्रय केंद्रों को छोड़कर चले गए। गांव बेहड़ा सादात में टिकौला शुगर मिल के ए और बी केंद्रों पर तौल सही पायी गई। गांव ककरौली विद्युत उपकेंद्र के सामने खतौली शुगर मिल के कांटे पर तौल क्लर्क नहीं मिले, जिनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की बात अधिकारियों ने कही है।
अमर उजाला में प्रकाशित खबर के मुताबिक, जांच अधिकारी ज्येष्ठ गन्ना निरीक्षक विश्वामित्र पाठक ने बताया कि बिहारगढ़ स्थित खाईखेड़ी मिल गन्ना तौल सेंटर पर तीन किलो की घटतौली पकड़ी गई, जिसकी मौके पर वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई है। वहीं शुक्रतीर्थ स्थित खाईखेड़ी मिल के गन्ना क्रय केंद्रों से तौल लिपिक नदारद मिले। जिला गन्ना अधिकारी ने बताया कि किसानों की शिकायत पर अधिकारियों को शुकतीर्थ गंगा खादर और ककरौली क्षेत्र के गन्ना क्रय केंद्रों पर जांच के लिए भेजा गया था। जिन केंद्रों पर घटतौली पकड़ी गई है, उनके मिलों और कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी। मामले की रिपोर्ट सहायक चीनी गन्ना आयुक्त को भेज दी गई है।
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गन्ना सट्टा नीति 2019-20 में हुआ आंशिक बदलाव
लखनऊः 28 दिसम्बर, 2019: प्रदेष के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि, चीनी मिलों के गन्ने की आवष्यकता की पूर्ति एवं किसानों के बेसिक कोटा में वृद्धि किये जाने के दृष्टिगत कृषक हित में गन्ना सट्टा नीति-2019-20 में आंषिक संषोधन किया गया है।
सट्टा नीति में किये गए संशोधन के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए श्री भूसरेड्डी ने बताया की यदि चीनी मिल क्षेत्र में कुल कृषकों का आगणित बेसिक कोटा एवं उपज के 85 प्रतिशत के आधार पर निकाले गये कुल सट्टे की मात्रा, चीनी मिल की निर्धारित गन्ना आवश्यकता से कम होती है, तो इस अन्तर की मात्रा को अतिरिक्त सट्टा से पूरा किया जायेगा। अन्तर आवश्यकता की पूर्ति हेतु सर्वप्रथम ऐसे कृषक जिनके सट्टे की मात्रा मिल के गत वर्ष की औसत गन्ना आपूर्ति प्रति हेक्टेअर से कम हो तो उन्हें मिल की गत वर्ष की औसत गन्ना आपूर्ति तक अतिरिक्त सट्टे का लाभ उनकी उपज के 85 प्रतिशत सीमा तक दिया जायेगा।
उन्होंने यह भी बताया की यदि ऐसे कृषकों से अन्तर आवश्यकता की पूर्ति हो जाती है तो इसे यथावत् लागू किया जायेगा, किन्तु यदि ऐसे कृषकों का सट्टा सम्बन्धित मिल की गत वर्ष की औसत आपूर्ति के स्तर तक लाने में अन्तर आवश्यकता से अधिक हो जाता है तो इन कृषकों पर भी प्रोरेटा का सिद्धान्त लागू होगा तथा यदि ऐसे कृषकों का उपर्युक्तानुसार आंगणित सट्टे से सम्बन्धित मिल की अन्तर आवश्यकता की सम्यक् पूर्ति नहीं हो पाती है तो अन्तर आवश्यकता की शेष सीमा तक अन्य कृषकों को भी प्रोरेटा के अनुसार अतिरिक्त सट्टे की सुविधा देय होगी।
आयुक्त ने बताया कि कृषक हित में किये गए इस परिवर्तन से कृषकों को प्रति हेक्टेयर अधिक मात्रा में गन्ना आपूर्ति सुविधा प्राप्त होगी तथा छोटे गन्ना कृषक अपना गन्ना समय से चीनी मिल को आपूर्ति कर सकेंगे। ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से सिंचाई करने वाले गन्ना कृषकों को अतिरिक्त सट्टे में प्राथमिकता दी जायेगी तथा अतिरिक्त सट्टे में अस्वीकृत प्रजातियों के गन्ने को सम्मिलित नहीं किया जायेगा।
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महाराष्ट्र द्वारा मोलासिस निर्यात पर प्रतिबंध
मुंबई : चीनी मंडी
महाराष्ट्र सरकार ने 30 सितंबर 2020 तक अन्य राज्यों के भीतर मोलासिस की बिक्री और परिवहन और साथ ही साथ विदेश में निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इस सप्ताह पुणे में सहकारिता मंत्री जयंत पाटिल ने इस आशय की मांग रखी थी। तदनुसार, राज्य सरकार ने शुक्रवार शाम को एक गवर्नमेंट रेज़ोल्यूशन जारी किया कि केंद्र सरकार के निर्णय पर, राज्य सरकार ने गृह विभाग के पत्र के अनुसार आवंटन को रद्द कर दिया है। इसलिए, राज्य में चीनी मिलों में उत्पादित मोलासिस के उपोत्पाद किसी अन्य लाइसेंस धारक को बेचे जा सकते हैं।
राज्य में उपलब्ध गन्ने की मात्रा को ध्यान में रखते हुए, हर साल गन्ना उत्पादन का अनुमान तैयार किया जाता है और राज्य की आवश्यकता को पूरा करने के बाद, अवशेषों को अन्य क्षेत्रों में परिवहन या निर्यात के लिए सरकार की मंजूरी के साथ अनुमति दी जाती है। महाराष्ट्र में गन्ना उत्पादन के अनुमान और मराठवाड़ा में सूखे को देखते हुए, इस साल गन्ने का उत्पादन कम होने की संभावना है। नतीजतन मोलासिस का उतप्दान भी कम होगा। इसे ध्यान में रखते हुए, अन्य राज्यों में मोलासिस के परिवहन और अन्य देशों को निर्यात करने पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव 30 सितंबर 2020 तक लिया गया है।
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वैश्विक बाजारों में चीनी की कीमतें बढ़ने के आसार : प्रकाश नाइकनवरे
पुणे: चीनी मंडी
वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट की वार्षिक बैठक में नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (NFCSF) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि, दो साल के रिकॉर्ड चीनी उत्पादन के बाद इस साल वैश्विक बाजारों में ‘डिमांड-सप्लाय’ में 61 लाख टन चीनी की कमी आई है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीनी की कीमते बढ़ रही है। पिछले साल चीनी का कुल उत्पादन 331 लाख टन की जगह इस साल 263 लाख टन तक घटने की उम्मीद है। जिसमे महाराष्ट्र के साथ साथ कर्नाटक और गुजरात में भी चीनी उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम होने का अनुमान है। उत्पादन घटने से मिलों पर से अधिशेष चीनी का दबाव कुछ हद तक कम होगा और चीनी की कीमतों में भी इजाफा होने की संभावना बढ़ेगी। चीनी सीजन खत्म होते समय सितंबर 2020 में चीनी अधिशेष 100 लाख टन के भीतर रहने की उम्मीद है, जो की पिछले सीजन में 144 लाख टन था। इसका सीधा असर चीनी कीमतों पर देखा जा रहा है, क्योंकि चीनी की ‘एक्स मिल’ कीमते 3100 रूपये प्रति क्विंटल से उपर टिकी है, और बढ़ रही रही है।
नाइकनवरे ने कहा की, 25 दिसंबर 2019 तक देशभर की 419 मिलों ने पेराई शुरू कर दी है, जबकि पिछले साल इस समय 500 मिलें शुरू थी, और चीनी उत्पादन 63 लाख टन हुआ है, जो पिछले साल इस वक़्त तक 93 लाख टन हुआ था। चीनी उत्पादन में हुई गिरावट का सीधा असर कीमतों पर हो सकता है।लेकिन रिकवरी में गिरावट चिंताजनक है, पिछले सीजन में 10.27 की जगह इस साल अबतक 9.81 प्रतिशत रिकवरी हुई है, जिससे चीनी उत्पादन में गिरावट देखि जा रही है। महाराष्ट्र में पिछले सीजन में 107 लाख टन उत्पादन हुआ था, और इस साल उत्पादन 55 लाख टन तक सिमित रहने की संभावना है। इतना ही नही कर्नाटक का उत्पादन 10-12 लाख टन और गुजरात में भी चीनी उत्पादन कम होने का अनुमान है। अगर आने वाले महीनों में चीनी निर्यात कोटा को सही तरह से लागू किया जाता है, तो फिर चीनी कीमते और बढ़ सकती है। इस साल महाराष्ट्र का क्रशिंग सीजन केवल 90 दिनों तक ही चल सकता है, लेकिन उत्तर प्रदेश का सीजन 150 दिनों तक होगा। चीनी निर्यात में उत्तर प्रदेश की तुलना में महाराष्ट्र काफी पीछे है। 24 लाख टन के अनुबंध में केवल उत्तर प्रदेश के 15-16 लाख टन के अनुबंध है। महाराष्ट्र के मिलों को भी निर्यात के लिए आगे आने की जरूरत है, क्योंकि अगर निर्यात बढती है तो फिर घरेलू बाजारों में भी चीनी की कीमतों में सुधार होता है।
केंद्र सरकार ने न्यूनतम चीनी बिक्री मूल्य (एमएसपी) 3100 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। चीनी की तीन श्रेणियां (ग्रेड) है, जिसमें छोटे ग्रेड (एस), मध्यम ग्रेड (एम) और बड़े ग्रेड (एल) कि चीनी शामिल हैं। राष्ट्रीय सहकारी चीनी मिल महासंघ ने, चीनी कि श्रेणियों के अनुसार, न्यूनतम बिक्री दर निर्धारित करने के लिए केंद्र सरकार के साथ एक संयुक्त चर्चा की मांग की है। अगर ऐसा होता है, तो चीनी की कीमतें 1.5 रुपये से दो रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ जाएंगी।नाइकनवरे ने कहा कि, उपभोक्ता मूल्य नियंत्रण आदेश 1966 में एक विसंगति है। केंद्रीय खाद्य राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे और खाद्य सचिव रविकांत से उसी में बदलाव की मांग का उल्लेख करते हुए, नाइकनवरे ने आगे कहा कि, केंद्र ने चीनी उद्योग को गन्ने के लिए एफआरपी का भुगतान करने के लिए एक सॉफ्ट लोन (ऋण) दिया है। उन ऋणों को चुकाने के लिए अगले पांच वर्षों के लिए ऋण का पुनर्गठन करने कि मांग की गई है। नाबार्ड के महाप्रबंधक जी.जी. मेमन के साथ सकारात्मक चर्चा हुई है और उन्होंने मिलों के ऋणों का पुनर्गठन करने के लिए जल्द ही स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक के साथ एक संयुक्त बैठक आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की है।
उन्होंने यह भी कहा कि, चीनी निर्यात दर और चीनी गिरवी ऋण दर के बीच विसंगतियों के कारण चीनी मिलें वित्तीय कठिनाईयों का सामना कर रही हैं। केंद्र सरकार से चीनी मिलों को ईंधन, कंपनियों को इथेनॉल की आपूर्ति, चीनी निर्यात सब्सिडी और आरक्षित सब्सिडी की मांग की है। इसके अलावा, मिलों द्वारा उत्पादित इथेनॉल की आपूर्ति को ईंधन कंपनियों के डिपो में जाना पड़ता है, इससे परिवहन की लागत बढ़ जाती है। इसलिए यह भी मांग की गई है कि, यदि सरकार द्वारा चीनी मिलों के स्वयं के पेट्रोल पंपों पर इथेनॉल मिश्रण की अनुमति दी जाती है, तो मिलें परिवहन लागत पर बचत करेंगे।
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असम सरकार द्वारा लांच किया जाएगा ‘मुफ्त चीनी’ योजना
गुवाहाटी: असम सरकार ने जनवरी महीनें के अंत तक राज्य के चाय बागान श्रमिकों के लिए मुफ्त चीनी योजना शुरू करने का फैसला किया है, जिसका लाभ लगभग 6 लाख श्रमिकों को होगा। मुख्यमंत्री सर्बानन्द सोनोवाल ने शुक्रवार को अपने समेलन कक्ष में खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के विभाग के कामकाज की समीक्षा करते हुए विभाग से राज्य की चाय बागानों की आबादी को मुफ्त चीनी वितरण योजना शुरू करने के लिए उचित उपाय करने के निर्देश दिए। अगले साल जनवरी के अंतिम सप्ताह तक यह योजना शुरू हो सकती है।
मुख्यमंत्री सोनोवाल ने पर्यावरण को हानी पहुंचाए बिना चीनी की प्लास्टिक थैलियों को सुरक्षित तरीके से निपटान के लिए विभाग को निर्देश दिए। चाय बागानों के क्षेत्रोँ में लगभग 6 लाख लाभार्थी मुफ्त चीनी योजना से लाभान्वित होंगे, जहां प्रत्येक लाभार्थी को हर महिने 2 किलो का एक पैकेट मिलेगा। मुख्यमंत्री सोनोवाल ने विभाग से इस योजना की जनजागृति करने का आदेश दिया।
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गन्ना पेराई सीजन में न लेनी पड़े छुट्टी इसलिए 30,000 महिला श्रमिकों ने निकलवाया गर्भाशय, मंत्री ने CM को लिखा पत्र - Published on: 27.12.2019
गन्ना पेराई सीजन में न लेनी पड़े छुट्टी इसलिए 30,000 महिला श्रमिकों ने निकलवाया गर्भाशय, मंत्री ने CM को लिखा पत्र
मुंबई: चीनी मंडी
बीड जिले में गन्ना काटने वाली महिला श्रमिकों को अपने गर्भाशय को निकालने के लिए मजबूर किया जा रहा है। महाराष्ट्र के मंत्री नितिन राऊत ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग कि है। मंत्री राउत के अनुसार, मध्य महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में गन्ना श्रमिकों की संख्या सबसे अधिक है, उनमें से काफी संख्या में महिलाएँ हैं। उन्होंने कहा कि, बड़ी संख्या में महिला मजदूर अपने मासिक धर्म के दौरान काम नहीं करती हैं और वे अनुपस्थित रहने वाले दिनों के लिए मजदूरी नहीं पाती हैं। इससे निजाद पाने के लिए गन्ना काटने वाली महिलाओं को गर्भाशय हटाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे उन्हें मासिक धर्म के दौरान छुट्टी न लेनी पड़े।
मंत्री राऊत पीडब्ल्यूडी, आदिवासी कल्याण, महिला और बाल कल्याण, कपड़ा, राहत और पुनर्वास सहित कई विभागों का संचालन करते हैं। मंत्री राऊत ने कहा की, राज्य में लगभग 30,000 महिलाओं ने इस तरह का कदम उठाया है। अगर चीनी मिलें उन्हें छह महीने के गन्ने की कटाई मौसम के दौरान मासिक धर्म चक्र के चार दिनों के लिए मजदूरी प्रदान करते हैं, तो ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। राउत ने पत्र द्वारा, मराठवाड़ा में महिला गन्ना श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के लिए संबंधित विभाग को आदेश जारी करने का अनुरोध किया है। ठाकरे शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं जिसमें कांग्रेस और राकांपा प्रमुख सहयोगी हैं।
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गुजरात में चीनी उत्पादन में गिरावट का अनुमान
अहमदबाद: गुजरात में इस सीजन चीनी उत्पादन में गिरावट का अनुमान है। इसका कारण मॉनसून की लंबी अवधि और मिलों में गन्ने की पेराई देर से शुरू होने को बताया जा रहा है।
जानकारों के अनुसार, लंबे समय तक चले बारिश के मौसम के कारण गन्ने की फसल प्रभावित हुई, जिससे सीजन 2019-20 में राज्य में चीनी के उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के आकोड़ो के मुताबिक 15 दिसंबर तक गुजरात में कुल 15 मिलें चालू थीं, जिनमें केवल 1.52 लाख टन चीनी का उत्पादन ही हो सका, जबकि पिछले साल समान अवधि में यह लगभग इसका दुगना (3.10 लाख टन) था। ISMA के अनुसार, राज्य में मानसून के बाद की बारिश की वजह से गन्ना पेराई सीज़न का देर से शुरू होना उत्पादन में भारी गिरावट का मुख्य कारण रहा।
फेडरेशन ऑफ़ गुजरात स्टेट कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ (FGSCSF) के पूर्व अध्यक्ष मानसिंह पटेल के मुताबिक गन्ने की पेराई अक्टूबर में शुरू होती है, लेकिन इस साल यह नवंबर में शुरू हुई। जिसके वजह से चीनी। यही कारण है कि पिछले साल इसी अवधि के मुकाबले उत्पादन में गिरावट आई है।
बारिश ने न केवल पेराई सत्र में देरी की बल्कि गन्ने की फसल पर भी असर डाला है। गन्ने की कम पैदावार होने के चलते, चीनी उत्पादन पर भी असर होगा।
FGSCSF के उपाध्यक्ष, केतनभाई पटेल, ने कहा की, "चीनी का उत्पादन 15-20% तक कम होने की उम्मीद है। हमारा अनुमान है कि 2019-20 सीज़न में यह लगभग 9-9.5 लाख टन होगा।"
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गुजरात: बकाया गन्ना भुगतान को लेकर आंदोलन तेज
वड़ोदरा: वड़ोदरा जिला सहकारी गन्ना उत्पादक संघ लिमिटेड (VDCSGUL) से संबधित गन्ना किसानों ने बकाया भुगतान की मांग को लेकर आंदोलन तेज केर दिया है, और इस आंदोलन में शामिल एक प्रदर्शनकारी ने गुरुवार को करजन के पास गन्धारा चीनी मिल के बाहर आत्मदाह का प्रयास किया। किसान पिछले काफी समय से आंदोलन कर रहे हैं और अपना बकाया चुकाने की मांग कर रहे हैं। कांबोला गाँव के आशीष भट्ट, जो सक्रिय रूप से आंदोलन में शामिल हैं, उसने आत्मदाह की कोशिश की है।
कर्ज में डूबे वड़ोदरा जिला सहकारी गन्ना उत्पादक संघ लिमिटेड ने अपने परिचालन को बंद कर दिया है, और इसका प्रबंधन नर्मदा चीनी सहकारी समूह को सौंप दिया गया है। हालांकि पिछले पेराई सत्र के किसानों का बकाया नहीं चुकाया गया है। खबरों के मुताबिक, गन्ना किसानों ने जिला प्रशासन को इस संबंध में बार-बार आवेदन दिया है, लेकिन इस मुद्दे का निपटारा होना अभी भी बाकी है। आंदोलन की अगुवाई कर रहे, योगेश पटेल ने कहा कि, 102.5 करोड़ रुपये बकाया था। उन्होंने कहा कि, इस राशि में से किसानों का 22.8 करोड़ रुपये बकाया है। हमने किसानों का कुछ विवरण प्राप्त किया है। अब तक, हमने लगभग 1,800 किसानों की एक सूची तैयार की है, जिन्हें उनके बकाये का भुगतान नहीं किया गया है। पटेल ने बताया कि, किसानों ने पिछले दिनों ज्ञापन दिया था और विरोध भी किया था। जब इनमें से किसी ने भी कोई परिणाम नहीं दिया, तो किसानों में से एक ने आत्मदाह का चरम कदम उठाया।
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अब भारत के 125 करोड़ निवासियों के पास आधार
नई दिल्ली: भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने यह घोषणा की है कि आधार परियोजना ने 125 करोड़ के अंक को पार करके नई उपलिब्ध हासिल की है। इसका मतलब यह है कि भारत के 1.25 बिलियन से अधिक निवासियों के पास 12 अंकों की विशिष्ट पहचान उपलब्ध है।
यह उपलब्धि आधार धारकों द्वारा आधार के प्राथमिक पहचान दस्तावेज के रूप में तेजी से बढ़ते उपयोग के कारण हासिल हुई है। यह इस तथ्य से यह स्पष्ट है कि आधार-आधारित प्रमाणीकरण सेवाओं का शुरूआत से अब तक लगभग 37,000 करोड़ बार उपयोग हो चुका है। वर्तमान में यूआईडीएआई को प्रतिदिन लगभग 3 करोड़ प्रमाणीकरण अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं।
इसके अलावा आज नागरिक आधार में अपने विवरण को अद्यतन रखने के अधिक इच्छुक हैं। यूआईडीएआई ने अब तक लगभग 331 करोड़ सफल आधार अपडेट (बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय) दर्ज की हैं। वर्तमान में यूआईडीएआई को रोजाना लगभग 3-4 लाख आधार अपडेट अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं।
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241 करोड़ की GST धोखाधड़ी का खुलासा; एक व्यक्ति गिरफ्तार
दिल्ली: सीजीएसटी दिल्ली दक्षिण आयुक्तालय के कर चोरी-रोधी प्रकोष्ठ ने कल नई दिल्ली में फर्जी इनवॉयस एवं जीएसटी धोखाधड़ी के एक और मामले का पता लगाया है। इसके साथ ही इस प्रकोष्ठ ने इन्वर्टेड ड्यूटी की सरंचना से जुड़ी रिफंड सुविधा का दुरुपयोग कर सरकारी राजकोष को चपत लगाने के एक नये तरीके का भी पर्दाफाश किया है। अब तक इस तरह के लेन-देन में लिप्त 120 से भी अधिक निकायों के बारे में पता चला है, जिनमें 1,600 करोड़ रुपये की फर्जी इनवॉयसिंग एवं 241 करोड़ रुपये की कर चोरी सन्निहित है।
इस बारे में जांच-पड़ताल से फर्जी कंपनियां बनाने के साथ-साथ टैक्स क्रेडिट सृजित करने एवं इन्हें भुनाने के लिए फर्जी इनवॉयस एवं बोगस ई-वे बिल जारी करने के एक संगठित गोरखधंधे का पर्दाफाश हुआ है।
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 69 के प्रावधानों के तहत इससे जुड़े मुख्य घोटालेबाज को आज गिरफ्तार कर लिया गया और आज ही न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया तथा उसे 10 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। घोटालेबाज ने विभिन्न व्यक्तियों के पहचान-पत्र से जुड़े दस्तावेजों तक अपनी अनधिकृत पहुंच के आधार पर कई कंपनियां बना ली थीं।
विभिन्न जांचकर्ताओं की एक टीम ने इस नये गोरखधंधे का पर्दाफाश किया, जिसने देश भर में बनाई गई कंपनियों के जाल का पर्दाफाश करने के लिए कई हफ्तों तक निरंतर इस पर काम किया। आरोपित व्यक्ति के परिसर से अनेक आपत्तिजनक इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
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गन्ना मूल्य बढ़ाने को लेकर एकजुट हुए किसान संगठन, करेंगे बड़ा आंदोलन
यमुनानगर: हरियाणा में इस साल भी गन्ने के दाम नहीं बढ़ाये जाने के सरकारी फ़ैसले के ख़िलाफ़ राज्य के किसानों ने चुप बैठने से इंकार कर दिया है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में अनेक आंदोलनों के बाद भी सरकार की तरफ़ से कोई आश्वासन नहीं मिलने के बाद अब किसानों ने गन्ने का मूल्य बढ़ाने की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन करने की घोषणा कर दी है।
इस मुद्दे पर राज्य के किसानों के बढ़ते ग़ुस्से ने भारतीय किसान संघ और भारतीय किसान यूनियन को भी एक मंच पर ला दिया है। इन दोनों संगठनों ने किसानों की एक संयुक्त बैठक का आयोजन कर नये वर्ष का आगाज़ करने का निर्णय लिया है। दोनों संगठन 1 जनवरी को यहां के सरस्वती चीनी मिल के गन्ना यार्ड में संयुक्त बैठक करेंगे, जबकि 5 जनवरी तक किसानों को एकजुट करने का अभियान चलाया जाएगा। इस बारे में मंगलवार को दोनों संगठनों के पदाधिकारियों ने किसान भवन में बैठक करके आगे की रणनीति बनाने पर चर्चा की।
बता दें कि गन्ना मूल्य बढ़ाने की मांग पर किसान संघ ने कृषि मंत्री और विधायकों को ज्ञापन देने के अलावा बीते शुक्रवार को करनाल में सरकार के खिलाफ रोष रैली निकाली तथा सीएम कार्यालय के सामने गन्ने की होली भी जलाई थी। संगठन ने सरकार को 3 दिन का समय देते हुए चेतावनी दी है कि अगर इस दौरान सरकार ने गन्ना रेट को लेकर किसानों से बातचीत नहीं की तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। एक से पांच जनवरी तक व्यापक जन संपर्क अभियान भी चलाने का निर्णय लिया गया है। किसान यूनियन ने कहा कि किसानों के हितों को देखते हुए उसने इस आंदोलन में किसान संघ से हाथ मिलाया है।
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गन्ना किसानों के हित में राज्य सरकार चीनी उद्योग के साथ खड़ी है: उद्धव ठाकरे - Published on: 26.12.2019
गन्ना किसानों के हित में राज्य सरकार चीनी उद्योग के साथ खड़ी है: उद्धव ठाकरे
पुणे: महाराष्ट्र में चीनी उद्योग त्रस्त है, और अब सरकार उद्योग को राहत देने के लिए मददगार कदम उठाने वैली है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्य में चीनी उद्योग के सामने कई समस्याएं हैं, जिन्हें सुलझाने के लिए सरकार विशेषज्ञों की समिति का गठन करेगी तथा नीतिगत निर्णय लेते हुए इस बारे में ठोस नीति बनायेगी।
ठाकरे ने बुधवार को यहां मांजरी स्थित वसंतदादा शुगर इन्स्टीट्यूट (वीएसआई) की 43वीं सर्वसाधारण सभा में भाग लिया। सभा में वीएसआई के अध्यक्ष शरद पवार भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार राज्य के किसानों के हित के लिए चीनी उद्योग के साथ खड़ी है। वीएसआई ने चीनी उद्योग में बहुत योगदान दिया है, जिसके चलते आज चीनी उद्योग के मामले में महाराष्ट्र देश में ऊंचे पायदान पर है। फ़िलहाल इस उद्योग को कई समस्याओं और अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। इन्हें सुलझाने के लिए राज्य सरकार विशेषज्ञों की समिति गठित कर एक ठोस नीति बनाएगी।
मुख्यमंत्री ने चीनी उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि उद्योग की प्रगति के लिए सरकार के साथ-साथ मिल मालिकों और किसानों को भी एकजुट होकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने मराठवाड़ा में वीएसआई की शाखा शुरू करने के लिए जगह उपलब्ध कराने की बात भी कही। समारोह में वित्त मंत्री जयंत पाटिल, राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात, पूर्व सांसद विजयसिंह मोहिते पाटिल, वीएसआई उपाध्यक्ष दिलीप वलसे-पाटिल, विधायक अजित पवार, हर्षवर्धन पाटिल, इंडियन शुगर इन्स्टीट्यूट के अध्यक्ष रोहित पवार आदि मौजूद थे।
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गन्ना मूल्य निर्धारित करने के लिए 30 दिसंबर को फिर एक बार होगी बैठक
सातारा : चीनी मंडी
गन्ना मूल्य निर्धारित करने के लिए कुछ दिन पहले आयोजित बैठक बेनतीजा होने के बाद, अब 30 दिसंबर को एक बार फिरसे गन्ना मूल्य तय करने के लिए बैठक का आयोजन किया गया है। किसान संघठनों ने मांग की है की गन्ना पेराई 14 दिन पुरे होने के बावजूद किसानों को भुगतान करने में विफ़ल मिलों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
प्रभारी जिल्हाधिकारी रामचन्द्र शिंदे ने कहा की, गन्ना मूल्य तय करने के लिए 30 दिसंबर को फिर एक बार बैठक का आयोजन किया जायेगा।
आपको बता दे, सोमवार को गन्ना मूल्य तय करने के लिए आयोजित बैठक शुरू करने में जिला प्रशासन को हो रही देरी की वजह से गुस्साए किसान संघठनों के प्रतिनिधियों ने ‘वाकआउट’ किया था। इसके बाद जिला प्रशासन की ओर से तत्काल बैठक शुरू करने का फैसला लिया गया और जिलाधिकारी के अनुरोध पर किसान संघठनों के प्रतिनिधि फिरसे बैठक के लिए उपस्थित हुए।
बैठक में, किसान संघठनों के प्रतिनिधियों ने शिकायत की कि, एफआरपी प्लस 200 रूपये गन्ना मूल्य तय होने के बावजूद किसी भी मिल ने बाद के 200 रूपये किसानों को नही दिए।
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चीनी मिलों को जारी किए जाएंगे नोटिस
बागपत। सहकारी गन्ना विकास समिति ने गन्ना किसानों को उनके बकाये का भुगतान न करने वाली चीनी मिलों को जल्द ही नोटिस भेजने की बात कही है।
समिति की एक बैठक में फ़ैसला लिया गया कि क्षेत्र के गन्ना किसानों को उनकी पुरानी बकाया धनराशि का अब तक भुगतान नहीं करने वाली चीनी मिलों को नोटिस जारी कर उन्हें जल्द से जल्द पुराने गन्ना मूल्य का भुगतान करने को कहा जाएगा। साथ ही, पत्तियां जलाने की समस्या के समाधान के लिए मिलों को पत्तियां काटने वाली मशीन खरीदने को भी कहा जायेगा। खेती से संबंधित मशीनें पहले की तरह ही समिति के माध्यम से खरीदकर किसानों को सीधा अनुदान देने का प्रस्ताव भी बैठक में रखा गया। समिति के अध्यक्ष कृष्णपाल सिंह ने बताया कि 26 दिसंबर को कृभको कृषक भारतीय को-आपरेटिव की ओर से रबी फसल के बारे में बैठक की जाएगी।
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बस-ट्रैक्टर की टक्कर में पिकनिक से लौट रहे 15 छात्र घायल
मुंबई। मुंबई-पुणे हाईवे पर एक राज्य परिवहन (एसटी) की बस और ट्रैक्टर की टक्कर में अलीबाग से पिकनिक मनाकर लौट रहे 15 छात्रों घायल हो गए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह दुर्घटना बुधवार सुबह करीब 4 बजे पुणे शहर के बाहरी इलाके तालेगांव दाभाडे में एक पेट्रोल पंप के पास घटी, जब स्कूली बच्चों को ले जा रही एसटी की बस गन्ना से लदे ट्रैक्टर से टकरा गई। सभी विद्यार्थी अहमदनगर जिले के संगमनेर स्थित बी.जे. खाटल स्कूल के 5वीं से 8वीं क्लास के हैं, जो स्कूल की तरफ़ से अलीबाग में पिकनिक मनाकर लौट रहे थे। हादसे में बस चालक को भी गंभीर चोटें आई हैं। घायल छात्रों और चालक को इलाज के लिए नजदीकी राजकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया।
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सदी का सबसे बड़ा सूर्यग्रहण 26 दिसंबर को
मथुरा: सदी का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण कल यानी 26 दिसंबर को है। कल सूर्यग्रहण होने के कारण आज बुधवार शाम को बांकेबिहारी के पट निर्धारित समय से पहले ही बंद कर दिये गए।
मंदिर प्रशासक के आदेश पर सूर्यग्रहण के मद्देनज़र ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के पट खुलने और आरतियों की सेवा में बदलाव किया गया है। गुरुवार को सूर्यग्रहण होने के कारण बुधवार को बांकेबिहारी के दर्शन सायंकालीन सेवा में 3.45 बजे खुले तथा शयन आरती शाम 7.40 बजे होने के बाद 7.45 बजे मंदिर के पट बंद कर दिये गए।
मंदिर के प्रबंधक मुनीश कुमार ने बताया कि 26 दिसंबर को प्रात: कालीन सेवा में दोपहर एक बजे ठाकुरजी भक्तों को दर्शन देंगे। श्रृंगार आरती दोपहर 1.10 बजे होने के बाद 1.15 मिनट पर राजभोग सेवा प्रारंभ होगी तथा 3.40 बजे राजभोग आरती की जाएगी। इसके बाद पर्दा बंद हो जाएगा। सायंकालीन सेवा में शाम 6 बजे बांकेबिहारी के दर्शन खुलेंगे तथा पूर्ववत निर्धारित समय पर देर शाम 8.25 बजे शयन आरती के बाद 8.30 बजे मंदिर के ठाकुरजी के पट बंद हो जाएंगे।
दूसरी तरफ़, गुरुवार के सूर्य ग्रहण पर पुष्टीमार्गीय मंदिर ठाकुर द्वारिकाधीश के पट खुले रहेंगे, लेकिन दर्शनों के समय में परिवर्तन किया गया है। मंदिर के विधि एवं मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी एडवोकेट ने बताया कि मंगला प्रात: 7.45 से 8 बजे तक होगी। इसके बाद 8.8 बजे से 10.57 तक पड़ने वाले ग्रहणकाल के समय भी राजाधिराज भक्तों को दर्शन देंगे। ग्रहण के बाद मंदिर की धुलाई होगी। इसके बाद ठाकुरजी ग्रहण की झांकी के दर्शन होंगे। तत्पश्चात ग्वाल, शृंगार, राजभोग, अध्यापन भोग, संध्या आरती के बाद शाम 5 बजे शयन के दर्शन होंगे। उन्होंने धर्मप्रेमी जनता से दर्शन कर पुण्य के भागी बनने की अपील की है।
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गन्ने की फसल में ‘’पर ड्रोप मोर क्रॉप’ तकनीक अपनाने की है ज़रूरत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी - Published on: 26.12.2019
गन्ने की फसल में ‘’पर ड्रोप मोर क्रॉप’ तकनीक अपनाने की है ज़रूरत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली, 25 दिसम्बर: देश में घटते भूल जल स्तर पर चिन्ता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों से जल संरक्षण पर ध्यान देने की अपील की है। राजधानी दिल्ली में अटल भूजल योजना की शुरुआत के मौक़े पर प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों को जल संरक्षण तकनीकों को अपनाने की ज़रूरत है। ‘जल है तो कल है’ की थीम पर ज़ोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें कम पानी चाहने वाली फसलों और नई सिंचाई पद्दतियो को अपनाने की ज़रूरत है।
धान और गन्ना जैसी फसलों में पानी की ज़रूरत ज़्यादा होती है। इसलिये इन फसलों की खेती के लिए टपक सिंचाई और फ़व्वारा सिंचाई पद्धति अपनाने की ज़रूरत है। किसान गन्ने की खेती में पूरे खेत को पानी से लबालब भर देते हैं जबकि ज़रूरत है पौधे को पानी देने की। इस वजह से पानी की अनावश्यक बर्बादी हो रही है। गन्ने की फसल में 70 फ़ीसदी पानी अनावश्यक लगता है जबकि केवल 30 फ़ीसदी पानी से ही काम हो सकता है। किसानों को इसके लिये जागरुक करने की ज़रूरत है। ताकि जल संरक्षण भी हो सके और गन्ने की फसल का उत्पादन भी अच्छा हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में जहां जहां पर गन्ने की खेती हो रही है वहाँ आज से 20 साल पहले ज़मीन से 5-7 फ़ीट गहराई पर जल स्तर था आज वहाँ 300 फ़ीट से भी गहरा पानी का लेवल चला गया है। कई जगह पानी का स्तर इतना नीचे चला गया कि खेती भी नहीं हो पा रही है।
प्रधानमंत्री ने देश के किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि अगर आप आज नहीं जागे तो आने वाले दिनों में पानी के संकट से सबको जूझना पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इज़रायल जैसे देशों से हमें जल संरक्षण की तकनीकें सीखने की ज़रूरत है।
हमारे कृषि वैज्ञानिकों को चाहिए कि वो धान और गन्ने जैसी अधिक पानी लेने वाली फसलों में ’’पर ड्रोप मोर क्रॉप’’ तकनीक को किसानों के खेत तक पहचाने की ज़रूरत है, जिससे घटते जल स्तर को सहेजने की दिशा में पहल की जा सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल जल योजना की शुरुआत राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में शुरु की गयी है। इस योजना से 78 ज़िलों के 8350 गाँवों में भूल संरक्षण में मदद मिलेगी। जलशक्ति मंत्रालय योजना की मॉनिटरिंग करेगा और धान और गन्ना जैसी फसलों में वर्षा जल को संरक्षित कर ड्रिप और स्प्रिंकलर पद्दतियों के माध्यम से कम जल में भी अधिक उत्पादन ले सकेंगे ।
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उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से मुकाबला करने के लिए महाराष्ट्र के चीनी मिलों को ‘बेलआउट पैकेज’ की उम्मीद - Published on: 26.12.2019
उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से मुकाबला करने के लिए महाराष्ट्र के चीनी मिलों को ‘बेलआउट पैकेज’ की उम्मीद
मुंबई / पुणे : चीनी मंडी
महाराष्ट्र में नकदी की किल्लत से जूझ रहे चीनी उद्योग ने महागठबंधन सरकार से खुद को बचाए रखने और अपने समकक्षों से विशेषकर उत्तर प्रदेश से मुकाबला करने के लिए ‘बेलआउट पैकेज’ मांगा है। राज्य के वित्त मंत्री जयंत पाटिल ने कहा, “उचित और पारिश्रमिक मूल्य (FRP) के अनिवार्य भुगतान और चीनी की कीमतों में वृद्धि की कमी के मद्देनजर, चीनी उद्योग वित्तीय तनाव से गुजर रहा है। चीनी उद्योग ऋण का पुनर्गठन करना चाहता है और प्रोत्साहन राशि की मांग की जा रही है। सरकार चीनी उद्योग को संकट से बाहर निकलने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए कटिबद्ध है।”
महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज फेडरेशन के प्रबंध निदेशक संजय खताल ने कहा कि, चीनी विकास निधि से ऋण सहित सभी ऋणों के पुनर्गठन की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश की मिलों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए, सरकार को 250 रुपये प्रति क्विंटल का परिवहन अनुदान प्रदान करने की आवश्यकता है, ताकि उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य राज्यों में मिलें चीनी बेच सकें।”
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महाराष्ट्र को गन्ना उत्पादन में शीर्ष स्थान हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी: शरद पवार - Published on: 26.12.2019
महाराष्ट्र को गन्ना उत्पादन में शीर्ष स्थान हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी: शरद पवार
पुणे: चीनी मंडी
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कहा कि, उनकी सरकार कृषि मुद्दों से निपटने के लिए एक नई समिति का गठन करेगी। इस ‘किसान नीति’ के माध्यम से सूखे और बाढ़ से प्रभावित किसानों को राहत देना प्राथमिकता होगी। उन्होंने कहा कि, जरूरतमंदो को कर्ज माफी के साथ-साथ, जिन्होंने नियमित रूप से अपने कर्ज का भुगतान किया है, उन्हें राज्य से विशेष प्रोत्साहन मिलेगा।
मांजरी (पुणे) में वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट (VSI) की वार्षिक आम सभा में ठाकर
